आपकी क़ामयाबी और नाक़ामयाबी के बीच सिर्फ़ और सिर्फ़ सेल्फ़ डिसिप्लिन यानी आत्म-अनुशासन होने या न होने का फ़ासला होता है. जहां क़ामयाब लोग आत्म-अनुशासन में प्रवीण होते हैं, वहीं नाक़ाम लोग ख़ुद को अनुशासन में रखने में बुरी तरह असफल होते हैं. अगर आप दूसरी वाली कैटेगरी में हैं तो निराश न हों, इन 5 अचूक नियमों को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाकर आप भी बन जाइए क़ामयाब.
आत्म-अनुशासन कोई ऐसी चीज़ नहीं है, जो आप में या तो होता है या फिर नहीं होता. इसके बजाय हर व्यक्ति में आत्म-अनुशासन को बढ़ाने की योग्यता होती है. चिप्स या कुकीज़ के पैकेट को नहीं कहने के लिए आत्म-नियंत्रण की ज़रूरत होती है और व्यायाम करने के लिए भी, जब आपकी इच्छा न हो. जो ग़लतियां आपकी प्रगति को तहस-नहस कर सकती हैं, उनसे बचने के लिए सतत सतर्कता और कठोर मेहनत की ज़रूरत होती है. अपने आत्म-नियंत्रण को बढ़ाने के लिए काम करते समय ये पांच बातें हमेशा दिमाग़ में रखें.
पहला नियम: जो काम नहीं करना है, तो किसी भी क़ीमत पर नहीं करना है
जब आप अकेलापन महसूस कर रहे हों और आपके मन में अपनी पूर्व प्रेमिका या प्रेमी को मैसेज भेजने का प्रलोभन जागे, जो आपके लिए अच्छा नहीं है या आप कोई मिठाई खाने के लिए ललच रहे हों, जो आपके डाइट प्लान को चौपट कर देगी, तब असुविधा को सहन करने का अभ्यास करें. यानी बहुत ही सख़्ती से ख़ुद को इन कामों को करने से रोकें. हालांकि लोग अक्सर ख़ुद को विश्वास दिलाते हैं कि अगर वे फबस एक बार यह कर लेंगे’ तो इससे मदद मिलेगी, लेकिन शोध इसके विपरीत दर्शाता है. जब भी आप हार मानते हैं, तो हर बार आपका आत्म-नियंत्रण घट जाता है. तो जो काम नहीं करना है, तो किसी भी क़ीमत पर नहीं करना है. एक बार, दो बार जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए. भले ही आपको भयंकर असुविधा हो रही हो, पर असुविधा को सहन करने का अभ्यास करें.
दूसरा नियम: जब मन डगमगाए, तब ख़ुद से बात करना शुरू कर दें
पर केवल यह मान लेने से कि ‘नहीं करना है तो नहीं करना है’ से सबकुछ ठीक नहीं हो जाएगा. आप ख़ुद को जिन कामों को करने से रोकते हैं, उनके बारे में मस्तिष्क लगातार सोचता रहता है. आपका ललचानेवाला मन आपको घुमा-फिराकर कन्विंस करने की कोशिश करेगा कि क्यों आपको वह काम करना चाहिए, वह भी सिर्फ़ एक बार. जब मन आपको कन्विंस करने की कोशिश में लगा हो, तब आप भी मन को समझाने का प्रयास करें. कुछ बेहद प्रैक्टिकल और ख़ुद को प्रेरित करने वाले कोट्स को याद करें. हो सके तो ऐसी जगह पर लिखकर रख लें, जहां से मन के डगमगाने की स्थिति में देख सकें. ये कोट्स कमज़ोरी के पलों में प्रलोभन का प्रतिरोध करने में सहायक होते हैं. कुछ कोट्स हैं,‘मैं यह कर सकता हूं,’ या ‘मैं अपने लक्ष्यों की दिशा में बेहतरीन काम कर रहा हूं.’ ऐसी बातें बोलने से आपको पटरी पर बने रहने में मदद मिलती है.
तीसरा नियम: लक्ष्य को हमेशा अपने दिमाग़ में रखें
आपने अगर कोई काम करने या न करने का फ़ैसला लिया है तो उससे आप क्या अचीव करना चाहते हैं, यह बात आपको याद रखनी चाहिए. दूसरे शब्दों में कहें तो अपने लक्ष्यों के महत्त्व पर ध्यान केंद्रित करने से प्रलोभन कम आते हैं. इसलिए अगर आप इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि कार का पूरा क़र्ज चुकाने पर आपको कितना अच्छा महसूस होगा, तो आप किसी ऐसी चीज़ की ख़रीदारी करने के लिए कम ललचाएंगे, जो महीने के बजट को तबाह कर सकती है. यानी अपने मौजूदा लक्ष्य पर पहुंचकर मिलनेवाली ख़ुशी को इमैजिन करें. आपका मन व्यर्थ के भटकाव को पीछे छोड़कर आपके साथ हो लेगा.
चौथा नियम: ख़ुद पर बंदिशें न लगाएं, पर होशियारी से परिस्थिति को बदल दें
कई बार हम अपने लक्ष्य से इसलिए सहजता से भटक जाते हैं, क्योंकि हम ख़ुद को ऐसी परस्थिति में डाल लेते हैं, जहां से भटकाव आसान और सहज होता है. उदाहरण के लिए, आपने ठान लिया है कि अपनी फ़िज़ूलख़र्ची कम करनी है. हर हाल में उसपर नियंत्रण करना है. फिर आने दोस्तों के साथ बाहर जाने का फ़ैसला कर लिया. अब दोस्तों के साथ जाने से आप ख़ुद को रोक नहीं सकते. हम भी आपको ऐसा करने की सलाह नहीं देंगे. यदि आप जानते हैं कि दोस्तों के साथ बाहर जाने पर आप बहुत ज़्यादा ख़र्च कर सकते हैं, तो अपने साथ ज़्यादा पैसे लेकर न जाएं. ऐसे क़दम उठाएं, जिनसे प्रलोभन के सामने आने पर उससे हार मानना असंभव नहीं, तो मुश्क़िल ज़रूर हो जाए. यानी ख़ुद को ऐसी परिस्थिति में डालने से बचें, जहां से आप लक्ष्य से भटक सकते हैं.
पांचवां नियम: सोचें, आपको क्यों अपनी ग़लती नहीं दोहरानी चाहिए
आपको उन सभी कारणों की सूची बनानी चाहिए कि आप अपनी ग़लती क्यों नहीं दोहराना चाहते. इस सूची को अपने साथ रखें. जब भी पुराने व्यवहार की आदतों पर लौटने का प्रलोभन आए, तो यह सूची पढ़ लें. यह पुरानी आदतों को दोहराने का प्रतिरोध करने में आपकी प्रेरणा को बढ़ा सकती है. मिसाल के तौर पर, कारणों की सूची बनाएं कि आपको डिनर के बाद टहलने क्यों जाना चाहिए. जब आपका मन व्यायाम करने के बजाय आराम से सोफ़े पर पसरकर टीवी देखने का करे तो तुरंत उन कारणों को पढ़ लें कि व्यायाम न करने से क्या होगा. इस तरह के छोटे-छोटे चेक सिस्टम से आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहेगी.
इनपुट्स: ऐमी मॉरिन की किताब ’13 थिंग्स मेंटली स्ट्रॉन्ग पीपल डोन्ट डू’ से.
इस किताब का हिंदी अनुवाद ’13 काम जो समझदार लोग नहीं करते’ मंजुल प्रकाशन में उपलब्ध है.
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