‘अ पोयम अ डे’सामयिक कविताओं का अनूठा कलेक्शन, इसमें 34 भारतीय भाषाओं के, 279 कवियों की 365 कविताएं हैं. इनका सलेक्शन और अनुवाद दिग्गज फ़िल्मकार, गीतकार और कवि गुलज़ार ने किया है. अगर आप कविता के मुरीद हैं तो यह कलेक्शन आपके लिए ही है.
जाने-माने प्रकाशन हार्परकॉलिन्स ने पिछले दिनों अ पोयम अ डे नामक एक अनूठा कविता संग्रह लॉन्च किया है. इस संग्रह की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें 34 भारतीय भाषाओं की 365 कविताओं को जगह दी गई है. यह कविता संग्रह इसलिए और भी अनूठा बन जाता है, क्योंकि इन कविताओं का चयन गुलज़ार साहब ने किया है. क़रीब हज़ार पन्ने की इस किताब में यह कविताएं दो भाषा में पढ़ने मिलेंगी, यानी इनका अंग्रेज़ी अनुवाद और गुलज़ार साहब द्वारा किया गया इनका हिंदुस्तानी रूपांतरण.
इस संग्रह में वर्ष 1947 के बाद से अब तक कि कविताओं को जगह दी गई है. यदि आप कविताओं के शौक़ीन हैं तो यह संग्रह आपके लिए कलेक्टर्स पीस बन जाएगा. इसमें 279 कवियों की कविताएं शामिल हैं. इस क्लासिक संग्रह को आप रु. 3,999 में ख़रीद सकते हैं.
गुलज़ार साहब भी इस संग्रह को लेकर बेहद उत्साहित हैं. उन्होंने बताया,‘‘अ पोयम ए डे एक ख़्याल की तरह आया, फिर हमने सोचा क्यों न वर्ष 1947 के बाद से लिखी गई अद्भुत कविताओं में से साल के हर दिन पढ़ने के लिए एक कविता चुनी जाए? मैंने कविताओं का चुनाव अपने पसंदीदा कवियों की रचनाओं से करना शुरू किया, पर इसके पहले कि मैं पीछे मुड़कर देख पाता, हमने 279 अलग-अलग कवियों की रचनाएं इस किताब में शामिल कर ली थीं, वह भी 34 भाषाओं की. जैसा कि मेरा हमेशा से मानना रहा है कि कविताएं किसी सीमा में नहीं बंधी होतीं तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए गुजरात, पंजाब, केरल, गोवा, ओडिशा के कवियों की रचनाओं के साथ-साथ तमिल में लिखी गई श्री लंकाई कवियों की रचनाएं, बांग्ला में लिखी बांग्लादेशी कवियों की कविताएं और पाकिस्तानी कवियों की उर्दू और पंजाबी कविताओं को इस संग्रह में शामिल किया.’’
गुलज़ार साहब की मानें तो मौजूदा दौर के मुश्क़िल समय में हमें हमेशा से कहीं ज़्यादा कविताओं और शब्दों की शक्ति की ज़रूरत है.