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आदमी को प्यार दो: गोपालदास नीरज की कविता

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
January 8, 2022
in कविताएं, बुक क्लब
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आदमी को प्यार दो: गोपालदास नीरज की कविता
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आदमी होने का सही मतलब क्या है, बता रही है गीतकार-कवि गोपालदास नीरस की लंबी कविता ‘आदमी को प्यार दो’.

सूनी-सूनी ज़िंदगी की राह है,
भटकी-भटकी हर नज़र-निगाह है,
राह को सवार दो,
निगाह को निखार दो,

आदमी हो तुम कि उठा आदमी को प्यार दो,
दुलार दो
रोते हुए आंसुओं की आरती उतार दो

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तुम हो एक फूल कल जो धूल बनके जाएगा,
आज है हवा में कल ज़मीन पर ही आएगा,
चलते व़क्त बाग़ बहुत रोएगा-रुलाएगा,
ख़ाक के सिवा मगर न कुछ भी हाथ आएगा,

ज़िंदगी की ख़ाक लिए हाथ में,
बुझते-बुझते सपने लिए साथ में,
रुक रहा हो जो उसे बयार दो,
चल रहा हो उसका पथ बुहार दो
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो

ज़िंदगी यह क्या है-बस सुबह का एक नाम है,
पीछे जिसके रात है और आगे जिसके शाम है,
एक ओर छांह सघन, एक ओर घाम है,
जलना-बुझना, बुझना-जलना सिर्फ़ जिसका काम है,
न कोई रोक-थाम है,

ख़ौफनाक-ग़ारो-बियाबान में,
मरघटों के मुरदा सुनसान में,
बुझ रहा हो जो उसे अंगार दो,
जल रहा हो जो उसे उभार दो,
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो

ज़िंदगी की आंखों पर मौत का ख़ुमार है,
और प्राण को किसी पिया का इंतज़ार है,
मन की मनचली कली तो चाहती बहार है,
किंतु तन की डाली को पतझर से प्यार है,
क़रार है,

पतझर के पीले-पीले वेश में,
आंधियों के काले-काले देश में,
खिल रहा हो जो उसे सिंगार दो,
झर रहा हो जो उसे बहार दो,
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो

प्राण एक गायक है, दर्द एक तराना है,
जन्म एक तारा है जो मौत को बजाता है,
स्वर ही रे! जीवन है, सांस तो बहाना है,
प्यार की एक गीत है जो बार-बार गाना है,
सबको दुहराना है,

सांस के सिसक रहे सितार पर
आंसुओं के गीले-गीले तार पर,
चुप हो जो उसे ज़रा पुकार दो,
गा रहा हो जो उसे मल्हार दो,
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो

एक चांद के बग़ैर सारी रात स्याह है,
एक फूल के बिना चमन सभी तबाह है,
ज़िंदगी तो ख़ुद ही एक आह है कराह है,
प्यार भी न जो मिले तो जीना फिर गुनाह है,

धूल के पवित्र नेत्र-नीर से,
आदमी के दर्द, दाह, पीर से,
जो घृणा करे उसे बिसार दो,
प्यार करे उस पै दिल निसार दो,
आदमी हो तुम कि उठो आदमी को प्यार दो,
दुलार दो
रोते हुए आंसुओं की आरती उतार दो

Illustration: Pinterest

Tags: Aadmi ko pyar do by Gopaldas NeerajAaj ki KavitaGopaldas NeerajGopaldas Neeraj PoetryHindi KavitaHindi PoemKavitaआज की कविताआदमी को प्यार दोआदमी को प्यार दो गोपालदास नीरजकवितागोपालदास नीरजगोपालदास नीरज की कवितागोपालदास नीरज की कविताएंहिंदी कविता
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हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

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