• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

प्रयागराजी बने अकबर इलाहाबादी क्या कहते इस घटना पर?

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
December 30, 2021
in ज़रूर पढ़ें, नज़रिया, सुर्ख़ियों में
A A
प्रयागराजी बने अकबर इलाहाबादी क्या कहते इस घटना पर?
Share on FacebookShare on Twitter

उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग की सरकारी वेबसाइट पर नामचीन शायर अकबर इलाहाबादी समेत कई बड़े कलमकारों का टाइटल इलाहाबादी से बदलकर प्रयागराजी किए जाने के मामले में सरकार की किरकिरी होने के बाद अब नामों की इस छेड़छाड़ को दुरुस्त कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की वेबसाइट पर, जहां इलाहाबाद के नामचीन साहित्यकारों/शायरों के बारे में जानकारी दी गई थी, वहां अकबर इलाहाबादी, तेग इलाहाबादी और राशिद इलाहाबादी के आगे इलाहाबादी हटाकर प्रयागराजी कर दिया गया था. लोगों को इसकी जानकारी हुई तो इस पर एतराज़ जताया गया. मामले ने तूल पकड़ा तो गलतियों को सुधार भी दिया गया. यहां पढ़िए इस पूरे मसले पर वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन का नज़रिया और जानिए शायर अकबर इलाहाबादी होते तो क्या कहते इस घटना पर

जब इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया गया था, तब इन पंक्तियों के लेखक ने एक टिप्पणी में सवाल किया था कि अब इलाहाबादी अमरूदों को क्या कहा जाएगा और अकबर इलाहाबादी जैसे शायर को कैसे याद किया जाएगा?
अमरूदों को तो नहीं, लेकिन शायर अकबर इलाहाबादी को कैसे याद किया जाएगा, इसका जवाब अब उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट ने दे दिया है. वे अकबर प्रयागराजी बना दिए गए हैं. उनके अलावा दो और शायरों के नाम से इलाहाबादी हटा कर उन्हें प्रयागराजी कर दिया गया है.
अकबर इलाहाबादी अलग तरह के शायर थे. उर्दू शायरी की रवायत में वे कहीं नहीं समाते. वे ग़ालिब, मीर, जौक़, दाग़, इक़बाल, फ़ैज़ और फ़िराक़ से काफ़ी दूर खड़े हैं. बाक़ी उर्दू शायरी अगर परंपराभंजक और मूर्तिभंजक दिखाई पड़ती है तो अकबर की तलवार आधुनिकता के ख़िलाफ़ चलती है. आधुनिकता और पश्चिमीकरण के साथ आने वाले सतहीपन को उन्होंने बार-बार पकड़ा. नए ज़माने की तालीम का भी मज़ाक उड़ाया. उनका यह शेर मशहूर है- “हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिले ज़ब्ती समझते हैं / जिन्हें पढ़ कर बेटे बाप को ख़ब्ती समझते हैं.’ उनका एक क़तआ है- ‘छोड़ लिटरेचर को अपनी हिस्ट्री भूल जा / शैख ओ मस्जिद से ताल्लुक तर्क़ कर, स्कूल जा / चार-दिन की ज़िंदगी है कोफ़्त से क्या फ़ायदा / खा डबल रोटी क्लर्की कर ख़ुशी से फूल जा.’

अब अकबर साहब के इंतकाल के पूरे एक सौ बरस बाद डबल रोटी खाकर क्लर्की करने वालों ने उनसे बदला ले लिया है. सीधे उनका नाम बदल डाला. कुछ समय के लिए उन्हें अकबर प्रयागराजी बना दिया. इस एक सौ साल में वह आधुनिक शिक्षा पूरे भारत में अपने पूरे सतहीपन के साथ फैल गई है जिसका अकबर कभी मज़ाक बनाया करते थे. इस शिक्षा में विज्ञान के साथ वैज्ञानिक समझ नहीं है, इतिहास के साथ ऐतिहासिक बोध नहीं है, आधुनिक होने की ललक है, लेकिन आधुनिकता का मानस नहीं है और परंपरा के अनुकरण की ज़िद है, लेकिन परंपरा का पता नहीं है.
यह अकबर के साथ दोहरा अत्याचार है. अकबर का नाम ही नहीं बदला है, जिस रवायतपसंदगी का परचम लेकर वो ज़िंदगी और शायरी में तमाम उम्र चलते रहे, वह रवायतपसंदगी भी उनके ख़िलाफ़ काम करती नज़र आ रही है. इसमें शक नहीं कि आधुनिकता में बहुत सारी बीमारियां हैं, लेकिन इसमें भी संदेह नहीं कि परंपरा पूजन के ख़तरे कहीं ज़्यादा बड़े हैं. क्योंकि पूजने के पहले हम परंपरा को एक जड़ मूर्ति में बदलते हैं. इस पूजन के लिए फिर अपनी परंपरा को श्रेष्ठ साबित करते हैं और दूसरी परंपराओं को हेय. जिन लोगों ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया, वे ऐसे ही परंपरापूजक रहे. उनमें न परंपरा का बोध है और न इतिहास का. वे एक शहर को उसकी मौजूदा पहचान से काट कर किसी मिथकीय अतीत की भव्य आभा से जोड़ना चाहते हैं और मान लेते हैं कि इससे शहर बदल जाएगा. वे यह नहीं सोचते कि इन तमाम सदियों में जो नया शहर खड़ा हुआ है, जो नई रवायत विकसित हुई है, जो नया अंदाज़ पैदा हुआ है, वह सब इस नए- यानी पुराने- नामकरण के आड़े आएंगे. तब सोचना होगा कि इलाहाबादी अमरूदों को क्या कहा जाए, इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम क्या किया जाए और इलाहाबाद हाइकोर्ट को किस नाम से पुकारा जाए.

यह सच है कि अकबर परंपरावादी थे, लेकिन वे जड़ परंपरावादी नहीं थे. वे मज़हबी थे, लेकिन मज़हबी ईमान के नाम पर चलने वाले पाखंड का मज़ाक उड़ाने में उन्हें परहेज़ नहीं होता था. उनका यह शेर भी बार-बार महफ़िलों में दुहराने लायक है- ‘मेरा ईमान पूछती क्या हो मुन्नी / शिया के साथ शिया, सुन्नी के साथ सुन्नी.’
शिया के साथ शिया और सुन्नी के साथ सुन्नी होने को तैयार अकबर इलाहाबादी को प्रयागराज से कोई बैर न रहा होगा. बल्कि कहीं-कहीं बहुत बारीक़ी से वे हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के भीतर बढ़ने वाली बेमानी कट्टरता को निशाना बनाने से नहीं चूकते थे. मज़े-मज़े में वे लिख सकते थे- ‘कहां ले जाऊं दिल दोनों जहां में इसकी मुश्क़िल है / यहां परियों का मजमा है, वहां हूरों की महफ़िल है.’
बहरहाल, अकबर साहब को उनके हाल पर उनकी क़ब्र में छोड़ते हैं. यह उनके इंतक़ाल का सौंवा साल है. इत्तिफ़ाक़ से रेख़्ता फाउंडेशन की ओर से शुरू किए गए रिसाले ‘रेख़्ता रौज़न’ का दूसरा अंक अकबर और उर्दू अदब की हास्य-व्यंग्य की परंपरा पर है. लेकिन उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा सेवा आयोग का हाल देख डर लगता है. पता चलता है कि जड़ परंपराप्रियता क्या होती है या फिर दफ़्तरी आदेश को जस के तस लागू करने से कैसे हास्यास्पद नतीजे निकलते हैं. जिस परिचय में अकबर को प्रयागराजी बताया गया है, उसी में तेग़ प्रयागराज और राशिद प्रयागराज का भी ज़िक्र है. मज़े की बात यह कि सितारों की इस सूची में फ़िराक़ गोरखपुरी नहीं हैं- शायद इसलिए कि किसी को यह न लगा हो कि यह तो इलाहाबादी नहीं, गोरखपुरी है और गोरखपुरी का नाम बदले जाने का अब भी वह इंतज़ार कर रहा हो.

अब इन हालात में हम कहां जाएं. उच्च शिक्षा आयोग की सूची में एक और शायर नूह नारवी का भी नाम है. नूह नारवी की एक मशहूर ग़ज़ल है- ‘कहा, काबुल को हम जाएं / कहा, काबुल को तुम जाओ / कहा, अफ़गान का डर है, कहा अफ़गान तो होगा / कहा हम चीन को जाएं, कहा तुम चीन को जाओ / कहा, जापान का डर है / कहा, जापान तो होगा. कहा, हम नूर को लाएं / कहा तुम नूर को लाओ / कहा तूफ़ान का डर है / कहा तूफ़ान तो होगा.‘
धूमिल ने कभी लिखा था- ‘इतना कायर हूं कि उत्तर प्रदेश हू.‘ इन दिनों अक्सर लिखने की इच्छा होती है कि ‘इतना बर्बर हूं कि उत्तर प्रदेश हूं.‘ अकबर होते तो लिखते- ‘इतना जाहिल हूं कि उत्तर प्रदेश हूं.‘

साभार: ndtv.in

इन्हें भीपढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#9 सेल्फ़ी (लेखिका: डॉ अनिता राठौर मंजरी)

फ़िक्शन अफ़लातून#9 सेल्फ़ी (लेखिका: डॉ अनिता राठौर मंजरी)

March 16, 2023
vaikhari_festival-of-ideas

जन भागीदारी की नींव पर बने विचारों के उत्सव वैखरी का आयोजन 24 मार्च से

March 15, 2023
पैसा वसूल फ़िल्म है तू झूठी मैं मक्कार

पैसा वसूल फ़िल्म है तू झूठी मैं मक्कार

March 14, 2023
Fiction-Aflatoon_Dilip-Kumar

फ़िक्शन अफ़लातून#8 डेड एंड (लेखक: दिलीप कुमार)

March 14, 2023

Tags: Akbar AllahabadiAkbar PrayagrajAllahabadAllahabadi GuavaAttitudesHeadlinesPriyadarshanview-pointअकबर इलाहाबादीअकबर प्रयागराजीइलाहाबादइलाहाबादी अमरूदनज़रियाप्रियदर्शनसुर्ख़ियां
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

gulmohar-movie
ओए एंटरटेन्मेंट

गुलमोहर: ज़िंदगी के खट्टे-मीठे रंगों से रूबरू कराती एक ख़ूबसूरत फ़िल्म

March 12, 2023
Fiction-Aflatoon_Meenakshi-Vijayvargeeya
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#7 देश सेवा (लेखिका: मीनाक्षी विजयवर्गीय)

March 11, 2023
hindi-alphabet-tree
कविताएं

भाषा मां: योगेश पालिवाल की कविता

March 9, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • टीम अफ़लातून

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist