अपनी प्रेरक कविताओं के लिए जाने जानेवाले कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘चलना हमारा काम है’ जीवन के सफ़र में बिना थके आगे बढ़ते रहने की बात करती है. आशा-निराशा, सुख-दुख के बारे में न सोचते हुए जीवनपथ, कर्तव्यपथ पर चलते रहने की बात करती है. हर परिस्थिति में आत्मविश्वास और गतिशीलता बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है.
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूं दर-दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूं,
तब तक मुझे न विराम है,
चलना हमारा काम है
कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बंट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गईं
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूं,
राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है
जीवन अपूर्ण लिए हुए
पाता कभी खोता कभी
आशा निराशा से घिरा,
हंसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरूद्ध,
इसका ध्यान आठों याम है,
चलना हमारा काम है
इस विशद विश्व-प्रहार में
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूं,
मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोड़ा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रुकी
जो गिर गए सो गिर गए
चलता रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है
फकत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया
मूंदकर पलकें सहज
दो घूंट हंसकर पी गया
सुधा-मिश्रित गरल,
वह साकिया का जाम है,
चलना हमारा काम है
Illustration: Pinterest
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