• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

एक ऊंची उड़ान- नीरज कुमार मिश्रा की कहानी

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
September 18, 2022
in ज़रूर पढ़ें, नई कहानियां, बुक क्लब
A A
badminton-player
Share on FacebookShare on Twitter

आसमान में एक ऊंची उड़ान भरने के लिए, उसके पीछे की गई मेहनत, त्याग और समर्पण में केवल आसमान में उड़ान भरने वाल ही शामिल नहीं होता. उसके साथ कई और लोग होते हैं, जो चुपचाप उसके पंखों को फैलाने में मदद करते हैं. इन्हीं जज़्बात को स्वर देती है नीरज कुमार मिश्रा की यह कहानी.

जन गन मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता…
राष्ट्रगान की धुन स्टेडियम में गूंज रही थी और गोल्ड मेडल के विजेता के रूप में भारत के अंकुर शर्मा का नाम पुकारा जा रहा था.
ओलंपिक में अंकुर ने मैडल जीतकर सभी का मान बढ़ाया था.

अंकुर के पिता विजय शर्मा भी टीवी पर बैठे ये दृश्य देख रहे थे ,बधाई देने वालों के आने-जाने का दौर भी जारी था. विजय शर्मा की आंखों में बारबार आंसू तैर जाते थे. उनका रुमाल आसुंओ से भीग चुका था, पर उनके आंसू तो थम ही नहीं रहे थे.
विजय उठे और अंकुर की मां की तस्वीर के सामने खड़े हो गए और उससे बाते करने लगे, “राधिका… काश आज तुम भी साथ होतीं तो अपने बेटे की इस उपलब्धि पर कितना ख़ुश होतीं.”
इतना कहते-कहते ही उनकी आंखों से आंसू तेज़ी से उमड़ पड़े. उनसे खड़े नहीं हुआ जा सका तो वे ख़ुद को संभालते हुए वहीं रखे सोफ़े पर बैठ गए.

इन्हें भीपढ़ें

idris-hasan-latif

एयर चीफ़ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़: भारतीय वायुसेना के एक प्रेरक नायक

June 5, 2025
यहां मिलेंगे बारिश में झड़ते बालों को रोकने के उपाय

यहां मिलेंगे बारिश में झड़ते बालों को रोकने के उपाय

June 5, 2025
naushera-ka-sher_brig-mohd-usman

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान: नौशेरा का शेर

June 4, 2025
कल चौदहवीं की रात थी: इब्न ए इंशा की ग़ज़ल

कल चौदहवीं की रात थी: इब्न ए इंशा की ग़ज़ल

June 4, 2025

उनकी आंसुओं से भीगी आंखों के सामने राधिका के साथ गुज़ारे पल घूमने लगे.

अंकुर का मन बचपन से ही खेलों की तरफ़ था. अन्य भारतीय लड़कों की तरह वह भी क्रिकेट का दीवाना था, पर राधिका और शर्मा जी ने उसे समझाया कि वह बैडमिंटन में अपना करियर बनाए. और उसके लिए ये ज़रूरी था कि अंकुर किसी स्पोर्ट्स कॉलेज में पढ़े. अपनी अथक मेहनत से अंकुर को लखनऊ के स्पोर्ट्स कॉलेज में दाख़िला भी मिल गया था.

ये एक बड़ी उपलब्धि थी और ठीक एक महीने के बाद अंकुर को स्पोर्ट्स कॉलेज जॉइन करने जाना था. अंकुर के जाने से विजय उत्साहित तो थे पर बेटे के दूर जाने से वे दुखी भी थे. अंकुर उनका इकलौता बेटा था और अभी तो उसे बाहर की दुनिया का कोई भी ज्ञान नहीं था. जब देखो मां के आंचल से ही बंधा रहता है…कैसे रह पाएगा वह स्पोर्ट्स कॉलेज में? किस तरह वहां की कड़ी मेहनत को झेल पाएगा अंकुर? इन बातों को सोचकर विजय परेशान रहते, पर उनकी पत्नी राधिका इस उपलब्धि को बड़ी शान से भुना रही थीं. अपने परिचितों और रिश्तेदारों को गर्व से बतातीं कि चाहते तो सभी हैं कि उनका बच्चा स्पोर्ट्स कॉलेज में जाए पर भला दाखिला इतना आसान कहां होता है?

और जब लोग राधिका से कहते कि सच में ही वह बड़ी भाग्यशाली हैं तो राधिका का मातृत्व सहज ही गर्व से भर जाता और वह इन सबके पीछे अपनी मेहनत का ज़िक्र करना नहीं भूलती.

बीतते हुए दिनों के साथ भी राधिका का मन कभी भीगा हुआ प्रतीत नहीं हुआ. विजय अक्सर सोचते भी कि राधिका कितनी निष्ठुर है, इकलौता बेटा बाहर जा रहा है और वह है कि प्यार दिखाने की बजाय इस अवसर को भी एन्जॉय कर रही है.

एक बार तो विजय ने अंकुर से कहा भी कि बेटा, मैंने कई लोगों को स्पोर्ट्स कॉलेज की सख़्ती और नियमों से भाग कर घर आते हुए देखा है तुम चाहो तो बीटेक या अन्य कोई करियर अपना लो, पर इससे पहले कि अंकुर कुछ बोलता राधिका ने ही बात काटते हुए कहा, “आप मेरे लड़के को कमज़ोर मत बनाइए,सोना आग में तपे बिना कुंदन नहीं बनता हैऔर फिर किसी भी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए मेहनत तो करनी ही पड़ेगी” इस तर्क पर विजय बेचारे चुप हो गए थे.

यूं भी राधिका ने अंकुर के लिए एक बहुत ही स्ट्रिक्ट टाइम टेबल बनाया हुआ था, जिसमें सुबह चार बजे से उठकर जॉगिंग, कसरत तथा बैडमिंटन का अभ्यास शामिल था. और इसके बाद एक हेल्दी नाश्ता जिसमें से बहुत सी चीज़ें तो अंकुर को नापसंद थीं, फिर भी राधिका उसे ज़बरदस्ती खिलाती थी.

राधिका के मुंह से अपने बेटे के दूर जाने की बात का ज़िक्र विजय ने कभी नहीं सुना था, जबकि वे अक्सर अकेले में बैठकर रो लेते थे. आख़िरकार वो दिन भी आ गया, जब अंकुर को स्पोर्ट्स कॉलेज जाना था. विजय दुखी थे, पर राधिका एक शिला की भांति सख्त. और उसके सख्त रवैये से अंकुर को भी मानसिक बल मिला और उसने हंसते हुए सबसे विदाई ली. राधिका का चेहरा अब भी सपाट था. राधिका घर के कामों में फिर से लग गई और विजय शर्मा निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े.

अंकुर को गए कई महीने बीत गए थे. एक रात लगभग दो बजे, जब विजय पानी पीने के लिए उठे तो उन्होंने देखा कि राधिका कुर्सी पे बैठी डायरी के पन्नों पर कुछ लिख रही है. आज से पहले विजय ने उसे ज़्यादा लिखते हुए तो देखा नहीं था फिर आज वो क्या लिख रही थी?

सुबह उठकर विजय ने राधिका को जगाया तो वह जागी ही नहीं. रात में ही सोते समय उसे हृदयाघात पड़ा था और अब वह अपने इस शरीर को अलविदा कह चुकी थी.

आनन-फानन में सभी रिश्तेदारों को ख़बर करी गई और राधिका का अंतिम संस्कार हुआ. अंकुर भी मां की असमय मौत से बहुत दुखी था. लेकिन दुनिया का दस्तूर है कि मरने वाले के साथ कोई नहीं जाता. सबको अपना अपना जीवन जीना ही पड़ता है. रिश्तेदार भी अपनेअपने घर लौट गए थे और अंकुर को भी कॉलेज लौटना ही पड़ा, जहां उसका राष्ट्रीय टीम के लिए चयन होना था.

धीरे-धीरे अंकुर अपने खेल को अपनी कड़ी मेहनत से निखारता चला गया. समय कुछ और बीता. एक दिन विजय अकेलेपन से ऊब रहे थे तो उन्होंने घर की साफ़-सफ़ाई शुरू की तो उन्हें वो डायरी दिखी, जिसमें उस रात राधिका कुछ लिख रही थी. विजय ने राधिका की डायरी पढ़ना शुरू करी.

“वीणा से सुर निकल सकें इसलिए उसके तारों में कसाव होना बहुत ज़रूरी है. मैं जानती हूं कि अंकुर मुझसे कभी दूर नहीं गया, पर मेरी थोड़ी सी भी नरमी उसे कमज़ोर बना देगी. इसलिए मुझे सख्त बने रहना होगा, नहीं तो अंकुर भी ममता के वशीभूत होकर अपना आगे का सफ़र पूरा नहीं कर सकेगा. मैं जानती हूं कि लोग कहेंगे कि कितनी निष्ठुर मां है, पर मां हूं इसी लिए अच्छा बुरा मुझे ही तो सोचना होगा. कभी कभी अपने आंसुओं को पी लेना भी ज़रूरी होता है.
बाहर कितनी ठंड है… पंख फैलाने दो उसे
इतनी सुबह कैसे जागेगा… पंख फैलाने दो उसे
अभी तो मेरे बिना सोता नहीं… पंख फैलाने दो उसे,
मेरे हाथ का खाना ही उसे भाता है… पंख फैलाने दो उसे…

“बधाई हो शर्माजी आपके बेटे ने देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है!”
बाहर से आती आवाज़ों ने शर्मा जी की यादों पर ब्रेक लगा दिया था. विजय उठ खड़े हुए. राधिका की तस्वीर को निहारते हुए बोले, “मैंने तुम्हे कितना गलत समझा था. आज तुम्हारे सख्त रवैये और अनुसाशन के कारण अंकुर की जीवन की वीणा में संगीत भी बज रहा है. अंकुर ने सिर्फ़ पंख ही नहीं फैलाए हैं, बल्कि उसके सपनों ने आसमान में उड़ान भी भर ली है… एक ऊंची उड़ान.

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट, vecteezy.com

Tags: Ek oonchi udanfictionneeraj kumar mishranew storyshort storystoryएक ऊंची उड़ानछोटी कहानीनई कहानीनीरज कुमार मिश्राफ़िक्शनशॉर्ट स्टोरीस्टोरी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

abul-kalam-azad
ओए हीरो

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: वैज्ञानिक दृष्टिकोण के पक्षधर

June 3, 2025
dil-ka-deep
कविताएं

दिल में और तो क्या रक्खा है: नासिर काज़मी की ग़ज़ल

June 3, 2025
badruddin-taiyabji
ओए हीरो

बदरुद्दीन तैयबजी: बॉम्बे हाई कोर्ट के पहले भारतीय बैरिस्टर

June 2, 2025
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.