विटामिन सी का सबसे अच्छा सोर्स आंवला, न केवल हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि कई और बीमारियों में रामबाण की तरह काम करता है. आइए जानें, नींबू के आकार के इस हरे फल के बारे में.
शीत ऋतु के फलों में सबसे अहम है आंवला. ऐसा इसलिए क्योंकि यह प्राचीन काल से ही शरीर के कायाकल्प के लिए इस्तेमाल होता रहा है. औषधीय गुणों में लगभग सभी फलों से कहीं आगे आंवला विटामिन सी की प्रचुर मात्रा के चलते बेहद ख़ास होता है. हम स्वस्थ रहने के लिए जिस च्यवनप्राशावलेह का सेवन करते हैं, आंवला उसका प्रमुख घटक है. अगर देसी सुपरफ़ूड्स की बात की जाए तो हल्के हरे रंग और अपनी बाहरी पर्त पर खड़ी रेखाओं वाला आंवला उस सूची का राजा होगा.
स्वाद और पोषक तत्व
आंवले का स्वाद कुछ-कुछ खट्टा, कुछ कड़वा और कसैला होता है. आंवले के पोषक तत्वों में शामिल हैं, 81.2% पानी, 0.5% प्रोटीन, 0.1% वसा, 14.1% कार्बोहाइड्रेट, 3.4% फ़ाइबर, 0.05% कैल्शियम, 0.02% फ़ॉस्फ़ोरस पाए जाते हैं. वहीं 100 ग्राम आंवले में 600 मिलीग्राम विटामिन सी और 1.02 मिलीग्राम आयरन मिलता है. आंवले की एक ख़ास बात यह है कि इसमें पाया जानेवाला विटामिन सी इसके सूखने पर नष्ट नहीं होता. जबकि सच तो यह है कि 100 ग्राम सूखे आंवले में 100 ग्राम ताज़ा आंवले की तुलना में अधिक विटामिन सी पाया जाता है. कई शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि जितना विटामिन सी 16 केलों और 3 संतरों में मिलता है, उससे अधिक मात्र एक आंवले में मिल जाता है. हर व्यक्ति को दिनभर में 75 मिलीग्राम विटामिन-सी की ज़रूरत होती है. थोड़े से आंवले के चूर्ण अथवा आंवले के रस का सेवन करने मात्र से ही यह तत्व आसानी से प्राप्त हो सकता है.
क्यों खाना चाहिए आंवला
सभी फलों की अपेक्षा आंवले में विटामिन सी की मात्रा सर्वाधिक होती है. जिसके चलते यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है. आंवला केशवर्धक एवं वीर्यवर्धक होता है. यह आंखों की ज्योति बढ़ाता है और रक्त को शुद्ध करता है. यह बात, पित्त, कफ-त्रिदोष-नाशक है. आंवला हर ऋतु में किसी भी प्रकृति, काल, स्थल और उम्र के लिए लोगों के सेवन के लिए सुरक्षित माना गया है.
मूत्र-संबंधी रोगों में आंवले का रस बहुत उपयोगो है. लगातार दो-तीन महीने तक आंवले का ताज़ा रस पीने से बांझपन की बीमारी और वीर्य की कमज़ोरी में काफ़ी लाभ होता है. आंवले का रस आंख की ज्योति बढ़ाने तथा बहरेपन को दूर करने की अचूक दवा है. इसके साथ ही कब्ज़, रक्तविकार, मंदाग्नि, रक्तस्राव और पीलिया आदि रोगों में भी यह बहुत गुणकारी है. ज्ञानतंतुओं और हृदय की कमज़ोरी में भी आंवला राहत प्रदान करता है.
आंवले के सेवन का सही तरीक़ा
आंवले के उपयोगी तत्त्वों का भरपूर लाभ उठाने के लिए उसके रस का सेवन करना सबसे अच्छा माना जाता है. आंवलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर उनके बीज अलग कर लेने चाहिए. फिर इन टुकड़ों को जूसर में डाल कर रस निकाल लेना चाहिए. आंवले को कद्दूकस पर घिस कर, बारीक़ एवं साफ़ कपड़े से छान कर भी उसका रस निकाला जा सकता है. पत्थर की सिल पर पीस कर भी आंवले का रस निकाला जा सकता है. आंवले को काटने के लिए लोहे के बजाय स्टील के चाकू का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि लोहे के संसर्ग में आने से आंवले के गुणों में ख़राबी आ जाती है.
यदि सुबह ख़ाली पेट आंवले का सेवन किया जाए, तो यह विशेष गुणकारी होता है. चूंकि आंवले का स्वाद कड़वा होता है, इसलिए इसे ज़्यादा मात्रा में नहीं खाया जा सकता. इसलिए अपेक्षित परिणाम की प्राप्ति के लिए आंवले के रस का ही सेवन करना चाहिए. आंवले का रस मुंह को स्वच्छ और स्वादयुक्त बनाता है. आंवले के रस को स्वादिष्ट बनाने के लिए आवश्यकतानुसार उसमें थोड़ा शहद अथवा गुड़ मिलाया जा सकता है. मुरब्बे अथवा किसी अन्य रूप में आंवले को खाने की अपेक्षा उसके शुद्ध रस का सेवन करना विशेष गुणकारी होता है.
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