• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home रिलेशनशिप एक्सपर्ट सलाह

यदि ‘सेक्स’ को गंदा माना जाता है तो भला ये क्यों होता है?

संगीत सेबैस्टियन by संगीत सेबैस्टियन
April 11, 2022
in एक्सपर्ट सलाह, ज़रूर पढ़ें, रिलेशनशिप
A A
यदि ‘सेक्स’ को गंदा माना जाता है तो भला ये क्यों होता है?
Share on FacebookShare on Twitter

 दुनिया के हर समाज में ‘सेक्स’ को गंदा माना जाता है, ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि यह हार्वड के एक साइकोलॉजिस्ट का कथन है. यदि सेक्स इतना ही बुरा है तो इस प्रक्रिया के दौरान आख़िर संतुष्टि या आनंद की वजह से हम और ख़ासतौर पर महिलाएं आवाज़ें क्यों निकालती हैं? इस बात की तह तक हमें ले जा रहे हैं वीवॉक्स के संस्थापक संगीत सेबैस्टियन.

यदि आपने कभी किसी महिला के साथ प्यार (सेक्स!) किया होगा तो आप मेरी इस बात को पूरी तरह समझ पाएंगे. भारतीय घरों में सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान आप चाहे कितने भी सेल्फ़ कॉन्शस क्यों न रहें, लेकिन बिस्तर पर पुरुषों से अधिक महिलाओं की आवाज़ें सुनाई देती हैं.

क्या यह बात आपको अजीब नहीं लगती? क्योंकि जब बात सेक्स की होती है तो हमें बताया जाता है कि पुरुषों के भीतर इसकी चाहत महिलाओं से ज़्यादा होती है. इस बात को लेकर कई वैज्ञानिक भी उलझन में हैं!

हार्वर्ड के साइकोलॉजिस्ट स्टीवन पिंकर ने दावा किया था कि ‘‘सभी समाजों में सेक्स को ‘गंदा’ माना जाता है. इसे निजता में अंजाम दिया जाता है…’’ तो पिंकर के लॉजिक के हिसाब से महिलाओं को तो सेक्स के दौरान आइडियली अपना मुंह बंद ही रखना चाहिए, बजाय इसके वे तो काफ़ी आवाज़ें निकालती हैं, जिससे पड़ोसियों और उनके पेट कुत्तों का ध्यान इस ओर आकर्षित होता है.

तो आख़िर ये ‘शर्मीली’ महिलाएं जो ‘एक ही विवाह’ करने वाली प्रजाति की हैं और जिनके लिए सेक्स केवल एक पत्नी का कर्तव्य है, उनका दायित्व है, भला वे ख़ुद पर ध्यान क्यों देंगी? वो भी तब, जबकि वे किसी ‘गंदी’ और निजी प्रक्रिया का हिस्सा हैं?

इन्हें भीपढ़ें

idris-hasan-latif

एयर चीफ़ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़: भारतीय वायुसेना के एक प्रेरक नायक

June 5, 2025
यहां मिलेंगे बारिश में झड़ते बालों को रोकने के उपाय

यहां मिलेंगे बारिश में झड़ते बालों को रोकने के उपाय

June 5, 2025
naushera-ka-sher_brig-mohd-usman

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान: नौशेरा का शेर

June 4, 2025
कल चौदहवीं की रात थी: इब्न ए इंशा की ग़ज़ल

कल चौदहवीं की रात थी: इब्न ए इंशा की ग़ज़ल

June 4, 2025

इस सवाल का जवाब हमें प्रकृति के और भी क़रीब ला सकता है!
उन्नीस सौ नब्बे के दशक में मानव व्यवहार के विकास का अध्ययन करते समय ब्रिटिश वैज्ञानिक स्टुअर्ट सेम्पल ने ध्यान दिया कि इस धरती पर मौजूद कई प्रजातियों में, जिनमें हमारे पूर्वज यानी बंदर भी शामिल हैं, मादाएं संभोग के ठीक पहले, इस प्रक्रिया के दौरान या फिर उसके तुरंत बाद आवाज़ करती हैं. वे ऐसा इस उद्देश्य के साथ करती हैं, ताकि आसपास मौजूद अन्य नरों को उकसा सकें. दूसरे शब्दों में कहें तो यह आवाज़ उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल होने का आमंत्रण होता है. सेम्पल ने जो बात जानी, वह कोई असाधारण खोज नहीं थी.

वैज्ञानिक स्टुअर्ट सेम्पल के जन्म से भी बहुत पहले चौथी शताब्दी के सेक्सोलॉजिस्ट, फ़िलॉसफ़र वात्स्यायन ने इसी से मिलती-जुलती बात कामसूत्र में लिखी थी. वात्स्यायन ने अपनी किताब में एक पूरा लेख इस बात पर केंद्रित किया था कि कैसे कोई महिला अपने मूड और कल्पना के मुताबिक़, आवाज़ का चुनाव कर सकती थी, बिल्कुल वैसे ही, जैसे आज वो किसी दुकान से कॉस्मेटिक ब्रैंड का चुनाव करती है.

प्राचीन भारत में संभोग के दौरान इन आवाज़ों के लिए-कबूतर, कोयल, हरे कबूतर, तोते, बुलबुल, बतख या हंस में से किसी एक आवाज़ का चुनाव किया जा सकता था. (अब यह पूछना तो बनता है ना कि क्या चौथी शताब्दी में भारती की महिलाएं पार्ट-टाइम पक्षी-विज्ञानी का काम भी किया करती थीं?)

इस विषय पर अपना स्वतंत्र काम कर रही शिकागो यूनिवर्सिटी की रिसर्चर गौरी प्रधान ने भी पाया कि संभोग में महिलाओं की संलिप्तता, जितनी अधिक होगी, यह आवाज़ भी उतनी ही अधिक होगी.

तो आख़िर पिंकर की ओर से सेक्स के लिए यह दावा कैसे आया कि सेक्स को ‘‘सभी समाजों में’’ गंदा माना जाता है?
यूं लगता है कि पिंकर ‘सेक्स’ को ले कर जिस चीज़ से परिचित थे वह शायद पश्चिम देशों में मौजूद क्रिश्चन इरोटोफ़ोबिया था, जो बाद में उपनिवेशवाद और मिशनरियों के ज़रिए पूरी दुनिया पर एक तरह से आरोपित कर दिया गया. वे लोग जो क्रिश्चनिटी से इतर अन्य आदर्शों पर भरोसा करते थे, उनकी सोच को सौम्यता से कुचल दिया गया और वो भी केवल पोप के आदेश पर, जिसकी जड़ें जीवविज्ञान, व्यवहार के विकास या फिर सांस्कृतिक परंपराओं में निहित तो बिल्कुल ही नहीं थीं.

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट

Tags: birds voiceerotophobiaPinkerSangeeth Sebastiansexsex talksexual relationssexual relationshipsStuart SempleVatsyayanvoices during sexVvoxwhy sex is considered badWomenइरोटोफ़ोबियापक्षियों की आवाज़ेंपक्षी की आवाज़पिंकरमहिलाएंवात्स्यायनवीवॉक्ससक्शुअल संबंधसंगीत सेबैस्टियनसेक्शुअल रिश्तेसेक्ससेक्स की बातेंसेक्स के दौरान आवाज़ेंसेक्स को बुरा क्यों माना जाता हैस्टुअर्ट सेम्पल
संगीत सेबैस्टियन

संगीत सेबैस्टियन

संगीत सेबैस्टियन, भारत के पहले डिजिटल थेरैपी प्लैटफ़ॉर्म वीवॉक्स के संस्थापक हैं, जिसे उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के डाक्टर्स के साथ मिलकर ऐसे लोगों की मदद के लिए बनाया है, जो सेक्स संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं. यह एक निजी, किसी भी तरह की ग्लानि से मुक्त और वाजिब प्लैटफ़ॉर्म है, जहां आप अपनी समस्याओं का वैज्ञानिक समाधान पा सकते हैं.

Related Posts

abul-kalam-azad
ओए हीरो

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: वैज्ञानिक दृष्टिकोण के पक्षधर

June 3, 2025
dil-ka-deep
कविताएं

दिल में और तो क्या रक्खा है: नासिर काज़मी की ग़ज़ल

June 3, 2025
badruddin-taiyabji
ओए हीरो

बदरुद्दीन तैयबजी: बॉम्बे हाई कोर्ट के पहले भारतीय बैरिस्टर

June 2, 2025
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.