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Home बुक क्लब कविताएं

कभी-कभार: दिलीप कुमार की कविता

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
September 7, 2023
in कविताएं, ज़रूर पढ़ें, बुक क्लब
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Dilip-Kumar_Poem
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सूरज के गुरुत्वाकर्षण से कहीं अधिक धरती को अगर किसी ने संभाले रखा है तो हर पर, हर किसी की उम्मीदों ने. तभी तो कहते हैं उम्मीद पर दुनिया क़ायम है. सच से रूबरू होने के बावजूद जिस तरह हर कोई उम्मीदों की डोर से बंधा है, उसी कसावट के साथ लिखी गई है लेखक-कवि दिलीप कुमार यह कविता ‘कभी-कभार’.

कभी-कभार
कभार तुम्हारा यूं ही मिल जाना
आंगन में उतरे हुए धूप के टुकड़े जैसा होता है
जिससे मिलकर गीली मिट्टी भी सोंधी हो जाती है

कभी-कभार तुम्हारा मिलना,
चूल्हे की उस आख़िरी रोटी जैसा बेहद ज़रूरी हो जाता है
जिससे भरता है सबसे आख़िरी रोटी को बनाने वाली का पेट

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कभी-कभार तुम्हारा मिलना
उस अल्हड़ प्रेमी के चेहरे पर
आई निश्छल मुस्कान की तरह लगता है
जो जानता है कि जिस लड़की की वजह से ये मुस्कान है
वह अगले साल कहीं और ब्याह दी जाएगी

कभी-कभार तुम्हारा मिलना
दो चोटी गूंथ कर साइकिल से
दूर शहर पढ़ने जाने वाली
देहाती लड़कियों के सपनों जैसा होता है
जो जानती हैं कि सपनों की उम्र लम्बी नहीं बची
मगर बदलाव लाने की जिद पाले वो लड़कियां
पैंडल मारती रहती हैं साइकिल के साथ ज़िंदगी पर भी

कभी-कभार तुम्हारा मिलना
खलिहान से उठे
उस अनाज की आख़िरी खेप
जैसा होता है
जिसे देखकर किसान की आंखों
में आती है चमक
कि अब घर में सभी लोग
पूरे साल आधे पेट नहीं सोएंगे
और थोड़े से ही सही मगर
बरसों से पाले गए कुछ सपने भी
शायद सच हो जाएंगे

पर तुम कभी-कभार ही
क्यों मिलती हो मुझे
क्या ऐसा नहीं हो सकता है
कि तुम मुझे अक्सर ही
मिल जाया करो
जिससे आंगन की गीली मिट्टी, चूल्हे की आख़िरी रोटी
अल्हड़ प्रेमी, देहाती लड़की और
खलिहान में किसान के
सपने सच हो जाया करें

Illustration: Pinterest

Tags: Aaj ki KavitaDilip KumarDilip Kumar Poem Kabhi-KabharDilip Kumar PoetryHindi KavitaHindi PoemKavitaआज की कविताकभी-कभारकवितादिलीप कुमारदिलीप कुमार की कविताहिंदी कविता
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हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

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