छोटी लेकिन मारक कविताओं में अदम गोंडवी का कोई सानी नहीं था. आज पेश है कबीर परंपरा के कवि रहे रामनाथ सिंह यानी अदम गोंडवी की एक कविता.
काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनाएं तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गई है यहां की नख़ास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूं मैं होशो-हवास में
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