मानव भावना की सबसे ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति को कविता कहते हैं. कई बड़े लेखकों को इस बात का मलाल जीवन भर रहा कि वे कविता नहीं लिख सके कभी. पर आज कविता लेखन की सबसे कम पढ़ी जानेवाली विधा बन गई है. कविता क्यों लगातार पिछड़ रही है, संवेदनशील कवि अरुण चन्द्र रॉय ने इस प्यारी से कविता में ख़ूबसूरती से बयां किया है.
आज जो चौकीदारी करता है
मेरे मोहल्ले में
वह जो चौक पर लगाता है
पंक्चर की दुकान
वही जो शाम को लगाएगा
भुट्टे का खोमचा
उबले हुए अण्डे की ठेली
सब्ज़ियों की दुकान
वह हमारी कविताओं में है,
हां, सही जानते हैं आप
उसे पढ़नी नहीं आती कविता
पढ़ना भी आता तो
कविता नहीं पढ़ता वह
किताबें देने पर कहता है
सुना दो, बाबूजी!
मैं कहता हूं,
कवि लिखता है
सुनाता नहीं है
वह हंसता है और गुनगुनाने लगता है
किसी फ़िल्म का प्रसिद्ध गीत
पहली बार कविता ऐसे ही हारी होगी
जब किसी कवि ने सुनाने से मना किया होगा कविता
किसी अन पढ़े-लिखे को
आओ, बैठो
सुनाता हूं मैं एक कविता
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