मशहूर अनुवादक रचना भोला ‘यामिनी’ ने अपने कविता संग्रह मन के मंजीरे में आत्मिक प्रेम की अनुभूतियों को बड़ी सहजता और ख़ूबसूरती से काग़ज़ पर उतारा है. प्रस्तुत है उसी संग्रह की एक कविता ‘मदमाता चुम्बन’.
न…
भला दो जोड़ी होंठ
आपस में मिलने से भी
कहीं लिपलॉक होता है?
प्रेम का चुम्बन वही
जिसमें होंठ भी
चुम्बन के एहसास से
कहीं परे हो जाएं
होंठों की कलियां खिलें,
अपनी ही महक में मदहोश हो इतरा उठें
उस मखमली एहसास की छुअन में
बिसरा दें अपना-आप
रूह का क़तरा-क़तरा लीन हो जाए ख़ुद में,
प्रेम का गहरा रंग बाक़ी
हर दूसरे रंग पर हावी हो उठे
घंटियों की हल्की मधुर टुनटुनाहट में,
दो मन एक हो कर
क़ायनात के सारे रहस्य खोल लें;
और देह की मांग से इतर
आत्मा का पूरा अस्तित्व,
चुम्बनों की मीठी मार से
सराबोर हो उठे…
खिल जाए उसका रोम-रोम,
तब होता है
प्रेम से भरा
मदमाता रसीला चुम्बन!
कवयित्री: रचना भोला ‘यामिनी’
कविता संग्रह: मन के मंजीरे
प्रकाशक: राजपाल ऐंड सन्स
Illustration: Pinterest
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