• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब कविताएं

मुझको इस आग से बचाओ मेरे दोस्तों: रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की कविता

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
July 15, 2022
in कविताएं, बुक क्लब
A A
Ramshankar-Yadav-Vidrohi_Kavita
Share on FacebookShare on Twitter

इतिहास की नाइंसाफ़ियों का ज़बर्दस्त दस्तावेज़ है जेएनयू के कवि कहलानवाले रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की लंबी कविता ‘मुझको इस आग से बचाओ मेरे दोस्तों’.

मैं साइमन
न्याय के कटघरे में खड़ा हूं
प्रकृति और मनुष्य मेरी गवाही दें
मैं वहां से बोल रहा हूं
जहां मोहनजोदाड़ो के तालाब की आख़िरी सीढ़ी है

जिस पर एक औरत की जली हुई
लाश पड़ी है
और तालाब में इंसानों की हड्डियां
बिखरी पड़ी हैं
इसी तरह एक औरत जली हुई लाश
आपको बेबिलोनियां में भी मिल जाएगी
और इसी तरह इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां
मेसोपोटामियां में भी

इन्हें भीपढ़ें

friendship

ज़िंदगी का सरमाया: शकील अहमद की ग़ज़ल

April 22, 2025
kid-reading-news-paper

ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा: राजेश रेड्डी की ग़ज़ल

April 21, 2025
इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025

मैं सोचता हूं
और बारहा सोचता हूं
कि आख़िर क्या बात है
कि प्राचीन सभ्यताओं
के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश मिलती है
और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां मिलती हैं
जिनका सिलसिला
सीथिया के चट्टानों से लेकर
बंगाल के मैदानों तक
और सवाना के जंगलों से लेकर
कान्हा के वनों तक चलता जाता है

एक औरत जो मां हो सकती है
बहिन हो सकती है
बीबी हो सकती है
बेटी हो सकती है
मैं कहता हूं
तुम हट जाओ मेरे सामने से
मेरा ख़ून कलकला रहा है
मेरा कलेजा सुलग रहा है
मेरी देह जल रही है
मेरी मां को, मेरी बहिन को, मेरी बीबी को
मेरी बेटी को
मारा गया है
मेरी पुरख़िनें
आसमान में आर्तनाद कर रही हैं

मैं इस औरत की जली हुई लाश पर
सर पटक कर जान दे देता
अगर मेरे एक बेटी ना होती दोस्तों!
और बेटी है जो कहती है
कि पापा तुम बेवजह ही
हम लड़कियों के बारे में
इतने भावुक होते हो
हम लड़कियां तो लकड़ियां होती हैं
जो बड़ी होने पर चूल्हे में लगा दी जाती हैं

…ये इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां
रोमन ग़ुलामों की भी हो सकती हैं दोस्तों !
और बंगाल के जुलाहों की भी
या अति आधुनिक
वियतनामी, फ़िलिस्तीनी बच्चों की
साम्राज्य आख़िर साम्राज्य होता है
चाहे रोमन साम्राज्य हो, ब्रिटिश साम्राज्य हो
या अत्याधुनिक अमरीकी साम्राज्य
जिसका एक ही काम होता है कि
पहाड़ों पर, पठारों पर, नदी किनारे
सागर तीरे, मैदानों में
इंसानों की हड्डियां बिखेर दें
जो इतिहास को तीन वाक्यों में
पेश करने का दावा करता है
कि हमने धरती पर शोले
भड़का दिए
कि हमने धरती में सरारे भर दिए
कि हमने धरती पर इंसानों की
हड्डियां बिखेर दीं
लेकिन मैं
स्पार्टकस का वंशज
स्पार्टकस की प्रतिज्ञाओं के साथ जीता हूं
कि जाओ!
कह दो सीनेट से
कि हम सारी दुनिया के ग़ुलामों को
इकठ्ठा करेंगे
और एक दिन रोम आएंगे ज़रूर
लेकिन हम कहीं नहीं जाएंगे
क्योंकि ठीक इसी समय
जब मैं
यह कविता आपको सुना रहा हूं
लातिन अमरीकी मज़दूर
महान साम्राज्य के लिए
कब्र खोद रहा है
और भारतीय मजदूर
उसके पालतू चूहे के बिलों में
पानी भर रहा है
एशिया से लेकर अफ्रीका तक
घृणा की जो आग लगी है
वो आग बुझ नहीं सकती है दोस्तों!
क्योंकि
वो आग, एक औरत की जली हुई लाश की आग है
वह आग इंसानों की बिखरी हुई हड्डियों की आग है

इतिहास में पहली स्त्री हत्या
उसके बेटे अपने बाप के कहने पर की
जमदग्नि ने कहा
वो परशुराम!
मैं तुमसे कहता हूं कि अपनी मां का वध कर दो
और परशुराम ने कर दिया
इस तरह पुत्र, पिता का हुआ और पितृसत्ता आई
पिता ने अपने पुत्रों को मारा
जाह्नवी ने अपनी पति से कहा
कि मैं तुमसे कहती हूं
कि मेरी संतानों को मुझमें डुबो दो
और राजा शांतनु ने अपनी संतानों को
गंगा में डुबो दिया
लेकिन शांतनु जाह्नवी का नहीं हुआ
क्योंकि राजा किसी का नहीं होता
लक्ष्मी किसी की नहीं होती
धर्म किसी का नहीं होता
लेकिन सब राजा के होते हैं
गाय भी, गंगा भी, गीता भी, गायत्री भी
और ईश्वर तो ख़ैर राजा के घोड़ों को घास ही छीलता रहा
बड़ा नेक था बेचारा
राजा का स्वामिभक्त
पर अफ़सोस है कि अब नहीं रहा
बहुत दिन हुए मर गया

…और जब मरा तो राजा ने उसे कफ़न भी नहीं दिया
दफ़न के लिए दो ग़ज़ ज़मीन भी नहीं दी
किसी को नहीं पता है कि ईश्वर को
कहां दफ़नाया गया

ईश्वर मरा अंततोगत्वा
और
उसका मरना ऐतिहासिक सिद्ध हुआ
ऐसा इतिहासकारों का मत है
इतिहासकारों का मत यह भी है कि
राजा भी मरा, उसकी रानी भी मरी
और उसका बेटा भी मर गया
राजा लड़ाई में मर गया
रानी कढ़ाई में मर गई
और बेटा!
कहते हैं पढ़ाई में मर गया

लेकिन राजा का दिया हुआ धन
धन नहीं रहा
धन वचन हुआ
और बढ़ता गया
और फिर वही बात
हर सभ्यता के मुहाने पर
एक औरत की जली हुई लाश
और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां
ये लाश जली नहीं है
जलाई गई है दोस्तों!
ये हड्डियां बिखरी नहीं,
बिखेरी गई हैं
ये आग लगी नहीं
लगाई गई है
ये लड़ाई
छिड़ी नहीं, छेड़ी गई है
लेकिन कविता भी लिखी नहीं
लिक्खी गई है
और जब कविता
लिक्खी जाती है तो आग भड़क जाती है

मैं कहता हूं तुम उसे
इस आग से बचाओ मेरे लोगों
पूरब के लोगों!
मुझे इस आग से बचाओ!
जिनके सुंदर खेतों को तलवार
की नोकों से जोता गया
जिनकी फसलों को रथों
के चक्कों से रौंदा गया
तुम पश्चिम के लोगों!
मुझे इस आग से बचाओ!
जिनकी स्त्रियों को बाज़ार में बेचा गया
जिनके बच्चों को चिमनियों मे झोंका गया
तुम उत्तर के लोगों!
मुझे इस आग से बचाओ
जिनके पुरखों की पीठ पर पहाड़ लादकर तोड़ा गया
तुम सुदूर दक्षिण के लोग!
मुझे इस आग से बचाओ
जिनकी बस्तियों को दावाग्नि में झोंका गया
जिनके नावों को अतल जलराशियों में डुबोया गया
तुम वे सारे लोग मिलकर मुझे बचाओ
जिसके ख़ून के गारे से
पिरामिड बनें, मिनारें बनीं
दीवारें बनीं
क्योंकि मुझको बचाना उस औरत को बचाना है
जिसकी लाश
मोहनजोदाड़ो की तालाब के आख़िरी सीढ़ी पर पड़ी है
मुझको बचाना
उन इंसानों को बचाना है
जिनकी हड्डियां तालाब में बिखरी पड़ी हैं
मुझको बचाना
अपने पुरखों को बचाना है
मुझको बचाना, अपने बच्चों को बचाना है
तुम मुझे बचाओ

Illustration: Pinterest

Tags: Aaj ki KavitaHindi KavitaHindi PoemKavitaRamashankar Yadav ‘Vidrohi’Ramashankar Yadav ‘Vidrohi’ Poetryआज की कविताकवितारमाशंकर यादव ‘विद्रोही’हिंदी कविता
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

democratic-king
ज़रूर पढ़ें

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता
कविताएं

पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

September 24, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.