• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

आप भी ज़रूर आनंद लीजिए अम्दावाद का

सुमन बाजपेयी by सुमन बाजपेयी
December 10, 2021
in ज़रूर पढ़ें, ट्रैवल, लाइफ़स्टाइल
A A
आप भी ज़रूर आनंद लीजिए अम्दावाद का
Share on FacebookShare on Twitter

अहमदाबाद, जिसे स्थानीय भाषा में अम्दावाद कहा जाता है, गुजरात का एक महत्वपूर्ण नगर है. यह भारत का सातवां सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र और गुजरात राज्य की पूर्व राजनैतिक राजधानी भी रहा है. गुजरात टूरिज़्म के सार्थक प्रयासों की वजह से गुजरात इस समय पसंदीदा पर्यटक स्थल बन चुका है. हाल ही में सुमन बाजपेयी ने इस शहर का भ्रमण किया और वे बता रही हैं कि अहमदाबाद में कौन-सी जगहें आपको ज़रूर देखना चाहिए.

अहमदाबाद में देखने के लिए इतना कुछ है कि समझ नहीं आता कि कहां से शुरुआत करें इसलिए मैंने तो एक सूची बनाने के बाद ही अपने भ्रमण की शुरुआत की. मेरे साथ और चार दोस्त थे. हमने यात्रा का आरंभ किया सिदी सैयद मस्जिद से. 1573 में बनी यह अहमदाबाद में मुग़लकाल के दौरान बनी आख़िरी मस्जिद है. मस्जिद के पश्चिमी ओर की खिड़की पर पत्‍थर पर बनी जाली का वह काम देखा जा सकता है, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. बाहर परिसर में पत्‍थर से ही नक्‍काशी और खुदाई करके एक पेड़ का चित्रांकन किया गया है, जो उस काल की शिल्‍प कौशल की विशिष्‍टता को दर्शाता है.

इन्हें भीपढ़ें

Fiction-Aflatoon

फ़िक्शन अफ़लातून प्रतियोगिता: कहानी भेजने की तारीख़ में बदलाव नोट करें

March 21, 2023
सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और उनके पक्षधरों को अपने संघर्ष ध्यान से चुनने होंगे

सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और उनके पक्षधरों को अपने संघर्ष ध्यान से चुनने होंगे

March 21, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

March 20, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)

फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)

March 18, 2023

बाज़ार और झूलता मीनार
यहां से हम पास ही बने बाज़ार की ओर बढ़े, जहां ख़रीदारी करने वाले लोगों की भीड़ थी. स्थानीय बाज़ार था, जहां हर तरह की चीज़ें मौजूद थीं, चूंकि हमें वहां से कुछ ख़रीदना नहीं था इसलिए हम सीधे ही बढ़ते हुए दो किलोमीटर दूर स्थित झूलता मीनार पहुंच गए. रेलवे स्टेशन के पास होने के कारण यहां हमेशा शोर-शराबा रहता है.


झूलता मीनार दो हिलती मीनारों का एक जोड़ा है, इनमें से एक सिदी बशीर मस्जिद के विपरीत सारंगपुर दरवाज़ा में स्थित है और दूसरी राज बीबी मस्जिद के विपरीत अहमदाबाद रेलवे स्‍टेशन के अंदर स्थित है. इस जोड़ी वाली मीनारों की ख़ास बात यह है कि जब एक मीनार हिलती है तो थोड़ी देर बाद दूसरी मीनार भी हिलती है. सिदी बशीर मस्जिद की मीनार, तीन मंज़िला है, जिसमें बालकनी में काफी नक्‍काशी की गई है और यह पत्‍थर की नक्‍काशी से डिज़ाइन की गई है. माना जाता है कि इसे सिदी बशीर के द्वारा बनवाया गया था, जो सुल्‍तान अहमद शाह का नौकर था. इसके हिलने का मुख्‍य कारण आज तक नहीं पता चला और इसके पीछे इसकी बनावट का कोई गहरा रहस्‍य छुपा हुआ है, ब्रिटिशों ने इसका कुछ हिस्‍सा नष्‍ट कर दिया था, जो आज तक सही नहीं किया जा सका.

कभी-कभी कुछ कमियां खलती हैं
दिल्ली दरवाज़ा की ओर बढ़ते हुए, जो मिर्जापुर रोड, शाहपुर में स्थित है, नज़र जाती है हथीसिंग जैन मंदिर की ओर. यहां एक ही बात की कमी खली कि फ़ोटो खींचने की मनाही है. इतने सुंदर शिल्प को कैमरे में क़ैद न कर पाना, किसी सज़ा से कम न था. 15वें जैन तीर्थंकर धर्मनाथ को समर्पित इस मंदिर को अहमदाबाद के एक व्‍यवसायी सेठ हथीसिंग की पत्नी ने उसकी याद में 1848 ईस्वी पूर्व में निर्माण करवाया था. सफ़ेद पत्‍थर से बना यह मंदिर एक उत्‍कृष्‍ट शिल्‍प कौशल का नमूना है. यह दो मंज़िला मंदिर वास्तुशिल्प के किसी चमत्कार से कम नहीं है. इसके दो किनारों पर नक्काशीदार गैलरी हैं. अहमदाबाद का इतना हिस्सा देखते-देखते शाम ढलने लगी थी.

यात्रा अगले दिन की
अगले दिन सुबह हमने सबसे पहले लॉ गार्डन के पास लगने वाले हैंडीक्राफ्ट का एक चक्कर लगाया. गुजराती पोशाकें, चनिया-चोली या आर्टिफ़िशल ज्वेलरी ही अधिक देखने को मिली. फिर हमने उस मस्जित का रुख़ किया, जो यहां से कुछ दूरी पर बनी है- मस्जिद सरखेज रोज़ा. अहमदाबाद के जादुई अतीत की याद दिलाती सरखेज रोज़ा परिसर है, जिसमें एक मस्जिद, मकबरा और महल है. पुरानी लेकिन सुंदर दिखने वाली इन इमारतों का समूह पानी के एक छोटे से तालाब के किनारे स्थित है, जिसका इस्तेमाल अहमदाबाद के शासक शरण लेने के लिए किया करते थे. इसमें एक बड़ा प्रार्थना कक्ष, प्रभावशाली गुंबद, विशाल अहाता और ज्यामितीय जाली लगी है, जिससे सूरज की दिशा बदलने के साथ ही फर्श पर पड़ने वाले प्रकाश की आकृति भी बदलती है. मस्जिद की वास्तुकला बेहद शानदार है. फ्रांसीसी वास्तुकार ले कोर्बसर ने मस्जिद के डिज़ाइन की तुलना ग्रीस में मौजूद एथेंस के मशहूर आर्कोपोलिस से की थी, जिसके कारण इसे अहमदाबाद का आर्कोपोलिस भी कहा जाता है.

यह देखना तो बनता ही है!
अहमदाबाद में हों और अक्षरधाम मंदिर न देखें, ऐसा संभव नहीं है. वर्ष 1992 में निर्मित, अहमदाबाद के गांधी नगर में स्थित अक्षरधाम मंदिर गुजरात के प्रमुख सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है. भगवान स्वामीनारायण की सात फ़ीट ऊंची, सोने की पत्ती वाली मूर्ति का परिसर का केंद्र बिंदु है. राजसी, जटिल नक्काशीदार पत्थर की संरचना, विशाल बगीचों के बीच स्थित है. स्मारक के निर्माण में छह हज़ार टन गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया था, जिसे एक वास्तुकला कृति माना जाता है. इस मंदिर की बारीक़ नक्काशीदार दीवारों पर गुलाबी पत्थर लगा है, जो दिन में सूरज की रोशनी में चमकता रहता है. हरे-भरे पेड़-पौधों से सज्जित इस मंदिर की ख़ासियत है सुंदर झरने और झीलें. यहां एक ही छत के नीचे कला, वास्तुकला, शिक्षा, अनुसंधान और प्रदर्शनियों के विभिन्न पहलुओं को एक साथ देखा जा सकता है. रात को यहां लेज़र शो होता है, जो तकनीक और परंपरा का अनोखा संगम है.
अहमदाबाद में आने के बाद अगर यहां के सबसे प्रसिद्ध बाज़ार मानेक चौक नहीं गए तो यात्रा अधूरी ही रह जाएगी और रोमांचक भी नहीं बन पाएगी. इस बाज़ार की तस्वीर दिन में तीन बार बदलती है. सुबह यह बाज़ार वनस्पति बाज़ार के रूप में दिखता है तो दोपहर में एक गहनों और कपड़ों के बाज़ार के रूप में और शाम को भोजन बाज़ार के रूप में. शाम के समय यह बाज़ार पूरी तरीह से फ़ास्ट-फ़ूड के ठेलों से घिरा रहता है. हमने यहां ख़ूब छक कर खाया.

अहमदाबाद कैसे पहुंचें?
हवाई जहाज से
अहमदाबाद में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के अलावा गुजरात में 10 घरेलू हवाई अड्डे हैं. ज़्यादातर घरेलू एयरलाइनें इस राज्य को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ती हैं.
रेल मार्ग से
गुजरात का रेलवे नेटवर्क बहुत अच्छा है. रेल से यह राज्य अपने अंदरूनी शहरों और राज्य के बाहर भारत के बाक़ी हिस्सों भी अच्छी तरह जुड़ा है.
सड़क से
गुजरात का सड़क नेटवर्क भारत के अन्य राज्यों के मुक़ाबले बहुत अच्छा है. राज्य में सड़कों की कुल लंबाई 68,900 किलोमीटर है, जिसमें से 1572 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग है. इससे गुजरात पहुंचना बहुत सुलभ है. ज़्यादातर बड़े शहरों से राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों तक गुजरात राज्य परिवहन निगम की और निजी बसें नियमित तौर पर चलती हैं.

Tags: AhmedabadAhmedabad SightseeingGujaratHatising Jain TempleJhulta MinarManek ChowkSidi Syed MosqueSightseeingSuman Bajpayeeअहमदाबादअहमदाबाद की सैरगुजरातझूलता मीनारमानेक चौकसिदी सैयद मस्जिदसुमन बाजपेयीसैर-सपाटाहथीसिंग जैन मंदिर
सुमन बाजपेयी

सुमन बाजपेयी

सुमन बाजपेयी को पत्रकारिता और लेखन का लंबा अनुभव है. उन्होंने चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट से करियर की शुरुआत की. इसके बाद जागरण सखी, मेरी संगिनी और फ़ोर डी वुमन पत्रिकाओं में संपादकीय पदों पर काम किया. वे कहानियां और कविताएं लिखने के अलावा महिला व बाल विषयों पर लिखती हैं. उनके छह कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने 160 से अधिक किताबों का अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद किया है. फ़िलहाल वे स्वतंत्र लेखन कर रही हैं.

Related Posts

फ़िक्शन अफ़लातून#11 भरा पूरा परिवार (लेखिका: पूजा भारद्वाज)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#11 भरा पूरा परिवार (लेखिका: पूजा भारद्वाज)

March 18, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#10 द्वंद्व (लेखिका: संयुक्ता त्यागी)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#10 द्वंद्व (लेखिका: संयुक्ता त्यागी)

March 17, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#9 सेल्फ़ी (लेखिका: डॉ अनिता राठौर मंजरी)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#9 सेल्फ़ी (लेखिका: डॉ अनिता राठौर मंजरी)

March 16, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • टीम अफ़लातून

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist