• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब क्लासिक कहानियां

जम्बक की डिबिया: शक़ और ग़लतफ़हमी की कहानी (लेखिका: सुभद्रा कुमारी चौहान)

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
March 23, 2022
in क्लासिक कहानियां, बुक क्लब
A A
जम्बक की डिबिया: शक़ और ग़लतफ़हमी की कहानी (लेखिका: सुभद्रा कुमारी चौहान)
Share on FacebookShare on Twitter

चोरी का शक़ सबसे सबसे पहले ग़रीब आदमी पर जाता है. शक़ और ग़लतफ़हमी की एक मार्मिक कहानी है सुभद्राकुमारी चौहान की जम्बक की डिबिया.

‘इस जम्बक की डिबिया से मैंने एक आदमी का ख़ून जो कर डाला है, इसलिए मैं इससे डरता हूं. मैं जानता हूं कि यही जम्बक की डिबिया मेरी मौत का कारण होगी,’ प्रोफ़ेसर साहब ने कहा और कुर्सी पर टिक गए. उसके बाद हम सभी लोगों ने उनसे पूछा,‘जम्बक की डिबिया से मनुष्य की हत्या आख़िर हो ही कैसे सकती है?’
सिगरेट बुझाकर ऐश-ट्रे पर फेंकते हुए प्रोफ़ेसर साहब ने कहा, बात उन दिनों की है जब मैं बी.ए. फ़ाइनल में पढ़ता था. केठानी हमारे घर का पुराना नौकर था, बड़ा मेहनती, बड़ा ईमानदार. महीनों हमारी मां जब घर के बाहर रहती थी, वह सारे घर की देखभाल करता था. एक चीज़ भी कभी इधर से उधर न हुआ था. एक बार यही बरसात के दिन थे. मेरी छोटी बहिन के शरीर पर लाल-लाल दाने से उठ आए थे औए उसके लिए मैं एक जम्बक की डिबिया ख़रीद लाया. मेरी मां मशीन के सामने बैठी कपड़े सी रही थी. आसपास बहुत से कपड़े पड़े थे. वहीं मैंने वह डिब्बी खोली. बहिन के दानों पर जहां-तहां लगाया और डिब्बी मां के हाथ में दे दी. पास ही केठानी खड़ा-खड़ा धुले हुए कपड़ों की तह लगा रहा था. जब मैं बहिन के दानों पर जम्बक लगा चुका तब केठानी ने उत्सुकता से पूछा,‘काय भैया! ई से ई सब अच्छो हुई जई हैं?’
मैंने कहां,‘हां खाज़, फोड़ा, फुंसी, जले-कटे सब जगह यह दवा काम आती है.’ इसके बाद केठानी अपने काम में लग गया और मैं बाहर चला गया.
शाम को जब मैं घूम कर लौटा तो देखा घर में एक अजीब प्रकार की चहल-पहल है. मां कह रही थी,‘बिना देखे कैसे किसी को कुछ कहा जा सकता है. कहां गई? कौन जाने.’
बड़ी बहिन कह रही थी,‘उसे छोड़कर और ले ही कौन सकता है. कल उसकी भावज आई थी न. उसके लड़के के सिर में भी बहुत सारी फुंसियां थीं.’
पिताजी कह रहे थे,‘कहीं महराजिन न ले गई हो. अखिल उससे कह रहा था यह गोरे होने की दवा है. लड़के भी तो तुम्हारे सीधे नहीं हैं.’
पास ही बैठा अखिल पढ़ रहा था. पिताजी की बात में दिलचस्पी लेते हुए वह बोला,‘बापू, महराजिन तो हमेशा गोरे होने की ही फिकर में रहती है. फिर मुझसे पूछा कि यह क्या है, सो मैंने भी कह दिया कि गोरे होने की दवा है.’
केठानी अपनी कोठरी में रोटी बना रहा था. उसे बुलाकर पूछा गया तो उसने कहा,‘जब भैया लगाई हती आपने तो तबै देखी रही, फिर हम नहीं देखन सरकार.’
मुझे क्रोध आ गया, बोला,‘तो डिबिया पंख लगाकर उड़ गई?’
केठानी ने मेरी तरफ़ देखा, बोला,‘भैया…’
मैंने कहा,‘चुप हो! मैं कुछ नहीं सुनना चाहता. सुबह मैं डिब्बी लाया और इस समय ग़ायब हो गई. यह सब तुम्हीं लोगों की बदमाशी है.’
केठानी कुछ न बोला वहीं खड़ा रहा और मैं अपने कमरे में चला गया. मैंने सुना, वह मां से कह रहा था,‘मालकिन चल के मोर कोठरी खोली देख लेई-मैं का करिहौं दवाई ले जाई के? फिर जऊन चीज लागी मैं मांग न लईहौं सरकार से?’
मैं कोट उतार रहा था. न जाने मुझे क्यों क्रोध आ गया और कमरे से निकल कर बोला,‘चले जाओ अपना हिसाब लेकर. हमें तुम्हारी ज़रूरत नहीं है…’
आख़िर मां ने बहुत समझाया पर हम सब भाई-बहिन न माने और मां ने केठानी को बहुत रोकना चाहा और वह यही कहता रहा,‘जब तक भैया माफ़ न कर देंगे, अपने मुंह से मुझसे रुकने को न कहेंगे, मैं न रहूंगा.’
और मैंने न केठानी से रुकने को कहा न वह रुका, हमारे घर की नौकरी छोड़कर वह चला गया. पर घर के सब लोगों को वह प्यार करता था. वह गया ज़रूर पर तन से गया मन से नहीं. मां को भी उसका अभाव बहुत खटका और मुझे तो सबसे ज़्यादा उसका अभाव खटका. वह मेरे कमरे को साफ़ रखता था, सजाकर रखता था, फूलों का गुलदस्ता नियम से बनाकर रखता था. मेरी ज़रूरतें बिना बताए समझ जाता और पूरी करता था, पर जिद्दी स्वभाव के कारण चाहते हुए भी मैं मां से कह न सका कि केठानी को बुला लो जो कि मैं ह्रदय से चाहता था. एक दिन मां ने कहा कि केठानी रायसाहब के बंगले पर गारा-मिट्टी का काम करता है. मैंने सुना, मेरे दिल पर ठेस लगी. बूढ़ा आदमी, डगमग पैर, भला वह गारा-मिट्टी का काम कैसे कर सकेगा? फिर भी चाहा की यदि मां कहे की केठानी को बुला लेती हूं तो मैं इस बार ज़रूर कह दूंगा की हां बुला लो पर इस बार मां ने केवल उसके गारा-मिट्टी ढोने की ख़बर भर दी और उसे फिर से नौकर रखने का प्रस्ताव न किया. एक दिन मैं कॉलेज जा रहा था. देखा केठानी सिर पर गारे का तसला रखे चाली पर से कारीगरों को दे रहा है. चालीस फ़ुट ऊपर चाली पर चढ़ा आह बूढ़ा केठानी, खड़ा काम कर रहा था. मेरी अंतरात्मा ने मुझे काटा. यह सब मेरे कारण है और मैंने निश्चय कर लिया कि शाम को लौट कर मां से कहूंगा अब केठानी को बुला लो. वह बहुत बूढ़ा और कमज़ोर हो गया है. इतनी कड़ी सज़ा उसे न मिलनी चाहिए. दिन भर मुझे उसका ख़्याल बना रहा. शाम ज़रा जल्दी लौटा. रास्ते पर ही रायसाहब का घर था. मजदूरों में विशेष प्रकार की हलचल थी. सुना कि एक मजदूर चाली पर से गिरकर मर गया. पास जाकर देखा वह केठानी था. मेरा हृदय एक आदमी की हत्या के बोझ से बोझिल हो उठा. घर आकर मां से सब कुछ कहा,‘मां उसके कफ़न के लिए कोई नया कपड़ा निकाल दो!’
मां अपने सीने वाली पोटली उठा लाईं. नया कपड़ा निकलने के लिए उन्होंने ज्यों ही पोटली खोली जम्बक की डिबिया खट से गिर पड़ी.

Illustration: Pinterest

इन्हें भीपढ़ें

friendship

ज़िंदगी का सरमाया: शकील अहमद की ग़ज़ल

April 22, 2025
kid-reading-news-paper

ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा: राजेश रेड्डी की ग़ज़ल

April 21, 2025
इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
Tags: Famous writers storyHindi KahaniHindi KahaniyaHindi KahaniyainHindi StoryHindi writersJambak ki DibiyaKahaniKahaniyaSubhadra Kumari ChauhanSubhadra Kumari Chauhan ki kahaniSubhadra Kumari Chauhan ki kahani Jambak ki DibiyaSubhadra Kumari Chauhan storiesकहानीजम्बक की डिबियामशहूर लेखकों की कहानीसुभद्रा कुमारी चौहानसुभद्रा कुमारी चौहान की कविताहिंदी कहानियांहिंदी कहानीहिंदी के लेखकहिंदी स्टोरी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

democratic-king
ज़रूर पढ़ें

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता
कविताएं

पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

September 24, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.