क्या आपने आइस ऐप्पल यानी ताड़गोला माने ताड़ का फल या फिर मुंजकाय… खाया है कभी? गर्मियों की छुट्टियों में ननिहाल जाने की ख़ुशी तो ख़ूब होती थी, ख़ुशियों की गिनती के बीच कुछ ऐसी चीज़ें थीं, जिनकी वजह से ननिहाल के लिए आकर्षण कई गुना ज़्यादा बढ़ जाता था, उनमें से एक ख़ास वजह थी समंदर और समंदर के किनारे लगे घने नारियल और ताड़ के पेड़. और आज मैं आपको ताड़ के फलों के बारे में बताने जा रहा हूं, जो गर्मी के मौसम में आते हैं और इनके ढेर सारे सेहत से जुड़े फ़ायदे भी हैं!
मेरा ननिहाल आंध्रप्रदेश का समुद्र तटीय हिस्सा रहा है. घर के बाड़े में नारियल, ताड़, चीकू और आम के ख़ूब सारे पेड़ लगे हुए थे. हम लोग जैसे ननिहाल पहुंचते, नारियल और ताड़ के ऊंचे ऊंचे पेड़ों से उनके फलों को उतारने की व्यवस्था सबसे पहले की जाती थी. ताज़े ताज़े ताड़ के फल मेरे पसंदीदा रहे हैं. हम लोगों के लिए नियमित तौर से हर दिन ताड़ के फल और नारियल फलों की व्यवस्था तैयार रहती थी. मेरे तातगारु (नानाजी) अपनी लुंगी समेटते हुए आराम में बाड़े में बैठ जाते, फल तोड़ने वाला एक्स्पर्ट फल तोड़कर पेड़ से नीचे उतरता और तातगारु आवाज़ लगाकर हम लोगों को पुकारते और मुंजिकाय (ताड़ के फल का तेलुगु नाम) का पल्प निकालकर खिलाते. हम लोगों के लिए इससे बड़ी ट्रीट और क्या होती? नानी ताज़े ताड़ के फलों का शर्बत भी बनाती थी. मेरे नाना बताया करते थे कि गर्मियों से लड़ने के लिए ताड़ का फल सबसे बेहतर उपाय है.
पानी की कमी को दूर करता है
क़रीब चार बरस पहले, बेंगलुरू से तिरुपति की यात्रा पर था, कर्नाटक बॉर्डर के बाद आंध्रप्रदेश के गंगावरम में ताड़ के ख़ूब सारे पेड़ों के बीच बने एक छोटे से रेस्तरां में कुछ देर रुका. वहां आराम से बैठकर 250 ग्राम ताड़गोला (ताड़ के फल का पल्प)खाया. जो बुज़ुर्ग महिला इसे बेच रही थी, उन्होंने बताया कि ये पल्प गर्मियों से बचने के लिए बेशक़ीमती है. उन्होंने बताया कि बच्चों को लू लग जाए, दस्त हो रहे हों तो ताज़े पल्प (50 ग्राम) को आधा गिलास पानी के साथ मसलकर बगैर शक्कर या नमक के, सीधे पिलाया जाए तो शरीर में पानी की कमी को दूर करने के अलावा ये कमज़ोरी भी दूर करता है, वयस्कों को 100-150 ग्राम पल्प एक गिलास पानी में मसलकर दिया जाना चाहिए. एक बात और उन्होंने बताई कि इसके फल ज़्यादा पक जाएं या पिलपिले होने लगे तो ज़्यादा मात्रा में नहीं खाया जाना चाहिए, ऐसे फलों को खाने से पेट दर्द हो सकता है.
त्वचा के लिए भी है बेहतरीन
साउथ एशिया बायोडायवर्सिटी कॉन्फ़रेंस के सिलसिले में जब बांग्लादेश गया था तो वहां भटकते हुए ढाका मावा एक्सप्रेस हाइवे पर स्रीनगर के पास ताड़ पल्प से बनी अनोखी रेसिपी ताल मालपुआ खाया था. वहां एक साथी स्थानीय वैज्ञानिक मित्र ने बताया था कि पारंपरिक तौर से इस पल्प को चेहरे और शरीर पर मसलकर लगाया जाता है, स्किन इन्फ़ेक्शन और दाग़ धब्बों को दूर करने में ये कारगर होता है. इस फल का लसलसा पल्प सन-बर्न होने पर भी काम करता है और त्वचा जल जाने पर भी इसे पेस्ट करने पर तुरंत राहत मिलती है.
डायबिटीज़ वाले भी खा सकते हैं
अब दीपक आचार्य का अनुभव भी जान लें. भीषण गर्मी के दौर में शरीर में ऊर्जा लाने, थकान दूर करने और शरीर के इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस को बनाए रखने के लिए ताज़ा ताड़गोला 200 ग्राम दिन में एक बार खाया जाना चाहिए. ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने की वजह से ताड़गोला डायबेटिक्स के लिए भी उत्तम है. ध्यान ये रखना है कि इसे रेफ्रिजरेट ना करें, हाथ में फल आते ही चट्ट कर जाएं… थोड़ा भटको, तो ये फल मिल जाएगा आपको.
नीरा पीजिए कभी
अब चलते हैं अहमदाबाद (गुजरात), कभी यहां जाएं तो लाल दरवाजा बस स्टैंड के पास नीरा बिकता हुआ मिलेगा, लाजवाब स्वाद होता है नीरा का. नीरा दरअसल, ताड़ के फूलों (पुष्पक्रम) और फलों रस होता है. तमाम तरह के माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रिएंट्स इसमें पाए जाते हैं. शाम होते ही नीरा सेंटर्स पर भीड़ देखकर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये किस कदर प्रचलित है.
क्या ग़ज़ब देश है अपना! इतने सारे मौसम, इतने सारे फल, इस समृद्ध हमारे देश का ज्ञान. कसम से बड़े किस्मतवाले हैं हम भारतीय. जब भी देसी मौसमी फल देखें, टूट पड़िए… गर्मियां सर पर हैं, ताड़गोला मिल जाए तो चूकना मत… अंग्रेजी में इसे आइस ऐप्पल कहते हैं. ताड़, तार, ताड़गोला, मुंजकाय, नुंगु, खाजा, ताल… सब इसी के नाम हैं. ये इसलिए बता रहा हूं, ताकि इसका नाम चाहे जो भी हो आपके क्षेत्र में, आप गर्मियों में इसे खाएं ज़रूर.
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