अथाह दुख में भी इस बात से राहत मिली कि नैतिकता जीवित है: शरद सिंह की डायरी
हाल ही में बहुत कम अंतराल के बीच लेखिका, सम्पादक शरद सिंह ने पहले अपनी मां को हार्ट अटैक के ...
हाल ही में बहुत कम अंतराल के बीच लेखिका, सम्पादक शरद सिंह ने पहले अपनी मां को हार्ट अटैक के ...
मां कहने को तो एक शब्द है, पर जब इसे परिभाषित करने जाएं तो दुनिया के सारे शब्द कम पड़ ...
जैसे-जैसे समय बदलता है हर चीज़ बदलती है. मातृत्व और उसका अनुभव भी समय के साथ थोड़ा-थोड़ा बदल जाता है. ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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