नूर मियां: रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की कविता
अपनी कविताओं में अपने जीवन की छोटी-मोटी घटनाओं का बरबस ज़िक्र करके समाज के तानेबाने और देश-दुनिया की स्थिति बयां ...
अपनी कविताओं में अपने जीवन की छोटी-मोटी घटनाओं का बरबस ज़िक्र करके समाज के तानेबाने और देश-दुनिया की स्थिति बयां ...
जेएनयू परिसर के मशहूर कवि रहे रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की लंबी कविता कथा देश की में हमें भारत के साथ-साथ ...
अपने भूखे पेट को भरने की जुगत करते-करते एक समय आता है जब इंसान भगवान के अस्तित्व पर सवाल खड़े ...
धरम की बनावट और समाज के ताने-बाने में इसकी बुनावट को कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की यह कई परतों को ...
जेएनयू कैम्पस के कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ लीक से हटकर कविताएं करते थे. उनकी कविताओं का इतिहास बोध कमाल होता ...
जेएनयू कैम्पस के अपने कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ अपनी कविताओं से समाज के दोहरे चेहरे को उघाड़ने में ज़रा भी ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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