कहते हैं मनुष्य ईश्वर की सबसे ख़ूबसूरत रचना है और मनुष्यों में भी स्त्री उसकी रचनात्मकता का सर्वोच्च उदाहरण है. जाने-माने कवि अरुण चन्द्र रॉय की कविता ‘तथास्तु’ स्त्री की रचना करते ईश्वर की तस्वीर बनाती है.
ईश्वर ने
पत्थर बनाए और उनमें भर दी दृढ़ता
फिर उसने बनाईं नदियां और उनमे भर दी चंचलता
ईश्वर ने बनाया वृक्ष और उनके भीतर भर दिया हरापन
उसी ईश्वर ने बनाई मिट्टी और धीरज भर दिया उसके कण-कण में
ईश्वर ने ही बनाया अग्नि को और उसमे भरा तेज़
फिर ईश्वर ने पत्थर से ली उधार दृढ़ता,
नदी से चंचलता,
वृक्ष से हरापन,
मिट्टी से धीरज
और अग्नि से तेज़
और बनाया स्त्री को
ईश्वर ने
उसके रोम-रोम में भर दिए
करुणा और प्रेम
फिर ईश्वर
तथास्तु कहकर चला गया पृथ्वी से
स्त्री के बाद कुछ और शेष नहीं सृष्टि में!
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