यह उपन्यास हमारी समाज के ऐसे आयाम पर प्रकाश डालता है, जिसे हम छिपाना चाहते हैं। जबकि इसे बताकर हम आने वाली कई ज़िंदगियों को बचा सकते हैं। यह किताब आपको पहले से लेकर आखिरी पन्ने तक बांधकर रखती है। इसका सस्पेंस और घटना क्रम इसे एक बार में ही ख़त्म करने के लिए प्रेरित करते हैं। उपन्यास के समीक्षक आयुष दुबे का ये भी कहना है कि किताब को पूरा पढ़कर आप अपराध, रोमांच की वह यात्रा करते हैं, जो आज के युवा ग्लैमर के कारण करते हैं।
पुस्तक: ज़ायरा
विधा: उपन्यास
लेखिका: डॉ. विनीता ढोंडियाल भटनागर
प्रकाशक: लॉकशेली पब्लिशिंग एलएलपी
भाषा: अंग्रेज़ी
भोपाल स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में ह्यूमेनिटी की प्रोफ़ेसर, अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी डॉ. विनीता ढोंडियाल भटनागर द्वारा लिखित उपन्यास “ज़ायरा” रोमांच से भरा है। उपन्यास की कहानी एक युवा महिला के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी आदर्श (एक अभिनेत्री लैला) की तरह ही लोकप्रिय और प्रसिद्ध होना चाहती है। लेकिन अपनी पसंदीदा नायिका की मौत की सच्चाई का पता लगाते हुए, उसे ऐसे भयावह सच का पता चलता है, जिससे वह अंदर तक कांप उठती है।
ज़ायरा को ड्रग्स के बड़े रैकेट की सच्चाई पता चलती है। उपन्यास पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि जैसे ड्रग माफ़िया की जानकारियों को लेखिका ने बड़े ही शोध के साथ अपने उपन्यास में रेखांकित किया है। ड्रग माफ़िया को प्रतिबिंबित करने में यह उपन्यास काल्पनिक न लगकर, किसी सच्ची घटना की तरह लगता है। यह उपन्यास हमारी समाज के ऐसे आयाम पर प्रकाश डालता है, जिसे हम छिपाना चाहते हैं। जबकि इसे बताकर हम आने वाली कई ज़िंदगियों को बचा सकते हैं। ऐसी वास्तविकता से परिचय को ख़ास बनाता है।
“ज़ायरा” भोपाल की ज़ायरा नाम की एक कॉलेज छात्रा की यात्रा का अनुसरण करता हुआ उपन्यास है, जिसमें वह लोकप्रिय और प्रसिद्ध होने के अपने सपनों और अपने परिवार की सुसंस्कृत पारंपरिक अपेक्षाओं के बीच की जटिलता को समझती है। साथ ही यह किताब सामाजिक दबाव, बॉलीवुड के अंधेरे पक्ष और बॉलीवुड की भयावह दुनिया को भी दर्शाती है।
यह किताब आपको पहले से लेकर आखिरी पन्ने तक बांधकर रखती है। इसका सस्पेंस और घटना क्रम इसे एक बार में ही ख़त्म करने के लिए प्रेरित करते हैं। लेखिका ने हर एक किरदार को इस तरह से चित्रित किया है कि आप हर किरदार की कहानी को महसूस कर सकते हैं, उससे जुड़ सकते हैं। उपन्यास में ज़ायरा की उल्लेखनीय यात्रा की एक विशेषता यह भी है कि इसकी भाषा बेहद सरल है, इतनी सरल कि आम हिंदी भाषी व्यक्ति भी अंग्रेज़ी में लिखी गई इस किताब को आसानी से पढ़ सकता है। प्रवाह ऐसा है कि पाठक किताब से बंधकर रहता है।
यह किताब ज़ायरा और लैला के अलावा जय और राज्यवर्धन सिंह जैसे किरदारों के इर्द-गिर्द भी घूमती है। जय, जो ज़ायरा का एकमात्र दोस्त है। वो ज़ायरा को सहारा और स्थिरता प्रदान करता है। लैला, जिसे ज़ायरा पसंद करती है और राज्यवर्धन सिंह, लैला का प्रेमी और साथी। राज्यवर्धन सिंह, ज़ायरा की महत्वाकांक्षाओं से जुड़ी कहानी में जटिलता जोड़ता हैं और उसे ऐसे ख़तरे का सामना करना पड़ता है, जिसकी उसने कभी उम्मीद नहीं की थी। किताब को पूरा पढ़कर आप अपराध, रोमांच की वह यात्रा को करते हैं, जो आज के युवा ग्लैमर के कारण करते हैं।