सुबह की नींद: मंगलेश डबराल की कविता
क्यों सुबह की नींद एक स्त्री जैसी होती है? बता रही है दिवंगत कवि मंगलेश डबराल की यह ख़ूबसूरती-सी कविता....
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समाज की विसंगतियों को अपनी कहानियों में स्थान देनेवाले कहानीकार भगवतीचरण वर्मा की यह कहानी आपने स्कूली दिनों में पाठ्यपुस्तक...
डाइटीशियन्स आपको यूं ही फल खाने की सलाह नहीं देते हैं, बल्कि इन फलों में मौजूद विटामिन्स, मिनरल्स, फ़ाइबर्स और...
हर बीतते दिन के साथ, बहुत कुछ पीछे छूट जाता है. कैलेंडर के पन्नों के बदलते ही काफ़ी कुछ बदल...
हाल ही में बहुत कम अंतराल के बीच लेखिका, सम्पादक शरद सिंह ने पहले अपनी मां को हार्ट अटैक के...
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यदि सतर्क रहा जाए, सजग रहा जाए तो आप किसी भी परिस्थिति में अपनी ज़िंदगी को सही दिशा दे सकते...
यदि आज के समय में, जबकि मास्क पहनना बेहद ज़रूरी है, आपका किसी ऐसे समारोह में जाना बहुत ही ज़रूरी...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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