पिता का चश्मा: मंगलेश डबराल की कविता
कहते हैं बुढ़ापा भी एक तरह का बचपना होता है. पिता के चश्मे को माध्यम बनाकर लिखी गई यह कविता...
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कहते हैं बुढ़ापा भी एक तरह का बचपना होता है. पिता के चश्मे को माध्यम बनाकर लिखी गई यह कविता...
उर्दू के महान लेखक मंटो विभाजन पर आधारित कहानियों के लिए जाने जाते थे. कहानी वह लड़की हिंदू-मुस्लिम दंगों की...
समय के साथ-साथ होने वाले बदलावों में एक बदलाव शालीनता और अशालीन होने की परिभाषा में भी आता है. आप...
किसी ऐतिहासिक, धार्मिक और आस्था के केंद्र रहे तीर्थ स्थल का पर्यटन स्थल में बदल जाना उससे प्रेम करने वाले...
जैनेंद्र कुमार की यह कहानी एक क्रांतिकारी पति और उसकी पत्नी के खट्टे-मीठे संबंधों को बड़ी ही नफ़ासत से बयां...
उर्दू शायरियां न केवल शब्दों की ख़ूबसूरती और अपनी तहजीब के लिए जानी जाती हैं, पर उनमें छोटी-छोटी सलाहतें भी...
जो जैसा दिखता है वह होता नहीं, दुनिया के कई-कई चेहरे और चरित्र हैं. राहत इंदौरी की यह ग़ज़ल दुनिया...
अच्छे दिनों का बेसब्री से इंतज़ार करती गोपालदास सक्सेना नीरज की यह कविता आपको एक साथ हालात के सकारात्मक और...
कुछ लोग दूसरों के दुख को अपना समझकर पूरी तन्मयता से उनकी मदद में जुट जाते हैं. ऐसा ही है...
जहां विडंबना है, विरोधाभास है, वहां कविता है. कृषि प्रधान देश भारत में कृषकों की हालत को बयां करती अरुण...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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