बेकरी में आटा गूंधनेवाले 26 आदमियों और उनसे रोज़ाना मिलनेवाली तानिया नामक लड़की की दिलचस्प दास्तां है मैक्सिम गोर्की की...
यह उम्मीद ही तो होती है, जो हमें जीवंत बनाए रखती है. शकील अहमद की यह ग़ज़ल भी आपको उम्मीद...
वो हौवा, जिसे अब तक अपनी सूरत भी नहीं मिली है; जो हर उस व्यक्ति की सूरत में ढल जाता...
ईसा मसीह के बलिदान दिवस अर्थात गुड फ्रायडे का महत्व केवल ईसाई धर्म में ही नहीं है, बल्कि पूरी मानवता...
बहुत ज़्यादा भला होना भी बुरा होता है. बहुत ज़्यादा चालाक होना तो ग़लत है ही. बहुत ज़्यादा दुर्गम तो...
समय के साथ रिश्ते भी बदल सकते हैं, बता रही है महीप सिंह की रचना ‘काला बाप गोरा बाप’. अपनी...
पंकज सुबीर का लिखा उपन्यास रूदादे सफ़र अपने नाम के अनुरूप एक डॉक्टर के जीवन के सफ़र को इस तरह...
प्रेम की मिठास और कड़वाहट का स्वाद एक साथ चखाती है केदारनाथ सिंह की कविता तुम आयीं. तुम आयीं जैसे...
एक नेत्रहीन महिला की आंखों की ज्योति लौटने और दोबारा चली जाने की करुण कहानी. साथ ही कहानी यह भी...
आम आदमी की भाषा और मनोभावना के कवि कहलानेवाले हरिवंश राय बच्चन की छोटी-सी कविता ‘क्या भूलूं, क्या याद करूं...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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