• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

त्यौहारों के दौरान बच्चों को अपनी संस्कृति से मिलवाते चलें

क्योंकि उन्हें संस्कृति से परिचित कराना भी तो आपका ही कर्तव्य है!

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
October 25, 2022
in ज़रूर पढ़ें, पैरेंटिंग, रिलेशनशिप
A A
include-kids-during-festivals
Share on FacebookShare on Twitter

इन दिनों पैरेंट्स के कामकाजी होने के चलते, उन्हें बच्चों के साथ बिताने के लिए समय कम मिल पाता है. ऐसे में ज़रूरी है कि त्यौहारों के दौरान जो छुट्टी मिले, उसमें आप बच्चों को अपनी संस्कृति से रूबरू करवाते चलें. इस तरह बच्चे अपनी परंपराओं से, अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे. कैसे किया जा सकता है, आइए जानते हैं.

हमें पता है कि आप व्यस्त पैरेंट्स हैं. आजकल अधिकांश माता-पिता दोनों ही ऑफ़िस जाते हैं और बच्चों के साथ कम समय बिता पाते हैं. यदि मां होममेकर हो तब भी घर के इतने कामों के बीच वह फंसी होती है कि अलग से बच्चों के लिए समय निकाल पाना संभव नहीं हो पाता. ऐसे में यदि आप बच्चों को अपनी संस्कृति के बारे में नहीं बताएंगे तो भला वे कैसे जान सकेंगे कि हमारे देश की संस्कृति और परंपराएं कितनी समृद्ध हैं?
चाहे आप देश के किसी भी हिस्से में रहते हों, यह बात बहुत ज़रूरी है कि बच्चों को अपने त्यौहारों के ज़रिए अपनी संस्कृति से रूबरू कराते चलें. इसके लिए आपको अलग से कुछ नहीं करना होगा, बस उन्हें अपने साथ शामिल करना होगा. यहां आप जानेंगे उन्हें इसमें शामिल करने के तरीक़े.

साथ करें तैयारी
जब भी कोई त्यौहार आता है तो हम उससे जुड़ी तैयारी में जुट जाते हैं. पर अपने बच्चों को संस्कृति और त्यौहार के बारे में बताना है तो आपको उनको त्यौहार की तैयारी में भी शामिल करना होगा. उदाहरण के तौर पर- यदि होली है तो रंगों की ख़रीदारी में, दिवाली है तो दीयों, लाइटिंग, रंगोली और नए कपड़ों की ख़रीदारी में बच्चों को शामिल करें. उन्हें बताएं कि किस तरह पहले के समय में नए कपड़ों या बर्तनों की ख़रीदारी त्यौहारों पर ही की जाती थी, आज की तरह जब मन चाहा तब नहीं. इसके पीछे यह सोच थी कि यदि हम आवश्यकता के अनुसार ही सामान ख़रीदें, कम सामान ख़रीदें, जिससे प्रकृति पर संसाधन मुहैया कराने का बोझ कम से कम रहे और हम आने वाली पीढ़ी के लिए इसे ज़्यादा स्वच्छ छोड़ जाएं.

इन्हें भीपढ़ें

idris-hasan-latif

एयर चीफ़ मार्शल इदरीस हसन लतीफ़: भारतीय वायुसेना के एक प्रेरक नायक

June 5, 2025
यहां मिलेंगे बारिश में झड़ते बालों को रोकने के उपाय

यहां मिलेंगे बारिश में झड़ते बालों को रोकने के उपाय

June 5, 2025
naushera-ka-sher_brig-mohd-usman

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान: नौशेरा का शेर

June 4, 2025
कल चौदहवीं की रात थी: इब्न ए इंशा की ग़ज़ल

कल चौदहवीं की रात थी: इब्न ए इंशा की ग़ज़ल

June 4, 2025

बच्चों की मदद लें
साफ़-सफ़ाई तो हर त्यौहार के लिए अनिवार्य है. फिर चाहे वो दिवाली हो, ईद हो या क्रिस्मस. सफ़ाई का यह काम यदि बतौर पैरेंट आप अकेले कर रहे हैं तो थक जाएंगे और साथ ही बच्चे इसकी अहमियत और ज़रूरत को समझ भी नहीं पाएंगे. इसके उलट यदि आपने सफ़ाई के काम में बच्चों की मदद लेना शुरू किया तो वे आपके साथ त्यौहार की तैयारी में शामिल रहेंगे, उन्हें साफ़-सफ़ाई की अहमियत और इसमें कितना वक़्त लगता है यह पता रहेगा, उनके भीतर एक स्किल और ख़ुद कुछ करने का आत्मविश्वास भी पैदा होगा. साथ ही, यह काम कब ख़त्म हो गया आपको पता भी नहीं चलेगा.
साफ़-सफ़ाई ही नहीं सजावट के लिए भी आप बच्चों को काम पर लगा सकते हैं. उनसे अपने हिसाब से, अपनी रचनात्मकता के हिसाब से घर को सजाने कह सकते हैं. इस तरह आप उन्हें रचनात्मक बना सकते हैं, आप सब साथ-साथ समय बिता सकते हैं और अपनी संस्कृति के बारे में बच्चों को बता सकते हैं.
festival-with-family
कहानी सुनाएं
जब आप त्यौहार की साफ़-सफ़ाई या सजावट में बच्चों की मदद ले रहे हों, उस दौरान आप उन्हें इस त्यौहार से जुड़ी कहानियां सुनाते रहें. होली, दशहरा, दिवाली, लोहड़ी, संक्रांति, ईद, क्रिस्मस, गुरुपर्व, बीहू, पोंगल, विशू जैसे सभी त्यौहारों के पीछे कोई न कोई न कोई कहानी मौजूद है. उनके बारे में बच्चों को बताने से, बच्चे अपनी संस्कृति को समझ सकेंगे. इनमें से कई त्यौहार तो कृषि से जुड़े हैं. उनके बारे में बच्चों को बता कर आप उनके सामान्य ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं. उन्हें बता सकते हैं कि कैसे हमारे इतने बड़े देश में कृषि से जुड़े त्यौहार हर जगह मनाए जाते हैं और यह बात हम देशवासियों को किस तरह एक सूत्र में पिरोती है. बचपन में सुनी गई ये कहानियां बच्चों को ताउम्र याद रहेंगी और वे समझ सकेंगे कि हमारी संस्कृति में किस पर्व के पीछे कौन सी कहानी है.

पकवानों के बारे में बताएं
पूरे देश में कोई भी पर्व, कहीं भी मनाया जाए, उससे जुड़ा कोई न कोई या यूं कहें कि ढेर सारे ऐसे व्यंजन होते हैं, जो बनाए जाते हैं. आप इन व्यंजनों के बारे में बच्चों को बता सकते हैं, ये पकवान बनाने में उनकी मदद ले सकते हैं या फिर उन्हें ये पकवान बनाना सिखा सकते हैं. इस तरह बच्चे न सिर्फ़ त्यौहारों को उन व्यंजनों की वजह से या फिर उनमें से अपने पसंदीदा पकवान की वजह से याद रखेंगे, बल्कि उन्हें बनाने का तरीक़ा जानने से उनके भीतर कुकिंग की स्किल भी विकसित होगी.

परिवार के साथ मनाएं त्यौहार
जैसा कि हमने ऊपर ही कहा कि आजकल पैरेंट्स कामकाजी होते हैं, ऐसे में यदि त्यौहारों को अपने पूरे परिवार के साथ मनाया जाए तो बच्चे अपने दादा-दादी या नाना-नानी से भी इन त्यौहारों के बारे में जानकारी पा सकते हैं. उनके समय में कैसे त्यौहार मनाया जाता था और आज के समय में क्या बदलाव आए हैं, यह बात जानने से बच्चों में परिस्थिति के अनुसार संस्कृति, परंपरा और त्यौहारों में किस तरह बदलाव आता है, यह जानने की समझ पैदा होगी. वे बदलाव से तालमेल बिठाने में सहज होंगे.

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट

Tags: cultureFestivalsParentingstory of festivalswhy we celebrate festivalsत्यौहारत्यौहार क्यों मनाते हैंत्यौहारों की कहानीपैरेंटिंगसंस्कृति
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

abul-kalam-azad
ओए हीरो

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: वैज्ञानिक दृष्टिकोण के पक्षधर

June 3, 2025
dil-ka-deep
कविताएं

दिल में और तो क्या रक्खा है: नासिर काज़मी की ग़ज़ल

June 3, 2025
badruddin-taiyabji
ओए हीरो

बदरुद्दीन तैयबजी: बॉम्बे हाई कोर्ट के पहले भारतीय बैरिस्टर

June 2, 2025
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.