• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ओए हीरो

आम लोगों के शायर वसीम बरेलवी

जय राय by जय राय
December 22, 2021
in ओए हीरो, शख़्सियत
A A
आम लोगों के शायर वसीम बरेलवी
Share on FacebookShare on Twitter

हमारे यहां दस्तूर है कि किसी के जन्मदिन या ख़ास दिन पर उसके बारे में बात की जाए. आज हम बात करने जा रहे हैं मशहूर उर्दू शायर वसीम बरेलवी की, तो बता दें कि आज उनका जन्मदिन नहीं है. तो यह लेख क्यों? इसका क़िस्सा ख़ुद इसे लिखने वाले जय राय बताते हैं, जो एक बिज़नेसमैन होने के साथ-साथ सिनेमा और म्यूज़िक के शौक़ीन हैं. ट्रेन से ऑफ़िस जाते हुए गाने सुनना उनका पसंदीदा काम है. आज वसीम बरेलवी को सुनते हुए वे इस प्यारे शायर के बारे में लिखने से ख़ुद को रोक नहीं सके. आगे का लेख पढ़िए जय राय के ही शब्दों में.

अगर आप ग़ैर उर्दू भाषी हैं और उर्दू की आपकी अच्छी समझ नहीं है तो यक़ीनन आप शायरी से दूरी बना के रखते होंगे. या शायरी के नाम पर कुछ हल्की चलताऊ तुकबंदियों को सुनते होंगे. आजकल तो हम लोग हिंग्लिश को ज़्यादा महत्व देते हैं और हमारा काम भी चल जाता है. अगर आप शायरी के शौक़ीन हैं लेकिन उर्दू की जटिलता के कारण शायरी आपको समझ नहीं आती तो हमारा सुझाव है की आपको वसीम बरेलवी को पढ़ना और सुनना चाहिए. बरेलवी साहब की शायरी आम लोगों के लिए होती है जिसकी भाषा एकदम उम्दा परंतु बेहद सरल होती है.
8 फ़रवरी 1940 को उत्तर प्रदेश के बरेली में पैदा हुए वसीम बरेलवी का असली नाम ‘ज़ाहिद हुसैन’ है, लेकिन लेखन के लिए इन्होंने पेन नेम वसीम बरेलवी अपनाया और इसी नाम से मशहूर हो गए. बरेलवी साहब अपने समकालीन उर्दू शायरों से इस मायने में अलग हैं कि वे शेरो-शायरी के लिए उर्दू के भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल से बचते हैं. अपनी फ़िलॉसिफ़िकल रचनाओं के लिए बेहद आसान या कहें जनता की भाषा का इस्तेमाल करते हैं. इनकी यही सरस भाषा उनकी रचनाओं को उम्दा बनाती है और वसीम बरेलवी को दूसरे उर्दू शायरों से अलग पहचान दिलाती है. मरहूम ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह ने इनकी कई शायरियों को अपनी आवाज़ के माध्यम से ग़ज़ल का रूप दिया है. हम ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं जब सब कुछ एक जैसा ही लगता है, जैसे कि एक ही फ़िल्मी गाने को रीमिक्स के नाम पर दो बार इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसे में कुछ नया सुनना और पढ़ना लाज़मी सा हो जाता है. आज हम आपके लिए वसीम बरेलवी की दो ग़ज़लों का ज़िक्र करना चाहते हैं जिसे बरेलवी साहब ने अलग-अलग समय में लिखा और जगजीत सिंह जी ने अपनी आवाज़ दी.

पहली ग़ज़ल है, आपको देखकर देखता रह गया.

इन्हें भीपढ़ें

naushera-ka-sher_brig-mohd-usman

ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान: नौशेरा का शेर

June 4, 2025
abul-kalam-azad

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: वैज्ञानिक दृष्टिकोण के पक्षधर

June 3, 2025
badruddin-taiyabji

बदरुद्दीन तैयबजी: बॉम्बे हाई कोर्ट के पहले भारतीय बैरिस्टर

June 2, 2025
dr-m-vishweshwaraiya

आधुनिक भारत के शिल्पकार डॉ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया

September 15, 2024

आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूं और कहने को क्या रह गया

आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ कांपता रह गया

वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया

झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गए
और मैं था कि सच बोलता रह गया

आंधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया

आप इस ग़ज़ल की ख़ूबसूरती देखिए कहीं भी आपको भाषा की कोई उलझन महसूस नहीं होगी. आप जहां से भी शुरू करेंगे आपको मज़ा आ जाएगा और इसे बार-बार सुनने का मन करेगा. हालांकि यह ग़ज़ल है तो बहुत छोटी, लेकिन जगजीत सिंह ने अपने आवाज़ से इसे चार चांद लगा दिया है उनके सुरों के उतार-चढ़ाव के बीच आप ख़ुद को एक अलग माहौल में पाएंगे. बहुत सारे लोग इसे सुनते हुए इन शब्दों से अपने को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे और आपको एहसास होगा कि इस ग़ज़ल में कहीं आपकी ही बात तो नहीं हो रही है.

अब बात करते हैं दूसरी ग़ज़ल की, उसे भी जगजीत सिंह ने अपने अनूठे अंदाज़ में गाया है. वह ग़ज़ल है-तू अम्बर की आंख का तारा.

तू अम्बर की आंख का तारा, मेरे छोटे हाथ
सजन मैं भूल गई ये बात

तुझको सारे मन से चाहा, चाहा सारे तन से
अपने पूरेपन से चाहा और अधूरेपन से
पानी की एक बूंद कहां, और कहां भरी बरसात
सजन मैं भूल गई ये बात

जनम जनम मांगूंगी तुझको, तुम मुझको न ठुकराना
मैं माटी में मिल जाऊंगी, तुम माटी हो जाना
लहर के आगे क्या इक छोटे तिनके की औक़ात
सजन मैं भूल गई ये बात

तेरी ओर ही देखा मैंने, अपनी ओर न देखा
जब जब बढ़ना चाहा, पांव से लिपटी लक्ष्मण रेखा

मैं अपने भी साथ नहीं थी, दुनिया तेरे साथ
सजन मैं भूल गई ये बात

इस ग़ज़ल में आप प्रेम के समर्पण को महसूस कर सकते हैं, दो चाहनेवालों में तमाम असमानता होने के बावजूद दोनों के एक हो जाने की उम्मीद. बरेलवी साहब के शब्दों का जादू देखिए आपके सामने पूरी एक कहानी गुज़रती हुई नज़र आएगी. प्रेम का समर्पण देखिए कि मिट्टी में मिल जाने के बावजूद मिट्टी में ही सही कहीं ना कहीं मिलने की गुंजाइश तो है. लक्ष्मण रेखा जैसे शब्द के इस्तेमाल से पता चलता है की अगर आपको भारतीय समाज की रूढ़िवादी परम्परा की बात करनी है तो एक शब्द काफ़ी है बहुत कुछ समझने के लिए. प्रेम का एकतरफ़ा समर्पण और उसके बावजूद किसी को खो कर भी पा लेने की कोशिश इस ग़ज़ल की ख़ूबसूरती है. बरेलवी साहब को आप जितनी बार पढ़ेंगे या सुनेंगे उनकी रचनाओं में हर बार आपको अपनी दुनिया नज़र आएगी.
आज के दिन मैं इन दो रचनाओं को बार-बार सुनता रहा. उनके अर्थ समझने की कोशिश करता रहा. हर बार, ये ग़ज़लें पिछली बार से ज़्यादा प्यारी लगीं. यही तो जादू है इस आम आदमी के महबूब शायर का. हां, जगजीत सिंह की आवाज़ का जादू तो अलौकिक है ही. आगे कभी उनकी आवाज़ पर लिखने की कोशिश करूंगा. बहरहाल इतना ही कहूंगा,‘तू अंबर की आंख का तारा, मेरे छोटे हाथ…’

Tags: Indian Urdu Language PoetsIndian Urdu ShayarsJay RaiUrdu PoetsUrdu Shayar Wasim BarelviWasim BarelviWasim Barelvi Shayariउर्दू के कविउर्दू शायर वसीम बरेलवीजय रायभारत के उर्दू शायरवसीम बरेलवीवसीम बरेलवी की शायरी
जय राय

जय राय

जय राय पेशे से भले एक बिज़नेसमैन हों, पर लिखने-पढ़ने में इनकी ख़ास रुचि है. जब लिख-पढ़ नहीं रहे होते तब म्यूज़िक और सिनेमा में डूबे रहते हैं. घंटों तक संगीत-सिनेमा, इकोनॉमी, धर्म, राजनीति पर बात करने की क़ाबिलियत रखनेवाले जय राय आम आदमी की ज़िंदगी से इत्तेफ़ाक रखनेवाले कई मुद्दों पर अपने विचारों से हमें रूबरू कराते रहेंगे. आप पढ़ते रहिए दुनिया को देखने-समझने का उनका अलहदा नज़रिया.

Related Posts

life-mantra
ओए हीरो

आख़िर क्या है जीवन का मक़सद?

July 8, 2024
जानिए, कौन है वो शख़्सियत जिसके चलते हम मनाते हैं फ़ादर्स डे
ओए हीरो

जानिए, कौन है वो शख़्सियत जिसके चलते हम मनाते हैं फ़ादर्स डे

June 16, 2024
राम ने जब रोटी खाई तो क्यों हुई मेरी पिटाई?
ओए हीरो

राम ने जब रोटी खाई तो क्यों हुई मेरी पिटाई?

January 24, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.