• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब क्लासिक कहानियां

एक पागल की डायरी: कहानी सनक की (लेखक: गाय दी मोपासां)

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
January 11, 2022
in क्लासिक कहानियां, बुक क्लब
A A
एक पागल की डायरी: कहानी सनक की (लेखक: गाय दी मोपासां)
Share on FacebookShare on Twitter

हर आदमी के कई-कई चेहरे होते हैं. पर किसी का छुपा हुआ चेहरा इतना भयानक हो सकता है? पढ़ें, गाय दी मोपासां की फ्रेंच कहानी ‘एक पागल की डायरी’.

वह दुनिया से जा चुका था-हाई ट्रिब्यूनल का मुखिया, एक ईमानदार जज जिसके बेदाग़ जीवन की मिसाल फ्रांस की सारी अदालतों में दी जाती थी. जिसके बड़े से मुरझाए चेहरे को दो चमकती और गहरी आंखें सजीव बनाती थीं. उसके सामने पड़ने पर एडवोकेट, युवा वक़ील और जज सब उसका अभिवादन करते और उसके सम्मान में सिर झुकाते.
उसका सारा जीवन कमज़ोरों की रक्षा और अपराधों की पड़ताल में गुज़रा था. बेईमानों और हत्यारों का उससे बड़ा दुश्मन कोई नहीं था, ऐसा लगता था कि वह उनके दिमाग़ में चलती हर बात पढ़ लेता है.
अब 82 साल की उम्र में उसकी मौत हो चुकी थी. बड़ी संख्या में लोग इस पर दुख जता रहे थे और उसे श्रद्धांजलि दे रहे थे. लाल पतलून पहने सैनिकों ने उसे कब्र तक पहुंचाया. टाई पहने आदमियों ने उसकी समाधि पर असली लगने वाले आंसू बहाए. लेकिन अब एक अधिकारी को उस दराज में एक अजीब सा कागज़ मिला है, जहां वह बड़े-बड़े अपराधियों के रिकॉर्ड्स रखता था! इसका शीर्षक है: क्यों?

20 जून, 1851. मैं अभी-अभी अदालत से बाहर आया हूं. मैंने ब्लॉन्डे को मृत्युदंड दिया है! इस आदमी ने अपने पांच बच्चों की हत्या क्यों की? अक्सर ऐसे लोगों से मिलना होता रहता है, जिन्हें हत्या करके आनंद मिलता है. हां, हां, यह आनंद ही होना चाहिए. बल्कि शायद सबसे बड़ा आनंद. क्या मिटाना, बनाने का अगला चरण नहीं है? बनाना और मिटाना! ये दो शब्द ब्रह्मांड और दुनिया का पूरा इतिहास समटे हुए हैं. सारा का सारा इतिहास!!! तो हत्या करना नशे जैसा क्यों न हो?

इन्हें भीपढ़ें

friendship

ज़िंदगी का सरमाया: शकील अहमद की ग़ज़ल

April 22, 2025
kid-reading-news-paper

ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा: राजेश रेड्डी की ग़ज़ल

April 21, 2025
इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025

25 जून. यह सोचना कि जीव वह है जो जीता है, चलता-फ़िरता है, दौड़ता है. एक जीव? जीव क्या है? जीवन से भरी एक चीज़ जिसमें गति का नियम है और जो इस गति के नियम से संचालित होती है. यह जीवन का एक कण है, जो संसार में विचरण करता है और यह जीवन का यह कण मुझे नहीं मालूम कहां से आता है. इसे कोई जब चाहे, जैसे चाहे नष्ट कर सकता है. तब कुछ, कुछ भी बाक़ी नहीं बचता. यह ख़त्म हो जाता है. समाप्त हो जाता है.

26 जून. तब हत्या करना अपराध क्यों है? हां, क्यों? इसके विपरीत यह प्रकृति का विधान है, प्रत्येक जीव का उद्देश्य है हत्या. वह जीने के लिए मारता है. वह मारने के लिए मारता है. यह पशु बिना रुके मारता रहता है. सारे दिन, अपने अस्तित्व के हर क्षण में. आदमी निरंतर मारता है, अपने पोषण के लिए; लेकिन इसके अलावा भी उसे अपने आनंद के लिए हत्या की ज़रूरत पड़ती है. इसलिए उसने शिकार का खेल ईजाद किया! बच्चा कीड़े-मकोड़ों, छोटी चिड़ियाओं और छोटे जीवों, जो भी उसे मिल जाएं, मारता है.
लेकिन इससे भी संहार की उस इच्छा की पूर्ति नहीं होती जो हमारे भीतर बसती है. जानवरों को मारना काफ़ी नहीं. हमें आदमी को भी मारना है. बहुत पहले नरबलि के द्वारा इस इच्छा की पूर्ति हुआ करती थी. अब, सभ्य समाज में रहने की आवश्यकता ने हत्या को अपराध का दर्जा दे दिया है. हम हत्यारे को सज़ा देते हैं, उसकी भर्त्सना करते हैं. लेकिन हम इस सहज प्रवृत्ति के हिसाब से आचरण किए बिना नहीं रह सकते इसलिए हम समय-समय पर इसे युद्धों के द्वारा संतुष्ट करते रहते हैं. तब एक देश दूसरे देश की हत्या करता है. ख़ून की होली होती है. जो सैनिकों को पागल बना देती है और लोगों, महिलाओं और बच्चों को मदहोश, जो इस कत्लेआम की कहानियां लैंप की रोशनी में बड़े उत्साह के साथ पढ़ते हैं.
कोई भी सोच सकता है कि इस बर्बरता को अंजाम देने वालों की भर्त्सना होती होगी? नहीं, उन्हें हम जयमालाएं पहनाते हैं. वे सोने से मढ़े जाते हैं, उनके सिर पर चमकदार कलगी और सीने पर तमगे सजते हैं, उन्हें क्रॉस, ईनाम और पदवी से नवाजा जाता है. महिलाएं उन पर गर्व करती हैं, उनका सम्मान करती हैं, उनसे प्रेम करती हैं. भीड़ उनकी जय-जयकार करती है. और इसकी वजह सिर्फ यही है कि उनका मकसद आदमी का ख़ून बहाना है. जब वे अपने हथियार ले कर चलते हैं तो राहगीर उन्हें ईर्ष्या से देखते हैं. मारना कुदरत का महान नियम है जो हमारे अस्तित्व के केंद्र में है. हत्या से बढ़ कर सुंदर और सम्मान योग्य और कुछ नही.

30 जून. नष्ट करना विधान है क्योंकि प्रकृति सतत यौवन चाहती है. अपनी सभी अचेतन प्रक्रियाओं में वह जैसे पुकारती है, ‘जल्दी! जल्दी! जल्दी!’ जितना वह नष्ट करती है, उतना ही वह नूतन होती जाती है.

3 जुलाई. यह अवश्य ही आनंददायक होगा, अनोखा और स्फ़ूर्तिदायक. मारना: ज़िंदगी से भरे, सब कुछ महसूस करने वाले एक प्राणी को सामने रख कर उसमें एक छेद करना. कुछ और नहीं बस एक छोटा-सा सूराख और एक पतली लाल धार, जिसे ख़ून कहते हैं और जो जीवन है उसे बहते देखना, और फिर देखना कि सामने केवल मांस का एक लोथड़ा, ठंडा, विचारशून्य ढेर है.

5 अगस्त. मैं, जिसने फ़ैसले देते और न्याय करते अपना जीवन बिता दिया, मैं जिसने शब्दों से उनकी हत्या की जिन्होंने चाकू से यह काम किया था और उन्हें गिलोटीन (हत्या के लिए इस्तेमाल होने वाला एक उपकरण जिसमें अपराधी का सिर ऊपर से गिरते एक आरे से कटता है) पर चढ़वाया, अगर मैं वैसा ही करूं जो वे हत्यारे करते हैं तो किसे पता चलेगा?

10 अगस्त. कभी भी किसे पता चलेगा? कौन मुझ पर शक़ करेगा? ख़ासकर जब मैं एक ऐसा जीव चुनूं, जिससे मेरा कोई मतलब न हो? मेरे हाथ हत्या करने के लिए कांप रहे हैं.

15 अगस्त. मुझ पर यह लालच सवार हो गया. है. ऐसा लगता है जैसे यह मेरे अस्तित्व में व्याप्त हो गया हो. मेरे हाथ हत्या करने के लिए कांप रहे हैं.

22 अगस्त. मैं और नहीं रुक सका. शुरुआत में प्रयोग के तौर मैंने एक छोटा-सा जीव मारा. मेरे नौकर जीन के पास एक गोल्ड फिंच (चिड़िया) थी जो ऑफ़िस की खिड़की से लटके एक पिंजरे में रखी थी. मैंने जीन को काम से बाहर भेजा. मैंने उस नन्हीं-सी चिड़िया को हाथ में ले लिया, उसके दिल की धड़कन, उसकी गरमी महसूस की. मैं उसे अपने कमरे में गया और रुक-रुक कर उस परिंदे पर हाथ का दबाव बढ़ाता गया. उसकी धड़कन तेज होती हई. यह क्रूर था पर मुझे मज़ा आ रहा था. मैं उसका दम घोंटने ही वाला था कि मैंने सोचा, ख़ून तो दिखा ही नहीं. तब मैंने एक कैंची ली. नाख़ून काटने वाली छोटी कैंची. और फिर मैंने आराम से उसके गले पर तीन चीरे मार दिए. उसने अपनी चोंच खोली, वह निकल भागने को छटपटाई, पर मैंने उसे पकड़े रखा. ओह! मैं उसे पकड़े हुए था-मैं एक पागल कुत्ते को भी पकड़ रह सकता था, और मैंने ख़ून की धार देखी.
फिर मैंने वही किया जो असली क़ातिल करते हैं. मैंने कैंची धोई. अपने हाथ साफ़ किए. पानी छिड़का और लाश को ठिकाने लगाने के लिए उसे बगीचे में ले गया. मैंने उसे स्ट्राबेरी के पेड़ के नीचे दबा दिया. यह कभी नहीं खोजा जा सकेगा. मैं रोज उस पेड़ की स्ट्राबेरी खाऊंगा. जब आप जीवन का आनंद लेना जानते हैं तो आप कैसे-कैसे वह आनंद ले सकते हैं!
नौकर रोया, उसने सोचा कि चिड़िया उड़ गई. वह मुझ पर कैसे शक़ कर सकता था. आह! आह!

25 अगस्त. अब मुझे एक आदमी को मारना है. मारना ही है…

30 अगस्त. मैंने यह काम कर दिया. लेकिन यह कितनी छोटी सी बात थी! मैं वेरनेस के जंगल में सैर पर गया था. मेरे मन में कुछ नहीं था.
कुछ नहीं. फिर मैंने सड़क पर एक बच्चे को देखा. एक छोटा सा बच्चा जो मक्खन के साथ ब्रेड खा रहा था.
मुझे गुज़रते देख वह रुका और उसने कहा,‘नमस्ते. मिस्टर प्रेज़िडेट.’
और मेरे दिमाग में कौंधा,‘क्या इसे मार दूं?’ मैं जवाब देता हूं,‘बेटा, अकेले हो?’
‘जी’
‘जंगल में अकेले?’
‘जी’
उसे मारने की इच्छा नशे की तरह मुझ पर हावी होने लगी. मैं आराम से उसके क़रीब पहुंचा और अचानक मैंने उसकी गर्दन दबोच ली. डर से भरी आंखों से उसने मुझे देखा-क्या आंखें थीं! उसने अपने नन्हें हाथों से मेरी कलाई पकड़ ली और उसका शरीर आग के ऊपर रखे पंख की तरह मुरझाने लगा. और फिर उसके शरीर की हलचल बंद हो गई. मैंने लाश एक गड्ढे में फ़ेंक दी. उसके ऊपर कुछ झाड़ियां डाल दीं. घर लौट कर मैंने डट कर खाना खाया. कितना सरल काम था यह! शाम को मैं काफ़ी ख़ुश, हल्का और तरोताजा महसूस कर रहा था. वह शाम मैंने साथियों के साथ गुज़ारी. उन लोगों को मैं काफ़ी मजाकिया मूड में नज़र आया. लेकिन मैंने ख़ून नहीं देखा था!

31 अगस्त. लाश मिल गई. वे हत्यारे की खोज में हैं. आह!

1 सितंबर. दो भिखारी गिरफ़्तार हो गए. सबूत नहीं हैं.

2 सितंबर. उसके माता-पिता मेरे पास आए थे. वे रो रहे थे. आह! आह!

6 अक्टूबर. अब तक कुछ पता नहीं चला. ज़रूर यह काम किसी उठाईगीर ने किया होगा. ओह! ओह. मुझे लगता है कि मैंने ख़ून देख लिया होता तो अब तक मैं संतुष्ट हो जाता. हत्या की इच्छा मुझ पर यूं सवार हो गई है जैसे 20 की उम्र में आप पर कोई नशा सवार होता है.

10 अक्टूबर. एक और. मैं नहाने के बाद नदी के किनारे टहल रहा था. मैंने देखा एक पेड़ के नीचे एक मछुआरा सो रहा था. दोपहर हो चली थी. नज़दीक ही आलू के एक खेत के पास एक फ़ावड़ा जैसे ख़ासतौर पर मेरे लिए ही रखा था. मैंने उसे उठाया और वापस लौटा. मैंने फावड़े को उठाया और जोर से मछुआरे के सिर पर दे मारा. ओह! ख़ून निकलने लगा. गुलाबी रंग का ख़ून. यह आराम से पानी में बहता जा रहा था. मैं भारी क़दमों से चला आया. मुझे किसी ने देखा तो नहीं! आह! आह! मैं एक बढ़िया हत्यारा बन सकता था.

अक्टूबर 25. मछुआरे की हत्या पर काफ़ी हंगामा हुआ. उसका भतीजा उस दिन उसी के साथ मछली मार रहा था. मजिस्ट्रेट ने उसे ही दोषी ठहराया. शहर में सबने यह बात मान ली. आह! आह!

27 अक्टूबर. भतीजे की कुछ नहीं चली. उसका कहना था कि जब हत्या हुई वह ब्रेड और चीज़ ख़रीदने गांव गया था. उसने शपथ खा कर कहा कि उसका चाचा उसकी ग़ैरहाजिरी में मारा गया था. कौन मानेगा?

28 अक्टूबर. भतीजे ने लगभग अपना जुर्म क़बूल कर लिया है. उन्होंने उसे इतनी यातनाएं दीं कि उसे ऐसा करना पड़ा. आह! न्याय!

15 नवंबर. वह भतीजा, जो अपने चाचा का वारिस है, उसके ख़िलाफ़ वज़नदार सबूत हैं. सुनवाई मेरी अध्यक्षता में होगी.

25 जनवरी. मृत्यदंड! मृत्युदंड! मृत्युदंड! मैंने उसे मृत्युदंड दिया. एडवोकेट जनरल की बातें किसी देवदूत जैसी थीं. आह! एक और! जब उसे सज़ा मिल रही होगी तो मैं वहां उसे देखने जाऊंगा.

10 मार्च. काम हो गया. आज सुबह उसे गिलोटीन पर चढ़ा दिया गया. वह अच्छे से मरा. बहुत अच्छे से. इससे मुझे प्रसन्नता हुई. एक आदमी का सिर कटता है तो देखने में कितना मज़ा आता है! अब मैं इंतज़ार करूंगा. मैं इंतज़ार कर सकता हूं. ज़रा सी ग़लती मुझे पकड़वा सकती है.

आगे और बहुत से पन्ने थे, लेकिन उनमें किसी और अपराध का जिक्र नहीं था. जिन डॉक्टरों को यह कहानी दी गई उनका कहना है कि दुनिया में ऐसे कई पागल घूम रहे हैं, जिनके बारे में लोगों को मालूम नहीं है. जो उतने ही चालाक हैं, जितना यह राक्षस था और जिनसे उतना ही डरने की ज़रूरत है.

Illustration: Pinterest

Tags: Ek Pagal ki diaryFamous French WritersFamous writers storyGuy de MaupassantGuy de Maupassant ki kahaniGuy de Maupassant ki kahani Ek Pagal ki diaryGuy de Maupassant storiesHindi KahaniHindi StoryHindi writersIndian WritersKahanithe diary of a madman Guy de Maupassantthe diary of a madman Maupassantएक पागल की डायरीकहानीगाय दी मोपासांगाय दी मोपासां की कहानियांगाय दी मोपासां की कहानीगाय दी मोपासां की कहानी एक पागल की डायरीमशहूर लेखकों की कहानीहिंदी कहानीहिंदी के लेखकहिंदी स्टोरी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

democratic-king
ज़रूर पढ़ें

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता
कविताएं

पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

September 24, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.