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नौकरी पाने में ‘कोविड वुमन हेल्प’ कर रहा है जीवनसाथी खो चुकी महिलाओं की मदद

शिल्पा शर्मा by शिल्पा शर्मा
June 2, 2021
in ओए हीरो, ज़रूर पढ़ें, मुलाक़ात
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नौकरी पाने में ‘कोविड वुमन हेल्प’ कर रहा है जीवनसाथी खो चुकी महिलाओं की मदद
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महामारी ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. इससे उबरने में जितने लोग, जितनी तरह से मदद कर सकते हैं, जी-जान से कर रहे हैं. ऐसी ही एक शुरुआत हुई कोविड वुमन हेल्प के ज़रिए, जहां उन महिलाओं को रोज़गार दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिन्होंने कोविड के दौरान अपने पार्टनर को खोया है और अब उनपर घर चलाने की पूरी ज़िम्मेदारी आ पड़ी है. स्व-स्फूर्त कोरोना योद्धा सीरीज़ में आज हम मिलेंगे इस इनिशिएटिव के संस्थापक युधवीर मोर, जो ज़ुऑरा में कंट्री मैनेजेर व वाइस प्रेसिडेंट हैं और इसके मीडिया वॉलंटियर करण प्रवेश सिंह से, जो रैपिडलीक्स के संस्थापक हैं.

कोविड वुमन हेल्प एक ऐसा इनिशिएटिव है, जो तीन मुख्य बातों का पालन करते हुए उन महिलाओं की नौकरी पाने में मदद कर रहा है, जिन्होंने अपने जीवनसाथी को कोविड के चलते खो दिया है. ये तीन बिंदु हैं: हम किसी से वित्तीय मदद या डोनेशन्स नहीं लेंगे; हमारी प्राथमिकता उन महिलाओं को नौकरी दिलवाना होगी, जिन्होंने इस महामारी में अपने जीवनसाथी को खोया है; यह एक वॉलंटियर-ड्रिवेन इनिशिएटिव है अत: हमें किसी तरह की कॉर्पोरेट स्पॉन्सरशिप नहीं चाहिए.
मदद के इस रूप ने कैसे आकार लिया और 11 मई 2021 को बनने के बाद आज तक 22 दिनों में क्या कुछ इस इनिशिएटिव ने हासिल कर लिया है यह जानने के लिए उस बातचीत के अंश पढ़िए, जो हमने युधवीर और करण प्रवेश सिंह से की.

आप जो कर रहे हैं, वह कोविड के चलते अपने ब्रेड विनर को खो चुके परिवारों को बचाने की ऐसी क़वायद है, जिसकी जतनी तारीफ़ की जाए कम है. परिवार चलाने के लिए महिलाओं की इस तरह मदद करने की सोच आख़िर आपके दिमाग़ में आई कैसे?
युधवीर: मैं आपको बहुत स्ट्रेट फ़ॉरवर्ड जवाब दे रहा हूं. जब यह सब चल रहा था, लोग ऑक्सिजन सिलेंडर के लिए, अस्पतालों के लिए, दवाइयों के लिए भटक रहे थे, दतब भी अपने लोगों की मदद करने की इच्छा मेरे मन में थी. लेकिन कहां से शुरुआत की जाए पता नहीं था. मेरे दिमाग़ में ये बातें चल ही रही थीं कि मुझे ख़बरें आने लगीं कि मेरी उम्र के लोग, मेरे साथी और मेरे पुराने कलीग्स इस महामारी के चलते अपना जीवन खो रहे हैं. तब मुझे लगा कि उनका परिवार कैसे चलेगा और मुझे महसूस हुआ कि मैं नौकरियां पाने में लोगों की मदद कर सकता हूं. मैं कुछ कंपनियों को इस बात के लिए राज़ी कर सकता हूं कि वे कोविड से प्रभावित परिवारों की महिलाओं को नौकरी देने को तवज्जो दें. फिर मैंने सोचा कि ये कैसे किया जा सकता है? तो मुझे लगा कि मेरी सोसाइटी को आज इसकी ज़रूरत है तो आज से ही शुरुआत करनी होगी. मैंने 11 मई को इस बारे में सोचा और एक वेबसाइट बनाकर लॉन्च की. सुबह ही मैंने अपने कुछ दोस्तों से इस बारे में बात की और अच्छी बात ये रही कि जिनसे भी मैंने बात की वे सभी इस काम को करने के लिए तुरंत सहमत हो गए.

उन्होंने कहा कि तुम शुरुआत करो और बताओं कि तुम्हें किस तरह की मदद चाहिए. हमने इसे वॉलंटियर-ड्रिवेन रखा और अब तक हम से लगभग 7000 वॉलंटियर्स जुड़ चुके हैं, जो इस काम में हमारी लगातार मदद कर रहे हैं. हालांकि हमारा लक्ष्य ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं तक पहुंचना है, पर मुझे सुकून है कि इन 22 दिनों में ही हम 4 महिलाओं को नौकरी दिलवा चुके हैं और 200 महिलाओं के इंटरव्यूज़ लाइन्ड-अप हैं. इन दिनों मैं पोटेंशियल एम्प्लॉर्स और ज़रूरतमंद महिलाओं के सतत सम्पर्क में समय बिता रहा हूं और ये बात बताते हुए सुकून महसूस कर रहा हूं कि जिन भी एम्प्लॉयर्स से हम संपर्क कर रहे हैं, वो महिलाओं को नौकरी देने के लिए उत्सुक हैं, उन्हें नौकरी देना चाहते हैं. खोए हुए लोगों को लौटाया तो नहीं जा सकता, पर उनके अपनों के लिए हम इतना तो कर ही सकते हैं.

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ये इनिशिएटिव कैसे शुरू हुआ? इसका फ्रेम वर्क कैसा है?
करण प्रवेश: ये युधवीर का ब्रेन चाइल्ड है. उन्होंने इस बारे में मुझसे; अंजू जयराम, जो वुमेन्स वेब की को-फ़ाउंडर हैं; हिमांशी, जो रीबॉक इंडिया की ब्रैंड मार्केटिंग हेड हैं; असीम फ़ारुकी, जो वीपी प्रोडक्ट डेवेलपमेंट, जैनपैक्ट हैं; वदंना, जो चेकमार्क्स में हैं, के अलावा अपने कुछ दोस्तों से इस बारे में बात की. हम इस बात पर सहमत हुए कि इसे साकार करना है और हमने तुरंत काम शुरू किया. हमें जॉब अपॉर्चुनिटीज़ क्रिएट करनी थीं और हमने इस इनिशिएटिव को वॉलंटियर ड्रिवेन रखा है. हममें से कुछ लोग अपना बिज़नेस कर रहे हैं और कुछ लोग कई ब्रैंड्स के साथ काम कर रहे हैं तो इस इनिशिएटिव के लिए हम जितना समय निकाल सकते हैं, हमने निकाला. यह संतुष्टिदायक है कि इतने कम समय में हमें कोविड से प्रभावित 2000 महिलाओं के आवेदन मिल चुके हैं और 7000 से ज़्यादा वॉलंटियर्स हमसे जुड़ चुके हैं.

शुरुआत में यह हम सभी के लिए थोड़ा थकाने वाला अनुभव था, लेकिन अब चीज़ें स्ट्रीमलाइन हो गई हैं. हमारा फ़ोकस इस बात पर है कि हम इन महिलाओं के लिए जितनी ज़्यादा जॉब अपॉर्चुनिटीज़ जुटा सकें, जुटाएं. क्योंकि हमें इस समय जो रेज़्यूमे मिल रहे हैं वो एक तरह से मिक्स्ड पूल है: ऐसी महिलाएं, जिन्होंने जीवन में कभी-भी काम नहीं किया; ऐसी महिलाएं, जिन्होंने शादी के बाद काम छोड़ दिया. यदि बात एजुकेशन की करें तो कई ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने केवल आठवीं-दसवीं तक पढ़ाई की है तो कुछ ग्रैजुएट या पोस्ट-ग्रैजुएट हैं. हमें समाज के हर स्तर की महिलाओं के सीवीज़ मिल रहे हैं. और चूंकि हममें अधिकतर लोग आईटी बैक्ग्राउंड के हैं, फ़ॉर्मल सेक्टर के हैं तो कई एसएमईज़ और कॉर्पोरेट सेक्टर के लोग हमारी मदद को आगे आए हैं.

बहुत से कॉर्पोरेट्स ने अपने सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) प्रोग्राम के तहत हमें अप्रोच किया और कहा कि हम इसके लिए फ़ंडिंग करना चाहते हैं… तो हमने उन्हें विनम्रता से मना कर दिया और कहा कि पैसे जनरेट करना हमारा उद्देश्य ही नहीं है. हमने उनसे कहा कि आप अपने जॉब ओपनिंग्स हमारे साथ साझा कीजिए. तो अब, जबकि लोग हमारे इनिशिएटिव के बारे में जान चुके हैं तो हमें अप्रोच करने वाले ऑर्गैनाइज़ेशन्स हमारे साथ अपनी जॉब ओपनिंग्स बांटते हैं. अब तक लगभग 100 कॉर्पोरेट्स हमें अप्रोच कर चुके हैं.

आप लोग किस तरह काम कर रहे हैं? और इस काम में किस तरह की चुनौतियां आ रही हैं?
करण प्रवेश: हम हर महिला कैंडिडेट के सीवी की प्रोफ़ाइलिंग करते हैं. इसके लिए हमारे वॉलंटियर्स उनसे बात करते हैं. वॉलंटियर्स तो बहुत हैं, पर हम सबके साथ महिलाओं का डेटा शेयर नहीं कर सकते हैं तो हम उन वॉलंटियर्स को चुनते हैं, जिन्हें पता होता है कि इन महिलाओं से कैसे बात करनी है. क्योंकि यह बहुत ही संवेदनशील मसला है. हम उनके साथ बहुत ज़्यादा हमदर्दी भी नहीं जता सकते हैं, क्योंकि हो सकता है इसकी वजह से उनके ज़हन में उनका गुज़रा हुआ दुख ताज़ा हो जाए.

हमारे साथ ट्रॉमा काउंसलर्स जुड़े हुए हैं, रिलेशनशिप काउंसलर्स, एचआर में काम करने वाले लोग हैं तो कैंडिडेट के प्रोफ़ाइल के मुताबिक़ ही हम वॉलंटियर को उसका केस फ़ॉरवर्ड करते हैं. शुरुआती बातचीत के बाद वॉलंटियर हमें उसके बारे में बताती/बताता है और हम कैंडिडेट की प्रोफ़ाइलिंग करते हैं. उदाहरण के लिए यदि एक महिला ने कभी काम नहीं किया है, लेकिन वह इंग्लिश में अच्छी तरह बात कर सकती है, पर अच्छा लिख नहीं सकती तो हम उसके लिए टेलिकॉम या बीपीओ सेक्टर में नौकरी की तलाश करते हैं. और इसका फ़ायदा ये भी है कि फ़िलहाल वो घर से ही काम कर सकेगी. इसी तरह यदि कोई अकाउंट्स में अच्छा है या फिर टीचिंग प्रोफ़ेशन में जा सकता है तो उसके मुताबिक़ उसका सीवी उससे जुड़े संस्थान को भेजा जाता है. तो जैसे प्रोफ़ाइल मिलते हैं, हम उसी के अनुसार उनके लिए जॉब के इंटरव्यू की प्लानिंग करते हैं.

हम वॉलंटियर्स का भी लिंक्डइन प्रोफ़ाइल चेक कर लेते हैं, जिससे हमें इस बात का भरोसा हो जाता है कि वह योग्य हैंऔर दूसरी बात जो हम चेक करते हैं कि वे कहां रहते हैं. क्योंकि हमें पूरे भारत से महिलाओं के सीवीज़ मिल रहे हैं. फ़र्ज़ कीजिए कोई सीवी हमें तमिल नाडु से मिला है तो हम वॉलंटियर भी उसी रीजन का ढूंढ़ते हैं, ताकि उन्हें एक-दूसरे से कनेक्ट होने में सहज महसूस हो. इस तरह वह ज़्यादा अच्छे ढंग से उनकी स्थिति को समझ पाएंगे. हमारे वॉलंटियर्स भी भारतभर में हैं और कुछ लोग तो विदेशों से भी हमारी मदद कर रहे हैं. वे एक दिन में इस काम के लिए दो-तीन घंटे का समय निकालते हैं. और इस तरह हम सब मिलकर ऐसी महिलाओं को नौकरी दिलाने के प्रयास कर रहे हैं, जो इस महामारी की वजह से कठिन दौर से गुज़र रही हैं.

यदि आपको ख़ुद के लिए या किन्हीं अपनों के लिए कोविड वुमन हेल्प के ज़रिए नौकरी पाने में मदद चाहिए तो क्या करें?
• आप https://covidwidows.in/ वेबसाइट पर जाएं
• वहां अप्लाइ हियर का बटन क्लिक करें
• मांगी गई जानकारी और अपना सीवी अपलोड करके सबमिट बटन दबाएं
• आपको कोविड वुमन हेल्प की ओर से कॉन्टैक्ट ज़रूर किया जाएगा

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट

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शिल्पा शर्मा

शिल्पा शर्मा

पत्रकारिता का लंबा, सघन अनुभव, जिसमें से अधिकांशत: महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर कामकाज. उनके खाते में कविताओं से जुड़े पुरस्कार और कहानियों से जुड़ी पहचान भी शामिल है. ओए अफ़लातून की नींव का रखा जाना उनके विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएशन, पत्रकारिता के अनुभव, दोस्तों के साथ और संवेदनशील मन का अमैल्गमेशन है.

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