भगत जी की किरान्ती: अनूप मणि त्रिपाठी की व्यंग्यात्मक कहानी
इन दिनों सोशल मीडिया के ज़रिए किस तरह लोगों का ध्यान अपने जीवन की बुनियादी ज़रूरतों से इतर धर्म और...
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इन दिनों सोशल मीडिया के ज़रिए किस तरह लोगों का ध्यान अपने जीवन की बुनियादी ज़रूरतों से इतर धर्म और...
कुछ कविताएं दिल में इस तरह उतर जाती हैं कि किसी संघर्ष का एंथम बन जाती हैं. वर्ष 2012 के...
वर्षों पहले लिखी अदम गोंडवी की छोटी-सी रचना ‘घर में ठंडे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है’ आज के सामाजिक...
‘फ़िक्शन अफ़लातून’ हिंदी की इस नई वेबसाइट की पहली प्रतियोगिता थी. हम इसे लेकर बेहद उत्साहित थे और आपकी प्रतिक्रियाओं...
आजकल बच्चे हों या बड़े, सभी तनाव की शिकायत करते हैं और यह सच्चाई भी है कि तनाव सभी के...
यूं तो हर संजीदा व्यक्ति अपने आसपास के हालात पर नज़र रखता है, हवाओं में मौजूद संदेशों को पढ़ता है...
देश के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए क्या आपको लगता है कि क़ानून के सामने सभी लोग बराबर हैं? संविधान...
हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां एक-दूसरे से बिल्कुल अलग दो देश रहते हैं. कहानी राजधानी में लेखक...
मां अपने बच्चों के लिए क्या नहीं करती? ख़ासकर जब उसे लगे कि बच्चा कमज़ोर, आवारा और लापरवाह है तो...
सुमित्रानंदन पंत की सबसे ज़्यादा पढ़ी गई कविताओं में एक ‘आ: धरती कितना देती है’ मनुष्य के स्वार्थी और भाग्यवादी...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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