आजकल बच्चे हों या बड़े, सभी तनाव की शिकायत करते हैं और यह सच्चाई भी है कि तनाव सभी के जीवन का हिस्सा है. लेकिन ख़ुद को तनाव-मुक्त करना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि तनाव ही सेहत संबंधी अधिकतर समस्याओं का मूल कारण है. अत: यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे वीकएंड्स पर आप ख़ुद को डीस्ट्रेस यानी तनाव-मुक्त बना सकते हैं.
ज़िंदगी की रफ़्तार तेज़ हो गई है और आजकल महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बूढ़े सभी मल्टी-टास्किंग कर रहे हैं. कैसे? माता-पिता कामकाजी होते हैं तो महिलाओं पर दोहरी ज़िम्मेदारी आ जाती है और पुरुषों को घर के काम में हाथ बंटाना होता है, बंटाना ही चाहिए. चूंकि माता-पिता कामकाजी हैं, बच्चों को व्यस्त रखने के लिए स्कूल के बाद कई तरह की क्लासेस लगवा दी जाती हैं और उन क्लासेस में बच्चों को लाने, ले जाने का ज़िम्मा घर के बुज़ुर्ग निभाते हैं. साथ ही, घर के बुज़ुर्ग घर की व्यवस्था को बनाए रखने का भी काम करते हैं और इस तरह मल्टी-टास्किंग सभी सदस्यों के लिए तनाव का कारण बनती है. अत: ख़ुद को घर पर रहकर ही डीस्ट्रेस करना बहुत ज़रूरी है. अब यह काम कैसे किया जाए, यही बात हम यहां बता रहे हैं.
गैजेट्स से दूरी रखें
वीकेंड पर जो दो दिन मिलते हैं, उसमें से एक दिन को पूरे परिवार के लिए गैजेट्स से मुक्त रखें. न कोई फ़ोन देखे, न ही टीवी. इस दिन को साथ-साथ बातचीत करते हुए बिताएं, अंताक्षरी खेलें, इनडोर गेम्स, जैसे- चेस, कैरम, लूडो खेलते हुए बिताएं. परिवार के सभी सदस्य बाहर सैर पर निकल जाएं, कोई पिकनिक प्लान करें. गैजेट्स से दूर रहने पर आप सही मायनों में डीस्ट्रेस होंगे. यह तनाव-मुक्त होने का सबसे कारगर तरीक़ा है और सप्ताह में एक दिन तो गैजेट्स से दूर रहा ही जा सकता है. इसे एक बार आज़माइए, यक़ीनन आप इसे बार-बार आज़माना चाहेंगे.
एक्सरसाइज़ करें
तनाव-मुक्त होने का अचूक तरीक़ा है एक्सरसाइज़ करना. यदि आप यह सोचते/सोचती हैं कि छुट्टी का दिन केवल सोते हुए बिताया जाए तो इससे आपको स्ट्रेस से छुटकारा मिल जाएगा तो आप बिल्कुल ग़लत हैं. जब आप एक्सरसाइज़ करते हैं तो आपके शरीर में एंडॉर्फ़िन्स रिलीज़ होते हैं, जिससे न सिर्फ़ आपका मूड अच्छा होता है, बल्कि नींद की गुणवत्ता में भी सुधार आता है. परिवार के सभी सदस्य अपनी उम्र के अनुसार किसी विशेषज्ञ की देखरेख में एक्सरसाइज़ करें, रोज़ाना करें और वीकेंड पर भी इसे बिल्कुल बंद न करें. संभव हो तो वीकेंड पर इसमें बदलाव लाएं और इसका समय थोड़ा-सा और बढ़ा दें.
हॉबी क्लासेस लें
अपनी पसंद का काम करने से स्ट्रेस के स्तर में तुरंत गिरावट आती है. वह एक गतिविधि, जो आपको पसंद है, उसे करने का समय वीकेंड पर निकालें और चाहें तो पूरे घर के सदस्यों के लिए वीकेंड पर हर दिन एक-एक घंटे का समय फ़िक्स कर दें, जिसमें हर व्यक्ति अपने पसंद की चीज़ सीखे या वह काम करे. इससे आप भावनात्मक रूप से सुदृढ़ महसूस करेंगे और घर कर हर व्यक्ति अपनी हॉबी पूरी करेगा तो, हर व्यक्ति तनाव रहित महसूस करेगा.
कुकिंग करें
अमूमन हम सभी वीकेंड पर बाहर लंच या डिनर लेने का सोचते हैं, ताकि घर पर कुछ काम न करना पड़े और हम बाहर से जो खाकर लौटते हैं, उसकी क्वालिटी के प्रति आश्वस्त भी नहीं रहते हैं. और क्या आपको पता है कि कुकिंग करना एक सभी के लिए एक राहत देनेवाला काम बन सकता है. यदि घर के सभी लोग इस प्रकिया में शामिल हों तो खाना तो स्वादिष्ट बनेगा ही, पर इसे बनाने की प्रक्रिया में बुज़ुर्गों का मन लगा रहेगा और बच्चे कुछ नई जानकारिया हासिल करेंगे, एक लाइफ़ स्किल सीखेंगे. वीकेंड पर साथ मिलकर खाना पकाने से आप सभी यक़ीनन डीस्ट्रेस्ड महसूस करेंगे.
मन की बात लिखें/डायरी लिखें
जब भी तनाव हो, ख़ुद भी डायरी लिखें और दूसरों को यानी घर के अन्य सदस्यों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें. जो बातें आपको तनाव दे रही हैं, उनके बारे में लिखें, उसे पढ़ें और ख़ुद को हल्का होता हुआ महसूस करें. अपनी सोच को लिखकर व्यक्त करने से, कोई भी व्यक्ति तनाव रहित महसूस करता है. आप चाहें तो जो आपने लिखा है, उसे बाद में फाड़कर फेंक भी सकते हैं. यह काम यानी कागज़ या डायरी में अपने विचारों को लिखकर तनाव-मुक्त होने की क्रिया को मनोवैज्ञानिक भी कारगर मानते हैं. हर सप्ताह आप सप्ताह भर में हुए तनाव में आपने कैसा महसूस किया, कैसे आप इसे निजात पा सके/सकी या पाना चाहते/चाहती हैं, इस बारे में वीकेंड पर लिखकर ख़ुद को डीस्ट्रेस कर सकते हैं.
फ़ोटो: फ्रीपिक