पंछियों को फिर कहां पर ठौर है: कुंवर बेचैन की कविता
किसी भी सुविधा को हासिल करने के लिए हमें कुछ न कुछ क़ुर्बान करना ही पड़ता है. मरहूम कवि कुंवर...
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किसी भी सुविधा को हासिल करने के लिए हमें कुछ न कुछ क़ुर्बान करना ही पड़ता है. मरहूम कवि कुंवर...
एक कवि की इतिहास दृष्टि तमाम भटकावों के बावजूद कितनी टू द पॉइंट हो सकती है, रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की...
एक अंतराल के बाद गांव जाने पर आपको सबकुछ वहां ठहरा हुआ मिलेगा, पर इस ठहराव में भी आपको बदलाव...
नारियल के तेल को अक्सर बालों में लगाने के लिए जाना जाता है. हम यह भी जानते हैं कि इसका...
नीम के आयुर्वेदिक महत्व के बारे में हमने कितना कुछ सुना है. वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना इसके इमोशनल महत्व के...
अपनी भावनाएं दूसरों तक पहुंचाने और दूसरों के सुख-दुख को समझने के लिए कहानियों के पुल से बेहतर भला क्या...
कई बार आपके बारे में दूसरे लोग वह सच जानते हैं, जो आपको पता नहीं होता. ऐसी ही कहानी है...
लिखना, महसूस करने की दूसरी सीढ़ी है. मीनाक्षी विजयवर्गीय की इस कविता में वैलेंटाइन्स डे के मौसम में एक पत्नी,...
बड़े-बुज़ुर्ग कहते हैं गुंधे हुए आटे को घर में रखने से आत्माओं और भूत-प्रेत का घर में डेरा जम जाता...
यदि आप भी उन लोगों में से हैं जो देसी मोटे अनाज को अपने खानपान का हिस्सा बनाना चाहते हैं...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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