इस वैलेंटाइन्स डे: मीनाक्षी विजयवर्गीय की कविता
लिखना, महसूस करने की दूसरी सीढ़ी है. मीनाक्षी विजयवर्गीय की इस कविता में वैलेंटाइन्स डे के मौसम में एक पत्नी,...
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लिखना, महसूस करने की दूसरी सीढ़ी है. मीनाक्षी विजयवर्गीय की इस कविता में वैलेंटाइन्स डे के मौसम में एक पत्नी,...
बड़े-बुज़ुर्ग कहते हैं गुंधे हुए आटे को घर में रखने से आत्माओं और भूत-प्रेत का घर में डेरा जम जाता...
यदि आप भी उन लोगों में से हैं जो देसी मोटे अनाज को अपने खानपान का हिस्सा बनाना चाहते हैं...
तुलसी दास और रामचरित मानस विवाद के बीच क़रीब 25 साल पहले प्रकाशित कविता संग्रह ‘माटी के वारिस’ की कविता...
नेटफ़्लिक्स पर दिसंबर में प्रदर्शित हुई फ़िल्म वध में मुख्य किरदार में संजय मिश्रा के साथ नीना गुप्ता हैं. दोनों...
हरिशंकर परसाई की यह रचना तो वैसे दशकों पहले की है. पर देश की मौजूदा आबोहवा में कहानीनुमा व्यंग्य ‘आवारा...
ज्ञान प्रकाश विवेक की ग़ज़ल संग्रह ‘गुफ़्तगू आवाम से है’ की ग़ज़लें अपने संग्रह के नाम के मुताबिक आवाम की...
शेखर की मां मर गई है. पर मां की यादें, उसकी बातें अब भी उसके मस्तिष्क में घूम रही हैं....
बाबुषा कोहली हमारे समय की ऐसी कवयित्री हैं, जिनकी कविताएं मन के भीतर सीधे उतरती हैं. उनकी कविताओं में मौजूद...
यूं तो आपने इतिहास में कई युद्धों के कई सेनापतियों के नाम सुने होंगे, लेकिन मणिपुर के इस सेनापति का...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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