लिखना, महसूस करने की दूसरी सीढ़ी है. मीनाक्षी विजयवर्गीय की इस कविता में वैलेंटाइन्स डे के मौसम में एक पत्नी, अपने जीवनसाथी से प्यार का इज़हार लिखे हुए शब्दों में करने के लिए कह रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि वह चाहती है कि वह दोबारा प्यार के एहसास को पहले की तरह महसूस कर सके.
इस बार वैलेंटाइन्स डे पर तुम मुझे ख़त लिखना
जो प्रेम कहीं गुम सा गया है
उसका हर एहसास लिखना
रोज़ मिलते हो पर कह नहीं पाते
वह हर बात लिखना
गुलदस्ता नहीं चाहिए मुझे
बस वही खत के बीच में एक लाल गुलाब रखना
तुम लिखना इस ईमेल के ज़माने में ख़त मुझे
मेरी ख़्वाहिश को मज़ाक ना समझना
कई रंग है पर तुम सफ़ेद कागज पर नीली स्याही से लिखना
होंगे तुम्हें बहुत काम, कुछ कामों को छोड़कर
काम पहला यह करना
इस वैलेंटाइन्स डे मुझे खत लिखना
तीखी नोकझोंक ना सही पर खट्टे-मीठे झगड़े की कोई याद लिखना
ज़्यादा ना सही पर कम से कम ढाई आखर प्रेम के लिखना
ख़त का जवाब ख़त से मिलेगा
इतना इत्मीनान रखना
इस वैलेंटाइन्स डे तुम मुझे खत लिखना
शादी के इतने सालों में बढ़ गई कहीं, कहने सुनने की दूरियां
तुम फिर से नज़दीक आने के बहाने लिखना
ज़िम्मेदारियों ने बहुत समझदार बना दिया होगा
पर फिर से तुम एक बार नादानियां लिखना
इस वैलेंटाइन्स डे तुम मुझे ख़त लिखना
ख़त भेजने के कई तरीक़े होंगे
पर तुम किसी दोस्त या मेरी सहेली के साथ भेजना
फिर से लौट आए वही प्यार भरा एहसास
महसूस हो प्यार की गर्माहट, शब्द हो ख़ास
तुम इस गुलाबी मौसम में छाए प्यार के खुमार को लिखना
इस प्यारे से प्यार के महीने के दिन पहले ही कम है
इसलिए ख़त को समय से लिखना
मेरी प्यार भरी मनुहार है फिर से
इस बार तुम मुझे वैलेंटाइन्स डे पर ख़त लिखना
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