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बरसात में ख़ौफ़: इरा टाक की कहानी

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
June 9, 2021
in नई कहानियां, बुक क्लब
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बरसात में ख़ौफ़: इरा टाक की कहानी
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कई बार अपनों के मना करने के बाद भी हम किसी ज़िद पर अड़ जाते हैं, कई बार ऐसी ज़िद हमें किसी ख़ौफ़नाक राह पर ला खड़ा करती है. ऐसा ही कुछ होता है इस कहानी की नायिका निशा के साथ. बरसात की उस रात आख़िर ऐसी कौन-सी घटना हुई उसके साथ? जानने के लिए पढ़िए यह कहानी…

अगस्त की एक भीगी सी शाम थी, निशा के कुछ दोस्त कोलकाता से मुंबई आए हुए थे. उनसे मिलने के लिए वो घर से क़रीब शाम छह बजे निकल गई थी. निशा एक टीवी एक्ट्रेस थी. वो मढ़ आइलैंड में रहती थी, जो तीन तरफ़ से पानी से घिरा हुआ एक सुंदर टापू है. मलाड से वह सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. डिनर करने और दोस्तों के साथ बातें करने में साढ़े ग्यारह कब बज गए उसे पता ही नहीं चला. उसने जाने को कहा तो दोस्तों ने उसे यह कह कर, “अरे यार तुम्हारे पास तो गाड़ी है चली जाना, थोड़ी देर और रुक जाओ. हम कौन-सा रोज़ आते हैं,” रोक लिया.

उसकी मां का भी दो तीन बार फ़ोन आ चुका था. सवा बारह बजे वो होटल से बाहर निकली. बहुत तेज़ बरसात चालू थी. रात में मढ़ जाने का रास्ता सुनसान हो जाता है. छह सात किलोमीटर तक कोई ख़ास आबादी नहीं. मलाड से रात साढ़े बारह बजे वहां को आख़िरी बस चलती है उसके अलावा कुछ इक्का-दुक्का गाड़ियां ही इतनी देर रात नज़र आती हैं.
जैसे ही वो गाड़ी में बैठी मां का फ़ोन फिर आ गया.
“मैं कोई बच्ची नहीं, मम्मी! आप परेशान मत हो. आधे घंटे में आ जाऊंगी,” उसने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा.
पार्टी में दो पैग पीने के बाद सुरूर उसके ऊपर हावी था. वो बड़ी रफ़्तार से अपनी कार दौड़ा रही थी. ईस्टर्न हाईवे से मिढ़ चौकी तक आने में उसे ज़्यादा वक़्त नहीं लगा. रात में ट्रैफ़िक भी काफ़ी कम था. मिढ़ चौकी से अगले सिग्नल पर बाईं तरफ़ कब्रिस्तान के बोर्ड पर अचानक उसकी नज़र गई. ठीक उसके बगल में ईसाईयों की दफ़न-भूमि और उसके बगल में हिंदुओं की श्मशान भूमि देख कर उसे हंसी आ गई.
“कहीं एकता हो या ना हो पर यहां के भूतों में ज़रूर एकता होगी ? या ये भी मंदिर, मस्जिद, चर्च के नाम पर लड़ते होंगे ?”
उसने फ़ुल वॉल्यूम में गाने चला रखे थे और पूरी मस्ती में झूमती हुई वह गाड़ी चला रही थी. अचानक म्यूज़िक प्लेयर की आवाज़ अपने आप कम हो गई. वो थोड़ा हैरान हुई, पर उसने दोबारा वॉल्यूम बढ़ा दिया.
आगे मालवणी चौराहे पर पुलिस वाले हर गाड़ी को चेक कर रहे थे. वह बहुत घबरा गई, क्योंकि शराब पीकर गाड़ी चलाना क़ानूनन अपराध है, भले ही आपने केवल दो पैग क्यों न पी हो. उसने म्यूज़िक बंद कर दिया. बगल की सीट पर पड़ी अपनी शॉल को सिर पर से ओढ़ लिया. फिर कार की रफ़्तार कम कर के वो पुलिस के पास रुकने ही वाली थी कि पुलिस वाले ने लड़की देखकर उसको जाने का इशारा कर दिया.

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“अगर चेकिंग होती तो मेरा लाइसेंस जप्त हो जाता, जान बच गई… लड़की होने के फ़ायदे ही फ़ायदे हैं,’’ यह सोचते हुए उसने चैन की सांस ली और शॉल को वापस उतारकर लापरवाही से सीट पर फेंक दिया.

मालवणी से होती हुई वह उस पुल पर पहुंच गई, जहां से एक रास्ता मार्वे की तरफ़ मुड़ता हैऔर एक मढ़ आइलैंड की तरफ़. पुल पर एकदम सन्नाटा था. दिन में यहां मछली पकड़ने वालों की भीड़ रहती है.
अभी बारिश हल्की हो गई थी. उसने फिर से गाने चालू कर लिए. दूर-दूर तक कोई नहीं था. ना कोई गाड़ी, ना कोई मोटरसाइकल और ना कोई आदमी. सब एकदम सुनसान!
सड़क के दोनों तरफ़ घने पेड़… दिन में यह रास्ता जितना सुंदर लगता है, रात में उतना ही भयावह लग रहा था. रोड लाइट भी हर जगह नहीं थी. कहीं-कहीं घुप्प अंधेरा था. बरसात की वजह से उसे ठंड महसूस होने लगी. उसने कार का एसी बंद कर खुली हवा के लिए थोड़ी-थोड़ी खिड़कियां खोल लीं. उसका सिर चकरा रहा था और नींद से आंखें मुंदी जा रही थीं. उसने एक जगह कार रोक पीछे पर्स में पड़ी पानी की बोतल निकाली और अपने मुंह पर पानी के छीटें मार ही रही थी कि म्यूज़िक प्लेयर बंद हो गया.
मैंग्रोव के घने जंगल, मछलियों की गंध और हवा में तेज़ी से हिलते पेड़ देख अचानक उसे घबराहट होने लगी. उसने गाड़ी के अन्दर की लाइट जलाई और शंका से पीछे वाली सीट पर देखा. उसने घड़ी देखी. रात का एक बज चुका था.
“लगता है इसका कोई वायर ढीला हो गया, कल सही करवाती हूं,‘‘ यह बुदबुदाते हुए उसने एक बार फिर म्यूज़िक प्लेयर चालू कर दिया.
“अब तो आख़िरी बस भी जा चुकी होगी… मुझे इतने देर वहां नहीं रुकना चाहिए था,” उसने ख़ुद से कहा

उसने अपनी कार की रफ़्तार बढ़ा दी. सड़क ज़्यादा चौड़ी नहीं थी और बीच-बीच में काफ़ी घुमावदार मोड़ भी थे. सात-आठ किलोमीटर के लंबे रास्ते पर तीन-चार जगह ही कुछ दुकानें हैं, पर इस समय तो सब बंद हो चुका था और बरसात की वजह से सड़क पर एक कुत्ता भी नज़र नहीं आ रहा था. म्यूज़िक प्लेयर चलते-चलते फिर अचानक बंद हो गया. एक डर की लहर उसके शरीर में दौड़ गई. उसने बाईं तरफ़ देखा तो एक सुनसान बंगला नज़र आया. उसे पिछले दिनों देखी हॉरर फ़िल्म याद आ गई. जिसमें एक परिवार पिकनिक मनाने आता है और वापसी में उनकी कार ख़राब हो जाती है तो रात बिताने को वो ऐसे ही एक सुनसान बंगले में घुस जाते हैं. बंगले का दरवाज़ा खुला होता है, पर उन्हें कोई नज़र नहीं आता. बंगले में सबकुछ अपनी जगह पर सजा हुआ होता है. कई बार आवाज़ देने के बाद जब कोई नहीं आता तो वो बेतकल्लुफ़ हो वहीं रुक जाते हैं. बच्चे खेलने लगते हैं, पति घर के कोने में बनी बार से शराब पीने लगता है और औरत फ्रिज में खाने का सामान ढूंढ़ने को जैसे ही उसका दरवाज़ा खोलती है. ज़ोर से चीख़ पड़ती है. फ्रिज में कटे हुए सिर, हाथ-पैर रखे हुए थे. निशा वहीं पहुंच गई थी जैसे! उसने एकदम तेज़ी से ब्रेक लगाया और गाड़ी बंद हो गई.

उसके माथे पर पसीना आ गया. उसने अपने सिर को झटका दिया. उसने गाड़ी चालू करने को चाबी घुमाई पर वो स्टार्ट ही नहीं हो रही थी. वो ज़ोर-ज़ोर से गाड़ी के स्टेरिंग पर मुक्के मारने लगी. डर और बैचैनी के मारे उसका हाल ख़राब हो गया. बार-बार ट्राइ करने के बाद कार स्टार्ट हो गई, तब कहीं उसने चैन की सांस ली. उसने सुनसान बंगले की तरफ़ सहमते हुए देखा और गाडी आगे बढ़ा दी.
“अरे यार निशा क्यों सुनसान रास्ते पर हॉरर फ़िल्म के बारे में सोच रही है, अगर गाड़ी स्टार्ट नहीं होती तो तू भी उसी फ्रिज में होती कटी हुई. कुछ रोमांटिक सोच, सोच… अगर इस समय विशाल होता तो ऐसे रोमांटिक मौसम में कार को चलने ही नहीं देता और सारी रात यहीं सड़क किनारे या सुनसान बीच पर… मैंने फ़ालतू ही आज उससे झगड़ा किया,” उसने अपना मूड बदलने की कोशिश की.

विशाल उसका बॉयफ्रेंड था. वह मुंबई से बाहर किसी काम से गया हुआ था इसलिए नहीं चाहता था कि निशा देर रात पार्टी करने अकेले जाए. इसी बात पर शाम को उनकी कहासुनी हो गई थी. उसे विशाल की याद आने लगी. उसने विशाल को फ़ोन मिलाया, उसका फ़ोन स्विच ऑफ़ आ रहा था. डैशबोर्ड से विशाल की गिफ़्ट की हुई सीडी उठाई और म्यूज़िक प्लेयर में लगा दी.
“तू नहीं तो तेरी याद सही.. विशाल आई लव यू बेबी,” निशा ने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा.

“सैटरडे सैटरडे करदी रेंदी है कुड़ी…” प्लेयर ऑन करते ही बादशाह की आवाज़ में गाना चालू हो गया
उसने वॉल्यूम फ़ुल कर दिया और ख़ुद भी ज़ोर-ज़ोर से गाने लगी. और डर एकदम से ग़ायब हो गया. बाहर तेज़ बारिश शुरू हो गई थी, उसने खिड़की पूरी खोल ली और बारिश की बूंदें अपने हाथ में लेकर उछालने लगी. तभी अचानक म्यूज़िक प्लेयर फिर बंद हो गया. वो एक झटके में अपने नशे से बाहर आई. डर झुरझुरी बन पूरी शरीर पर लोट गया. घबराहट के मारे उसको सांस लेना मुश्क़िल होने लगा.

“ये हो क्या रहा है? कहीं कब्रिस्तान से कोई भूत तो गाड़ी में नहीं चढ़ गया?” उसने एक बार फिर गाड़ी की लाइट जला डरते-डरते पीछे देखा. कोई नहीं था. उसने डैश बोर्ड पर रखे गणेशजी की छोटी मूर्ति को छुआ और माथे से हाथ लगाया.
“थोड़ी देर आप ही हनुमान जी बन जाओ प्लीज़ गणपति बप्पा ….”
“कितना सुनसान है, ऐसे में अगर कार का टायर पंक्चर हो जाए तो… गाड़ी फिर से बंद हो जाए और स्टार्ट न हो तो…? विशाल सही कह रहा था. मुझे नहीं जाना चाहिए था,”एक के बाद एक विचार उसके दिमाग़ में तेज़ी से आने लगे. उसकी दोबारा म्यूज़िक चलाने की हिम्मत न हुई.

“पों पों पों” अचानक एक गाड़ी के तेज़ हॉर्न से उसकी तन्द्रा टूटी. एक पल के लिए तो उसे लगा उसका दिल उछलकर बाहर ही आ जाएगा. उसकी घबराहट कई गुना बढ़ गई.
एक सफ़ेद रंग की स्कोडा कार बड़ी तेज़ी-से लहराती हुई उसे ओवरटेक कर गई. गाड़ी को देखकर ऐसा लग रहा था, उसको चलाने वाले ने जमकर पी रखी हो! मढ़ आइलैंड में रईसज़ादों की पार्टियों के अड्डे हैं. और पुलिस भी इधर कम नज़र आती है. उसे डर लगने लगा
“कहीं यह मुझे ओवरटेक कर गाड़ी न रोक ले, कोई मदद को भी नहीं आने वाला और मेरा रेप कर कर झाड़ियों में फेंक जाएं तो…”

तरह-तरह के बुरे ख़्याल उसके दिमाग़ में आने लगे. अभी तक तो वो भूतों के ख़्याल से ही डर रही थी और अब ये असली हैवान आ गए थे. उसकी धड़कनें बढ़ने लगीं. स्कोडा काफ़ी दूर जा चुकी थी, यह देख उसको थोड़ी-सी राहत मिली. उसने अपने गाड़ी की रफ़्तार कम कर ली. गाड़ी का सेंट्रल लॉक लगाया और खिड़कियां बंद कर दीं. अब वो बहुत सतर्क होकर गाड़ी चलाने लगी. लगभग एक किलोमीटर चलने के बाद उसे वह स्कोडा सड़क के किनारे खड़ी हुई नज़र आई. उसकी पार्किंग लाइट्स चालू थीं. तीन चार लड़के उससे टिके हुए शराब पी रहे थे.
अब वह बहुत घबरा गई. उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा जैसे अभी उछलकर बाहर आ जाएगा.
“हे भगवान् अब क्या करूं… क्या करूं… क्या करूं…” वो ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगी.
उसने अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाई और स्कोडा के पास से तेज़ी निकल गई. उसके निकलते ही वो सभी लड़के स्कोडा में बैठ गए और उसका पीछा करना चालू कर दिया. शायद उन्होंने देख लिया था कि कार एक अकेली लड़की चला रही है.
निशा की घबराहट का लेवल बहुत बढ़ गया था. उसका गला बुरी तरह सूखने लगा. उसने रोना शुरू कर दिया. वो बार-बार आंसू पोंछती हुई कार के रियर व्यू मिरर में देखती कि स्कोडा कितनी दूर है.
स्कोडा उसके पीछे-पीछे हॉर्न बजाती हुई आ रही थी. कभी वह उसके एकदम साइड में ले लेते और कभी ठीक पीछे! गाड़ी में चार-पांच लड़के थे, जो शोर करते हुए पूरी तरह नशे में थे और ज़ोर-ज़ोर से उसपर भद्दी-भद्दी फब्तियां कस रहे थे.
निशा को लगने लगा कि उसके जीवन का आख़िरी दिन आ गया.
“मैंने कभी नहीं सोचा था, मुझे इस तरह मरना पड़ेगा… मां पर क्या बीतेगी? विशाल काश तुम मेरे साथ होते…” वह फफक के रो पड़ी
“अरे अब रुक भी जा जानेमन!” एक आवाज़ ज़ोर-से आई.
“सौ नंबर पर फ़ोन करती हूं,” सोचते हुए निशा नेअपना मोबाइल उठाया.
फ़ोन का टच स्क्रीन हैंग हो गया था. उसने दो-तीन बार कोशिश की. लड़कों ने ज़ोर-ज़ोर से हॉर्न बजाना शुरू कर दिया. घबराहट में मोबाइल हाथ से छूट सीट के नीचे गिर गया.
उसने एक हाथ से स्टेरिंग संभालते हुए मोबाइल को ढूंढ़ने की कोशिश की, पर वह उसकी पहुंच में नहीं आ रहा था. आंसुओं और पसीने से उसका चेहरा तरबतर था.

“इसे तो रोकना होगा यार! बहुत बल खाकर गाड़ी चला रही है,” दूसरे लड़के ने चिल्लाकर कहा.
ये नशे में डूबी आवाज़ें उसके कानों में गरम लावे की तरह घुस रहीं थी. उसे अपनी चेतना खोती हुई महसूस होने लगी.
अचानक लड़कों ने स्कोडा की रफ़्तार बढ़ा, निशा की कार को ओवरटेक करते हुए जैसे ही बाईं तरफ़ मोड़ा…
“भड़ाक”
एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ पुल की रेलिंग तोड़ती हुई स्कोडा मैंग्रोव के जंगल से भरे दलदल में जा गिरी. निशा ने पूरी ताक़त से ब्रेक लगाया. एक झटके से उसकी कार रुक गई. उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं. पुल के नीचे गिरी कार से मदद के लिए चीख़ने की आवाज़ें आने लगीं. कुछ आवाज़ें दर्द से तड़पने की थीं. वो स्तब्ध थी. उसका दिमाग़ सुन्न हो गया था. वो समझ नहीं पा रही थी कि अचानक ये सब क्या हो गया. तभी मोबाइल की घंटी बजने लगी. मोबाइल की आवाज़ भी जैसे उसके कानों के परदे फाड़े दे रही थी. वो अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रही थी, जैसे उसका शरीर पत्थर हो गया हो. बरसात तेज़ हो गई थी. पांच मिनट बीत गए और वो अभी तक उसी जगह पर खड़ी थी. मोबाइल दो बार बज के बंद हो गया. वो चाह कर भी मोबाइल को झुककर ढूंढ़ नहीं पा रही थी.दलदल से आनेवाली चीख़ें थम चुकी थीं.
लगभग 10-15 मिनट बीत जाने के बाद उसने ख़ुद को संयत करने की कोशिश की और अपनी आदत के मुताबिक कार के रियर व्यू मिरर में देखा तो एक सजी-धजी औरत का चेहरा नज़र आया. बड़ी काली आंखें, सुर्ख़ लिपस्टिकऔर माथे से बहता हुआ ख़ून जो उसके चेहरे के बाएं हिस्से को ढंके हुए था!
वो एक झटके से पीछे मुड़ी. पर पीछे कोई नहीं था!
उसने गाड़ी पूरी रफ़्तार से भगा दी. वह चीखना चाहती थी, पर डर से उसकी आवाज़ निकलना ही बंद हो गई. उसने गाड़ी की लाइट जला ली और डर के मारे दोबारा रियर व्यू मिरर में नहीं देखा. बदहवास हालत में पंद्रह मिनट गाड़ी दौड़ाने के बाद वह किसी तरह अपने घर पहुंची. उसने अपनी चाबी से दरवाज़ा खोला. चुपचाप मां के कमरे में जा कर उनके पास लेट गई. अपने कमरे में जाने की तो उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी.
***
“मैं कहती थी न इतनी रात में उस रास्ते से आना ख़तरनाक है. पर तू कभी सुनती नहीं… कल रात एक ऐक्सीडेंट हो गया, सब मारे गए,” मां हाथ में चाय और अख़बार लिए उसे जगा रही थीं.
वो एक झटके से उठ बैठी. उसनेअख़बार छीनकर ख़बर देखी. बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था-
भूतिया पुलिया से टकराकर एक और कार दुर्घटनाग्रस्त: गाड़ी में सवार पांचों लड़कों की मौत
लड़के स्कोडा कार में थे और सभी ने भारी मात्रा में शराब पी रखी थी. पुलिस ने बताया कि रफ़्तार की वजह से उनका गाड़ी से कंट्रोल खो गया और गाड़ी पुलिया की रेलिंग तोड़ते हुए खाई में गिर गई. पर स्थानीय लोग इसे उस दुल्हन की भटकती आत्मा का कारनामा बता रहे हैं, जो अक्सर देर रात इस जगह के आसपास घूमती है और गाड़ियों से लिफ़्ट मांगती है…
इससे आगे वह पढ़ नहीं सकी. उसे रियर व्यू में दिखा दुल्हन का चेहरा याद आ गया!

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट

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