• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब कविताएं

बोलती हुई औरतें: डॉ संगीता झा की कविता

डॉ संगीता झा by डॉ संगीता झा
March 14, 2023
in कविताएं, बुक क्लब
A A
Dr-Sangeeta-Jha_Poem
Share on FacebookShare on Twitter

दुनिया को सबसे ज़्यादा प्यारी लगती हैं आवाज़ें, पर जब यही आवाज़ें अपने हक़ की मांग करने लगें तो चुभने भी लगती हैं. महिला दिवस के महीने यानी मार्च में हरफ़नमौला डॉ संगीता झा पुरुषवादी समाज और मानसिकता को आईना दिखाती एक बेहद सटीक और वाजिब सवाल पूछती कविता ले आई हैं. बोलती हुई औरतें नामक उनकी यह कविता हर औरत को पढ़नी चाहिए और पुरुषों को तो उससे भी ज़्यादा ध्यान से.

कुछ औरतें अब ना बिंदी
लगा बेवक़ूफ़ बनती हैं
ना मांग में सिंदूर भर
अकड़ती हैं
वो अब बोलती हैं
वो चुप नहीं रहतीं
अब तुम चुप ना होना
अपना ये हुनर तुम ना खोना
बोलती हुई औरतें
बड़ी खटकती हैं
सवालों के तीखे जवाब देती
बदले में नुकीले सवाल पूछती
कितनी चुभती हैं ना!

कितनी घुट्टी पढ़ाई गई थी उसे
लाज स्त्री का गहना है
पति परमेश्वर है
बिना मुंह खोले
सब जुर्म सहना है
आपकी इस सीख को मुंह चिढ़ाती
तमाम खोखले आदर्शों के
बंधनों को ठुकराती
घूरती हुई नज़रों से नज़रें भिड़ाती
कितनी बुरी लगतीं हैं ना औरतें!

इन्हें भीपढ़ें

friendship

ज़िंदगी का सरमाया: शकील अहमद की ग़ज़ल

April 22, 2025
kid-reading-news-paper

ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा: राजेश रेड्डी की ग़ज़ल

April 21, 2025
इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025

सदियों से सबको आदत है
एक झुकी हुई गर्दन
माथे पर बिंदी
मांग में सिंदूर का बंधन
जिसके क़दमों की एक निश्चित सीमा
सर हिले हमेशा सहमति में
जो रानी हो अपनी रसोई की
उसके फ़ैसले के अधिकार की सीमा
सीमित हो अपने राज्य यानी महज़ रसोई तक
अब जब यत्र नार्यस्तु पुज्ययंते के उदघोषण को नकार
वो तलाश रही है अपना वजूद
तो ना जाने क्यों लोगों को
खटक रहा है उसका आत्मविश्वास
खोज रहे हैं लोग तरीक़े
उसे ध्वस्त करने के

हर क़ामयाब स्त्री आज भी पुरुषों की नज़र में
समझौते के बिस्तर से आए
व्यभिचार का प्रतीक है
हर लिपस्टिक लगा अपने विचार
रखने वाली महिला चरित्रहीन
और हर अभिनेत्री वेश्या
जीन्स तो चालू वाली ही
पहनती है
और अगर शॉर्ट्स पहने तो
रेट्स भी मालूम हैं उन्हें
ना केवल बनाती है रसोई में पराठे
साथ है वो जानती है खेलना कराटे
जो ना केवल जीना जानती है
ख़ुद को ख़ुद का मालिक मानती है
सवाल पूछती है
है कोई उपाय इस सवाल पूछती औरत को चुप कराने का?

घसीटो इन्हें चरित्र की अदालत में
जहां सारे नियम, सभी क़ानून
हैं पुरुषों के, पुरुषों द्वारा
जिसकी आड़ में छुप जाएंगी
मर्दों की तमाम ऐय्याशियां, नाइंसाफ़ियां
जो हमेशा हक़ रही हैं मर्दों का

आवाज़ उठाती औरतों
अब जब सीख ही रही हो बोलना
तो रुकना नहीं कभी
पड़े ज़रूरत तो चीखना भी
लेकिन ख़ामोश न होना
तुम्हारी खामोशी ही
बेड़ी है तुम्हारे पैरों की
जो रोक रही है तुम्हें आगे बढ़ने से
बोलती हुई औरतों, बोलती ही रहना हमेशा… तुम

Illustration: Pinterest

Tags: Aaj ki KavitaBolti hui Auratein Dr Sangeeta JhaDr Sangeeta JhaDr Sangeeta Jha PoetryHindi KavitaHindi PoemKavitaआज की कविताकविताडॉ संगीता झाडॉ संगीता झा की कविताबोलती हुई औरतेंबोलती हुई औरतें डॉ संगीता झाहिंदी कविता
डॉ संगीता झा

डॉ संगीता झा

डॉ संगीता झा हिंदी साहित्य में एक नया नाम हैं. पेशे से एंडोक्राइन सर्जन की तीन पुस्तकें रिले रेस, मिट्टी की गुल्लक और लम्हे प्रकाशित हो चुकी हैं. रायपुर में जन्मी, पली-पढ़ी डॉ संगीता लगभग तीन दशक से हैदराबाद की जानीमानी कंसल्टेंट एंडोक्राइन सर्जन हैं. संपर्क: 98480 27414/ [email protected]

Related Posts

democratic-king
ज़रूर पढ़ें

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता
कविताएं

पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

September 24, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.