हर प्रेग्नेंट महिला अपने आसपास की सभी महिलाओं से मिलनेवाली मुफ़्त की सलाहों से परेशान रहती है, ख़ासकर खाने-पीने से...
कहने को तो ऑटोग्राफ़्स का ज़माना बीत गया, पर आज भी कई ऐसे फ़ैन्स हैं जो अपने पसंदीदा सितारों के...
शहतूत (मलबेरी) के फल मार्च से मई तक पेड़ पर लदे रहते हैं. इनमें गुलाबी, बैगनी, काला और लाल रंग...
बच्चों का काम पर जाना, हमारे ही क्या किसी भी समय की सबसे बड़ी विडंबना है. राजेश जोशी की कविता...
‘पुष्पा नाम सुनके फ्लावर समझे क्या? फ्लावर नहीं, फायर है मैं’ ठसक के साथ कहे गए इस डायलॉग ने फ़िल्म...
कोरोना की दूसरी लहर ने हमारे पसंदीदा त्यौहार होली के रंगों को फीका ज़रूर कर दिया है, पर हमें पता...
दो बैलों की कथा के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद ने कृषक समाज और पशुओं के भावनात्मक संबंध का वर्णन किया...
आध्यात्म हो, दर्शन या विज्ञान सबने इस सच्चाई को माना है कि दुनिया में कुछ भी स्थिर नहीं है. हर...
फ़ॉर्मूला इंडस्ट्री के नाम से मशहूर बॉलिवुड में आमिर ख़ान उन चुनिंदा कलाकारों-फ़िल्मकारों में हैं, जिन्होंने उम्र के साथ-साथ अपने...
औरतें ही हैं, जिन्होंने कभी प्यार से तो कभी पसीने से इस दुनिया को आकार दिया है. कवि अरुण चन्द्र...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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