• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

तलाक़ शादी का अंत है, जीवन का नहीं – यहां जानें नई शुरुआत के तरीक़े

डिवोर्स के बाद फिर सहेजें अपना जीवन

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
September 2, 2022
in ज़रूर पढ़ें, प्यार-परिवार, रिलेशनशिप
A A
divorce
Share on FacebookShare on Twitter

यूं तो हमारे देश में तलाक़ के मामले बहुत कम होते हैं. पर बीते कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में तलाक़ के मामले बढ़े हैं, बावजूद इसके भारत ऐसे देशों में से है, जहां डिवोर्स रेट सबसे कम है. तलाक़ के बाद नया जीवन शुरू करना आसान नहीं होता. दुख–दर्द, मानसिक पीड़ा, अनिश्चितता, भावनात्मक समस्याएं, फ़ायनांशियल समस्याएं सभी मुंह बाए खड़ी रहती हैं. पर यह याद रखना ज़रूरी है कि तलाक़ शादी का अंत है, जीवन का नहीं. और जीवन में नई शुरुआत हमेशा की जा सकती है. कैसे करें यह शुरुआत, यहां हम इसी के बारे में बात कर रहे हैं.


वर्ष 2016 में बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ हमारे देश में 13 लाख 60 हज़ार लोग तलाक़शुदा हैं, जो देश की कुल विवाहित जनसंख्या का 0.24% है और देश की कुल जनसंख्या का 0.11% है. पर बात यहीं ख़त्म नहीं होती, क्योंकि शादी के बाद अलग रह रहे लोगों की संख्या तलाक़शुदा लोगों की संख्या का लगभग तीन गुना यानी कुल विवाहित जनसंख्या का 0.61% है और पूरी जनसंख्या का 0.29% है.

आंकड़ों की यह बात इसलिए कि आपको कम से कम आंकड़ों का ये अंदाज़ा भी रहे, जब हम तलाक़ से जुड़े भावनात्मक मुद्दों की बात करें. शादी की तरह ही तलाक़ भी आपके जीवन को पूरी तरह बदल देने वाला अनुभव होता है. तलाक़ लेने का मन बनाने के बाद से तलाक़ लेने की प्रक्रिया और फिर तलाक़ के बाद के एकल जीवन को जीना आसान नहीं होता.

इन्हें भीपढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#15 पहला सावन (लेखक: पुष्पेन्द्र कुमार पटेल)

फ़िक्शन अफ़लातून#15 पहला सावन (लेखक: पुष्पेन्द्र कुमार पटेल)

March 27, 2023
मिलिए इक कर्मठ चौकीदार से

मिलिए इक कर्मठ चौकीदार से

March 26, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

March 22, 2023
Fiction-Aflatoon

फ़िक्शन अफ़लातून प्रतियोगिता: कहानी भेजने की तारीख़ में बदलाव नोट करें

March 21, 2023

आप तलाक़ लेने वाली महिला हों या पुरुष हों भावनात्मक पीड़ा से गुज़रते समय आपको कई तरह के ख़्याल आएंगे, जिनमें ग़ुस्सा, धोखा खाने का एहसास, पीड़ा, खोने का दर्द और कई बार राहत भी महसूस होगी. यदि आपके बच्चे हैं तो उन्हें इस सच से रूबरू कराना और यह देखना कि कहीं वे इस प्रक्रिया में ख़ुद को अकेला न पाएं, यह भी आपकी ज़िम्मेदारी होगी. ऐसे में जब आप ख़ुद को इस बदलाव से तालमेल बैठाने के लिए तैयार कर रहे/रही हों ये कुछ बातें आपके काम आएंगी.

स्वीकार करें: आपका तलाक़ चाहे जिन भी वजहों से हुआ है आपके मन में इसे ले कर कोई पीड़ा, कोई पछतावा होना स्वाभाविक है. कई बार आपका मन कहेगा कि यह नहीं, वह किया होता तो शायद तलाक़ न होता. लेकिन अब जबकि आपका तलाक़ हो चुका है, इन विचारों को आने–जाने से न रोकें, लेकिन यह स्वीकार करें कि तलाक़ हो चुका है. जब आप यह स्वीकार करेंगे/करेंगी, तभी आगे बढ़ना संभव हो सकेगा.

भावनाओं को व्यक्त करें: तलाक़ के तुरंत बाद आप कई तरह की भावनाओं से दो–चार होंगे/होंगी, जैसे– दुख, धोखा, तकलीफ़, डर, अनिश्चितता, नाराज़गी, पछतावा, शांति और राहत. जिस समय आपको जैसा महसूस हो रहा हो, उसे व्यक्त करें. अपने एहसास को नज़रअंदाज़ न करें, इन्हें बाहर निकाल कर आप हल्का महसूस करेंगे/करेंगी. इन एहसासात से उबरने के लिए मेडिटेशन का सहारा लें. शुरुआत अकेले बैठ कर अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने से करें और धीरे–धीरे आपको महसूस होगा कि आप शांति महसूस कर रहे/रही हैं.

अपने क़रीबी लोगों से मिलें: बावजूद इसके कि आप मेडिटेशन कर रही/रहे हैं तलाक़ से जुड़ा दुख, ग़ुस्सा और अनिश्चितता बार–बार सिर उठाएंगे. ऐसे में ज़रूरी है कि आप अपनी इन भावनाओं को किसी क़रीबी व्यक्ति के सामने व्यक्त करें, फिर चाहे वो आपके दोस्त हों या परिवार के सदस्य. जो लोग आपको जज कर सकते हैं, उनके सामने अपनी व्यथा कहने से बचें, क्योंकि वे आपके संभलते हुए वजूद को दोबारा तोड़ सकते हैं.

ख़ुद को शांत रखें और बातचीत को सकारात्मक: तलाक़ के बाद जब कभी अपने पूर्व साथी से मिलना हो, आप ख़ुद को शांत रखें. अब आप दोनों के रास्ते अलग हैं तो अतीत में जो कुछ भी हुआ, उसकी चर्चा कर आपके वर्तमान रिश्ते को ख़राब करना सही नहीं है. यदि आपके बच्चे हैं तब तो आपको ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए. अपने पूर्व साथी से बातचीत करते समय सीमाएं तय रखिए, केवल ज़रूरी बातें कीजिए, अपना टोन और बॉडी लैंग्वेज सकारात्मक रखिए. यदि आप अब भी उनसे नाराज़ हैं तो भी यह याद रखिए कि इस तलाक़ की वजह आप ख़ुद भी हैं, क्योंकि ताली दोनों हाथों से बजती है. हो सकता है कि आपके अनुसार आपके ग़लत होने का प्रतिशत कम हो, लेकिन यदि तलाक़ दो लोगों के बीच हुआ है तो आप पर भी इसकी थोड़ी ज़िम्मेदारी तो बनती ही है. अत: जब भी अपने पूर्व साथी से बातचीत करनी हो इसे संयमित और सकारात्मक रखें.

सोचें बच्चों की परवरिश कैसे होगी: जर्नल ऑफ़ सोशल ऐंड पर्सनल रिलेशनशिप में वर्ष 2020 में छपी एक रिपोर्ट  के अनुसार, डिवोर्स के बाद अपने पूर्व–साथी के साथ अच्छे रिश्ते रखना और अपने बच्चों को को–पैरेंटिंग के तहत बड़ा करना आपके बच्चों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अत: यदि आपने तलाक़ लिया है तो अपने बच्चों की सही परविरश के लिए आपको अपने पूर्व–साथी के साथ किस तरह अच्छे संबंध बनाए रखने हैं, इस बात पर ध्यान दें और इस ओर व्यावहारिक क़दम बढ़ाएं. इससे आप अपने बच्चों को आप दोनों के तलाक़ के बावजूद मां और पिता का स्नेह देनें में कामयाब हो सकेंगे. और उन्हें अपने पैरेंट्स के प्यार की कमी महसूस नहीं होगी.

फ़ोटो: फ्रीपिक

 

 

Tags: After DivorceDivorceovercome the pain of divorceडिवोर्सतलाक़तलाक़ के दुख से यूं उबरेंतलाक़ के बाद
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और उनके पक्षधरों को अपने संघर्ष ध्यान से चुनने होंगे
ज़रूर पढ़ें

सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और उनके पक्षधरों को अपने संघर्ष ध्यान से चुनने होंगे

March 21, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

March 20, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)

March 18, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • टीम अफ़लातून

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist