• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब कविताएं

गांव की गलियां: जय राय की कविता

जय राय by जय राय
October 12, 2021
in कविताएं, बुक क्लब
A A
गांव की गलियां: जय राय की कविता
Share on FacebookShare on Twitter

क्या होता है, जब लंबे समय तक शहर में रहने के बाद एक दिन आप गांव जाते हैं? क्या गांव की जो तस्वीर आपके दिमाग़ में है, असल में आपको वही गांव दिखता है? यादों और विरोधाभासों को संजीदगी से बयां करती है जय राय की कविता ‘गांव की गलियां’.

मेरी उमर गुज़र गई शहर की तंग गलियों में
गांव को गांव की नज़र से कभी देखा नहीं
बस इतना पता था की गांव वह आख़िरी मुक्कमल जगह है
जहां आप लौट कर आ सकते हैं

गांव जाने पर पहले एक पतली गली से गुज़रना पड़ता था,
बहुत दिनों के बाद शहर से आने पर,
अचानक से घर के सामने आने का एहसास कराती थी
कुछ दो तीन दिनों में
एक घनघोर शांति जो चुभने लगती थी
शहर जैसे बनते हुए मेरे घर ने उस पुरानी गली को निगल लिया
फिर भी गांव वहीं है, कहां जाएगा
यह सच है अब लोगों का शहरों से राबता ज़्यादा बढ़ गया है
सुना है ट्रेनें पहले से ज़्यादा चलने लगी हैं
अब गांव से लगने वाली सड़क की बस बहुत दूर तक जाती है

इन्हें भीपढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

March 22, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

March 20, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)

फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)

March 18, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#11 भरा पूरा परिवार (लेखिका: पूजा भारद्वाज)

फ़िक्शन अफ़लातून#11 भरा पूरा परिवार (लेखिका: पूजा भारद्वाज)

March 18, 2023

गांव के सारे बुज़ुर्ग, जिनका नाम नहीं पता
मोहल्ले की पहचान हुआ करते थे,
अब वहां आलीशान गाड़ियां खड़ी रहती हैं
चर्चा आम हो चली है की किसके यहां नया क्या है?

पहले गांव के अलग-अलग रास्ते से होते हुए सुबह-सुबह
किसान अपने हल के साथ बैल को आवाज़ देते हुए जाते थे
बड़े-बड़े ट्रैक्टर को देखकर उनकी याद बहुत आती है
सुना है सरकार ने उन्हें शहर बुला लिया, मज़दूर हैं अब
खेतों से निकलनेवाले रास्ते
अब शहर के बाज़ार की तरफ़ जाते हैं

शहर में जब आबोहवा ख़राब हुई, तो लौटे थे बहुत दिनों के बाद
जब शहर ने अपने दरवाज़े बंद कर लिए
तो गांव में गांव देखा, सुकून देखा, गांव में दुनिया का शहर देखा
एक चीज़ और देखा यह वही जगह जहां आप बार-बार आ सकते हैं
हर बार आपको कोई मुस्कुराकर पूछेगा कब आना हुआ आपका?
इसीलिए गांव वह आख़िरी मुक्कमल जगह है
जहां आप लौट कर आ सकते हैं

Illustration: Pinterest

Tags: Aaj ki KavitaHindi KavitaHindi PoemJay RaiJay Rai PoetryKavitapoem Gaon ki Galiyanआज की कविताकवितागांव की गलियांजय रायजय राय की कविताहिंदी कविताहिंदी के कवि
जय राय

जय राय

जय राय पेशे से भले एक बिज़नेसमैन हों, पर लिखने-पढ़ने में इनकी ख़ास रुचि है. जब लिख-पढ़ नहीं रहे होते तब म्यूज़िक और सिनेमा में डूबे रहते हैं. घंटों तक संगीत-सिनेमा, इकोनॉमी, धर्म, राजनीति पर बात करने की क़ाबिलियत रखनेवाले जय राय आम आदमी की ज़िंदगी से इत्तेफ़ाक रखनेवाले कई मुद्दों पर अपने विचारों से हमें रूबरू कराते रहेंगे. आप पढ़ते रहिए दुनिया को देखने-समझने का उनका अलहदा नज़रिया.

Related Posts

फ़िक्शन अफ़लातून#10 द्वंद्व (लेखिका: संयुक्ता त्यागी)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#10 द्वंद्व (लेखिका: संयुक्ता त्यागी)

March 17, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#9 सेल्फ़ी (लेखिका: डॉ अनिता राठौर मंजरी)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#9 सेल्फ़ी (लेखिका: डॉ अनिता राठौर मंजरी)

March 16, 2023
Dr-Sangeeta-Jha_Poem
कविताएं

बोलती हुई औरतें: डॉ संगीता झा की कविता

March 14, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • टीम अफ़लातून

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist