जब तक सांसें हैं, तब तक ज़िंदगी है. कहने का मतलब आपकी सांसों की क़ीमत आपकी ज़िंदगी की क़ीमत के बराबर है. ऐसे में यह सवाल मौजू हो जाता है कि आख़िर आपकी ज़िंदगी की क़ीमत कितनी है?
सांसों से निकलते संगीत, सांसों का गर्म स्पर्श शायद दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत एहसास है. यह जीवन का शगुन है और इसकी अनुपस्थिति मृत्यु है. एक मां रात में बहुत बुरा ख़्वाब देखकर जागती है और अपने बच्चे की सांसों को महसूस करने के लिए उसकी उंगलियों को उसकी नाक के पास ले जाती है और जब उन उंगलियों पर उस बच्चे की सांस स्पर्श करती हैं तब जो अहसास उस मां को होता है वह शब्दों में बयान किया ही नहीं जा सकता. यही मैं कहना चाहता था कि सांसों से सुंदर कुछ भी नहीं. सांसें क़ीमती भी होती हैं और यह कई बार व्यर्थ भी हो जाती हैं. यह बात ख़ुद के लिए और औरों के लिए भी समान रूप से लागू होती है. कई बार लोगों को अपनी ही सांसें बोझ लगने लगती हैं. वे जल्दी से उस बोझ को हटाना चाहते हैं, वे मर जाना चाहते हैं. कई बार सांसें बेहद ज़रूरी हो जाती हैं, जीना बहुत ज़रूरी हो जाता है ख़ुद के लिए या औरों के लिए.
वह एक व्यस्त दोपहर थी. मैं सभी रोगी देख चुका था कि एक रोगी बिना अपॉइंटमेंट के आया. रिसेप्शन से मुझे बताया गया कि वह रोगी मिले बग़ैर जाने को तैयार ही नहीं है. मैंने कहा कि भेज दो उसे कैबिन में. वह रोगी अंदर आया अपने एक ख़ूबसूरत परिवार के साथ. उसकी पत्नी और दो मासूम बेटियों उसके साथ थी. उसने अपनी रिपोर्ट दिखाई. मैं ग़ौर से देख रहा था और मेरी नज़र उन पैमानों पर गई जो उसके ब्लड कैंसर की पुष्टि कर रहे थे. मैं थोड़ा चौंका कि एक ख़ूबसूरत और हट्टे कट्टे युवा को यह कौन-सी मुसीबत ने घेर लिया. उसने मुझे कहा कि,‘सर क्या मेरी ज़िंदगी बचाई नहीं जा सकती, मेरा जीना बहुत ज़रूरी है सर, यह तीनों मेरे ही भरोसे हैं, कोई नहीं है इनका. हमने लव मैरिज की थी और ना मेरे घर वाले और ना मेरी पत्नी के घरवाले हमारे साथ है. इनके लिए मेरी ज़िंदगी बचा लीजिए…मेरा जीना बहुत ज़रूरी है सर.’ वह कंपकपी पैदा करने वाले शब्द थे, झुरझुरी ला देने वाले, रुला देने वाले…. मैंने उसे संभाला और फिर समझाया कि यह अब लाइलाज नहीं है, इलाज है इस रोग का मेरे प्यारे भाई.
फिर एक दिन मेरे पास एक और रोगी अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ आया. वह शराब के कारण अपना लिवर बर्बाद कर चुका था. बीवी और बच्चियों ने उसके कैबिन से जाने के बाद मुझे कहा कि यह मर जाए तो हमें सुकून मिले डॉक्टर. शराब ने हमारा घर परिवार सब बर्बाद कर दिया है. हमारा जीना मुश्क़िल कर दिया है इस शराबी आदमी ने.
दो परिवार और दोनों के घर के मुखिया की सांसों की क़ीमत अलग-अलग. एक की सांसें बेहद अमूल्य थी और एक की सांसें ग़ैरज़रूरी या बोझ. मृत्यु के महत्व का अलग ही मनोविज्ञान है. आप किसकी मृत्यु पर दुःखी होंगे और किसकी मृत्यु पर आपको कोई दुःख नहीं होगा यह आपका मन ही तय करता है. एक पिता को उसका बेटा अपशब्द कहकर चला जाए और वह जाकर एक्सीडेंट में मर जाए तो पिता को उसकी मृत्यु का दुःख कम होगा या नहीं होगा. यदि उसका बेटा उन अपशब्दों को कहने के पहले मर जाता तो पिता को पहाड़ों के बराबर दुःख होता.
हमसे किसी के सपने जुड़ें हो, हम पर कोई निर्भर हो तो उन्हें हमारी मृत्यु पर बहुत दुःख होगा. और किसी के सपने हमारे कारण पूरे नहीं हो रहे हैं तो वह हमारी मृत्यु का इंतज़ार करेगा कि हम कब मरे. किसी के सपनों को पूरा करने वाली सीढ़ी बनने पर आप उसके प्रिय बन जाते हैं और वह आपको मरने नहीं देगा, आपको बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा. अपने जीवन को अमूल्य बनाइए, इससे लोगों का जीवन आसान बनाइए. बदले में आपको प्रेम मिलेगा, आपका जीवन अमूल्य बन जाएगा. प्रिय पाठकों आपकी सांसें कैसी हैं-क़ीमती या बेकार?
Photo Credit: Andrea Piacquadio/pexels.com
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