अलग-अलग रंग हमें सिर्फ़ ख़ुशी ही नहीं देते, बल्कि हमारे भीतर ऊर्जा का अलग-अलग तरह से संचार करने में भी भूमिका निभाते हैं. रंगों के ज़रिए आप अपने घर को भी नया और ऊर्जावान स्वरूप दे सकते हैं. यहां हम यही बता रहे हैं कि किसी तरह आप अपने घर की सजावट के लिए रंगों का चुनाव कर सकते हैं.
क्या आप जानते हैं कि रंग आपके मनोविज्ञान पर भी असर डालते हैं? और रंगों के सही इस्तेमाल से इंसान का मन शांत रहता है? फिर जब बात मन के शांत रहने की हो तो ये तो आप भी मानेंगे कि घर से ज़्यादा शांति कहीं नहीं मिलती. घर के इंटीरियर के लिए रंगों का चुनाव इसीलिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि हमें यहां लंबे समय तक रहते हैं तो हमारे ऊपर इन रंगों का सही और ख़ुशनुमा प्रभाव पड़ता रहे.
जानें रंग होते कितनी तरह के हैं
यह जान लेने से कि रंग कितने तरह को होते हैं आपका आधा काम आसान हो जाएगा. यह एक बहुत ही बुनियादी जानकारी है, जो आपको मालूम होनी ही चाहिए. रंग तीन तरह के होते हैं: प्राथमिक (प्राइमरी), द्वितियक (सेकेंडरी) और तृतीयक (टर्शरी). प्राथमिक रंग हैं: लाल, पीला और नीला; द्वितियक रंग हैं: हरा, नारंगी और बैंगनी. वहीं तृतीयक रंग वो होते हैं, जो प्राथमिक और द्वितीयक रंगों को मिलाने से बनते हैं. कलर व्हील में आपको ये सारे रंग ही दिखाए जाते हैं.
सफ़ेद या हल्के रंग का चुनाव
यदि आप उन लोगों में से हैं, जिन्हें दीवारें सफ़ेद ही पसंद हैं तो आपको बता दें कि यह न सिर्फ़ क्लासी, बल्कि हमेशा चलन में रहनेवाला चुनाव है. सफ़ेद या हल्के रंग की दीवारें उस पूरे कमरे को बड़ा और बेहतर दिखाती हैं और देखनेवाले का पूरा ध्यान वहां मौजूद फ़र्नीचर या सजावटी सामानों पर केंद्रित करने में सहायक होती हैं. यही वजह है कि दुनियाभर में अधिकतर लोग दीवारों पर सफ़ेद रंग का चयन करते हैं.
एक ही कलर पैलेट के कई शेड्स का चुनाव
एक ही कमरे के भीतर एक ही रंग के अलग-अलग शेड्स का चुनाव भी आपके घर को अलग और सुंदर लुक दे सकता है. मसलन, एक ही कमरे की जिस दीवार को उभारना हो उसे गहरे नीले और जिसे ज़्यादा न उभारना हो उसे हल्के नीले रंग से कलर करवाया जा सकता है. बीच में ब्रीदिंग स्पेस के लिए एकदम हल्का नीला या सफ़ेद रंग को जगह दी जा सकती है. इसी तरह अन्य रंगों के पैलेट के साथ भी किया जा सकता है.
विरोधाभासी रंगों को यूं चुनें
एक-दूसरे से विरोधाभासी रंगों का चुनाव कर के भी आप अपने घर को कलरफ़ुल बना सकते हैं. कलर व्हील में दो एकदम अलग छोरों पर मौजूद रंग, जैसे- नीले के साथ नारंगी, लाल के साथ हरा या फिर पीले के साथ बैंगनी रंग का चुनाव किया जा सकता है. पर इस चुनाव में आपको एक बात का ध्यान रखना होगा कि यदि दीवारे पीले रंग में रंगी हों तो अपहोल्स्ट्री की कोई एक चीज़ बैंगनी रखें, यदि आपने दीवार के लिए लाल रंग चुना हो तो बेडशीट्स या कुशन हरे रंगे के चुने जा सकते हैं. इसी तरह नीले और नारंगी रंग का समन्वय भी किया जा सकता है. कहने का अर्थ यह है कि इन रंगों के तालमेल से घर को सजाने पर घर जीवंत हो उठेगा.
रौशनी पर भी दें ध्यान
घर की सजावट के लिए रंगों का चुनाव करते समय इस बात को भी ध्यान में रखें कि रंगों पर रौशनी का भी अलग-अलग तरह से प्रभाव पड़ता है. एक ही रंग सुबह, दोपहर और शाम की रौशनी में अलग-अलग नज़र आता है और जब उस पर किसी ख़ास कोण से लाइट पड़ती है तो उस रंग का प्रभाव बिल्कुल अलग भी नज़र आ सकता है. अत: रंगों का चुनाव करते समय इस बात पर भी ध्यान दें कि रंग का वही शेड चुनें, जो आपको हर रौशनी में भला लगे.
रंगों की अति न करें
एक ही कमरे में यदि हर चीज़ चमकीली हो तो आंखें चौंधिया जाती हैं. उसी तरह यदि एक ही कमरे में आप ढेर सारे रंगों को जगह देते हैं तो कमरा सुंदर लगने की जगह अजायबघर या अजीब भी नज़र आ सकता है. अत: यदि आप अलग-अलग रंगों से घर को सजाना चाहते हैं तो अलग-अलग कमरों में इस काम को अंजाम दे सकते हैं, लेकिन एक ही कमरे में बहुत सारे रंगों के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
यह प्रयोग घर को तुरंत देगा नई ऊर्जा
यदि आप घर के किसी कमरे को तुरंत नई ऊर्जा से सराबोर करना चाहते हैं तो आप उसकी ऐक्सेसरीज़ में रंगों को शामिल कर सकते हैं, जैसे- कुशन्स, थ्रोज़ या रग्स. इसके अलावा ताज़ा फूल, किताबें और लैम्प्स भी आपके कमरे को तुरंत सकारात्मक ऊर्जा से भर देंगे. यदि आप रंगों के साथ कोई नया प्रयोग करना चाहते हैं तो डायनिंग रूम से इसकी शुरुआत करना सबसे अच्छा रहेगा.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट