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ओए अफ़लातून
Home ओए हीरो

आख़िरी पत्ता नहीं, बचा हुआ एक पत्ता यानी और पत्तों की उम्मीद!

ज्योति जैन by ज्योति जैन
January 21, 2022
in ओए हीरो, ज़रूर पढ़ें, मेरी डायरी
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आख़िरी पत्ता नहीं, बचा हुआ एक पत्ता यानी और पत्तों की उम्मीद!
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यह एक ऐसा अभूतपूर्व समय है, जिसने पूरी मानव जाति को कई बातें सिखाईं, वो बातें, जिन्हें हमें शायद पहले ही सीख लेना चाहिए था. पर कहते हैं न जब आंख खुले तभी सवेरा. कोरोना काल में ख़ुद को और औरों को सकारात्मक बनाए रखना सबसे कारगर तरीक़ा है. और ज्योति जैन की डायरी में दर्ज ये अनुभव आपको भी सकारात्मक बनाए रखेगा.

 

यूं तो मैं आम दिनों में भी अपनी पसंद के सारे काम कर लेती हूं, पर फ़िलहाल के लॉकडाउन में चूंकि बाहर नहीं जाना होता, सो और अतिरिक्त कार्य भी हो जाते हैं, जिनमें बागवानी भी शामिल है. इन दिनों माली भैया नहीं आ रहे, सो पुराने सीज़नल पौधों के सूखते चले गमलों में नए रोपे लगाने बैठी थी. मुझे ध्यान आया कि पिछले दिनों चौकोर गमला माली ने एक ओर रख दिया था, ये कहकर कि उसकी वॉटर लिली सूखकर ख़त्म हो चुकी है. वो मेरा पसंदीदा पौधा है. वॉटर लिली ज़रा-से में फैलकर अपने छोटे-छोटे गोल पत्तों से गमले की सुन्दरता और बढ़ा देती है. मैंने सबसे पहले वही गमला हाथ में लिया. वॉटर लिली सूख चुकी थी.

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पर ये क्या…! एक बिल्कुल नन्ही सी, गोल पत्ती उस सूखी मिट्टी से झांक रही थी. मैंने फौरन उसमें पानी डाला. पिछले दस दिन से उसमें पानी बराबर दे रही हूं और आज… उसमें सात पत्तियां निकल आई हैं. और भी कई बिलकुल बूंद जैसी पत्तियां मिट्टी को चीर बाहर आने को उद्यत है. जीजिविषा का एक श्रेष्ठ नमूना…
वर्तमान हालात् के मद्देनज़र ये पूरा वाक़या यूं लगा कि हम ये न सोचें कि ये आख़िरी पत्ता है, बल्कि ये सोचें कि ये वो शुरुआती पत्ता है, जो समय के साथ पूरा गमला हरियाली से भर देगा. यही तो जीवन है!

हम घर में तमाम सुख-सुविधाओं के बाद भी छटपटा रहे हैं… बीमारी का डर कहीं न कहीं इस पत्ते को आख़िरी पत्ता समझ लेने पर मजबूर कर रहा है. लेकिन अपनी ओर से अपने अच्छे कर्म करते रहें. यथासंभव औरों की मदद करते रहें तो नैराश्य के काले बादल छटकर उम्मीदों की किरण अवश्य अपनी ऊर्जा प्रदान करेंगी. हमारे सद्कर्म व सकारात्मकता ही सुख और शांति का उद्गम स्थल हैं. और यही आख़िरी पत्ते को पहला पत्ता बनाते हैं.

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट

 

 

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ज्योति जैन

ज्योति जैन

ज्योति जैन के तीन लघुकथा संग्रह, तीन कहानी संग्रह, तीन कविता संग्रह, एक आलेख संग्रह और एक यात्रा वृत्त प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ऑथर्स, वामा साहित्य मंच के पांच संग्रहों का संपादन भी किया है. उनके लघुकथा संग्रह का मराठी, बांग्ला और अंग्रज़ी में अनुवाद हो चुका है. उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें सृजनशिल्पी, श्रीमती शारदा देवी पांडेय स्मृति सम्मान, माहेश्वरी सम्मान, अखिल भारतीय कथा सम्मान भी शामिल हैं. वर्तमान में वे डिज़ाइन, मीडिया व मैनेजमेंट कॉलेज में अतिथि व्याख्याता हैं.

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हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

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