तीन से पांच वर्ष की उम्र के बच्चे, जो स्कूल जाना शुरू कर रहे होते हैं, प्रीस्कूलर्स कहलाते हैं और इनकी देखभाल करना इसलिए थोड़ा मुश्क़िल होता है, क्योंकि ये बहुत उत्साही, चंचल और सवालों से भरे होते हैं. ऐसे बच्चों की पैरेंटिंग के लिए काम के टिप्स आपको यहां मिलेंगे.
यदि आप भी प्रीस्कूलर बच्चे के पैरेंट्स हैं तो हम समझ सकते हैं कि आप किन ख़ुशियों और किन समस्याओं से गुज़र रहे हैं. इतने छोटे बच्चों की देखभाल करना आसान नहीं हैं. आपको ढेर सारे धीरज की ज़रूरत होती है, साथ ही हर समय चौकन्ना रहने की भी. बहुत सारे सवालों के जवाबों के लिए तैयार रहना पड़ता है और साथ ही बच्चे की सुरक्षा में भी मुस्तैद रहना पड़ता है. यहां हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लाए हैं, जो बेहद काम के साबित होंगे. तो आइए, इन पर नज़र डालते हैं…
इस उम्र के बच्चों की सुरक्षा से संबंधित सुझाव
तीन से पांच वर्ष की उम्र में बच्चे आत्मनिर्भर हो रहे होते हैं, घर से बाहर प्ले स्कूल या स्कूल में समय बिताते हैं अत: बहुत ज़रूरी है कि आप उन्हें ख़ुद की सुरक्षा से जुड़ी बातें समय-समय पर समझाते और सिखाते रहें, जैसे-
• उन्हें बताएं कि उन्हें ट्रैफ़िक से दूर खेलना है. ट्रैफ़िक के नियमों की जानकारी दें. लाल, हरी और नारंगी बत्तियों के अर्थ समझाएं, बाएं से चलने को कहें.
• जब बच्चा खेलने जा रहा हो तो उसे समझाएं कि लावारिस पड़ी चीज़ों को उसे नहीं छूना है.
• बच्चा साइकल चला रहा हो तो उसे हमेशा बाईं ओर रहने को कहें. देख लें कि वह भीड़-भाड़ में साइकल न ले जाए. हमेशा हेलमेट पहनकर साइकल चलाने को प्रोत्साहित करें.
• यदि वह प्लेग्राउंड में जा रहा है तो झूले आदि को पहले ख़ुद जांच लें, कहीं कोई स्क्रू या जंजीर ढीली तो नहीं है या फिर कोई नुकीला हिस्सा इस तरह बाहर तो नहीं निकला है कि वह बच्चों को चोट पहुंचा सके.
• जब बच्चा बाहर खेल रहा हो या फिर स्विमंग पूल में जा रहा हो तो पूरे समय आपकी निगाहें उसपर बनी रहनी चाहिए.
• जब बच्चा स्विमंग पूल में हो (फिर चाहे बच्चों के ही पूल में क्यों न हो) उसपर से अपना ध्यान बिल्कुल न हटाएं.
• बच्चे को सिखाएं कि किसी भी अजनबी से कैसे सतर्क रहना है. अजनबियों से किसी तरह की चॉकलेट या गिफ़्ट नहीं लेनी है.
• इस उम्र के बच्चों को अपना फ़ोन नंबर और घर का पता भी आसानी से याद करवाया जा सकता है और समझाया जा सकता है कि यदि आप कहीं खो जाएं या फिर हम आपको दिखाई न दें तो किसी वॉचमैन या पुलिस से मदद मांगो.
• कार में बैठते समय इतने छोटे बच्चों को सीट बेल्ट बांधना और खोलना भी सिखाया जा सकता है.
प्रीस्कूलर्स को यूं रखें सेहतमंद
इस उम्र के बच्चों को आप सेहतमंद चीज़ें देने की आदत डाल सकती/सकते हैं. इसके लिए आपको भी सेहतमंद चीज़ों को खाने की आदत डालनी होगी. प्रीस्कूलर्स को सेहतमंद रखने के लिए-
• नाश्ता, लंच, डिनर, स्नैक्स और फल चाहे जो भी खा रहे हों, कोशिश करें कि आप बच्चे के साथ ही खाएं. फल और खाना खाते वक़्त उन्हें बताते जाएं कि यह कितना स्वादिष्ट है और इसे खाने से उन्हें क्या फ़ायदा होगा.
• प्रीस्कूलर्स को ज़्यादा शक्कर, तेल और नमक वाले खाद्य पदार्थ देने से परहेज़ करें.
• जब खाना खा रहे हों तो टीवी, मोबाइल या किसी अन्य गैजेट को दूर ही रखें.
• बच्चों के रूम में टीवी, फ़ोन या दूसरे गैजेट्स ना रखें.
• इन बच्चों की नींद का पूरा ध्यान रखें. दिन के 24 घंटों में से इस उम्र के बच्चों को कम से कम 10 से 13 घंटों की नींद लेनी चाहिए. इसमें रात की नींद के अलावा दोपहर का आराम भी शामिल है.
• उन्हें दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें.
• उन्हें किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें.
• उनसे घर के छोटे-मोटे काम करवाते/करवाती रहें.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट