यदि आप भी उन लोगों में से हैं, जिन्होंने इस नए बरस में ऐसी शुभकामनाएं पाई हैं कि ‘अंग्रेज़ी नया साल मुबारक हो’ और आपको अटपटा लगा हो तो बहुत ज़रूरी है कि आप कवि व लेखक शरद कोकास का यह आलेख पढ़ें, जो नए साल के बारे में आपकी इस सोच के सारे फ़ंडे क्लीयर कर देगा.
कुछ लोग शुभकामनाएं भेजते हुए लिख रहे हैं- अंग्रेज़ी नया साल मुबारक हो. भाई यह हिंदी, अंग्रेज़ी, तेलुगु या तमिल नया साल नहीं होता. साल तो सिर्फ़ दो तरह का होता है: एक वह जो सूर्य पर आधारित होता है और एक वह जो चंद्र पर होता है. कैलेंडर भी उसी आधार पर बनते हैं.
हम लोग अपने दैनंदिन के कार्यों में सूर्य पर आधारित ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं, वहीं धार्मिक कार्यों में चन्द्रमा की कलाओं पर आधारित शक और विक्रम और हिजरी संवत के कैलेंडर का उपयोग करते है.
ग्रेगोरियन कैलेंडर से शक और विक्रम संवत के वर्ष की गणना कैसे की जाती है और दोनों में कितने वर्षों का अंतर है यह मैं आपको बताना चाहता हूं. यह गणना हम वर्ष 2022 के अनुसार करते हैं . ईसवी सन 2022 में अन्य संवत की स्थिति निम्नानुसार है – शक संवत 1944 और विक्रम संवत 2079.
अब देखिए शक संवत 1944 कैसे हुआ ? (2022 – 78 = 1944)
और देखिए विक्रम संवत 2079 कैसे हुआ? (2022 + 57 = 2079)
शक संवत की गणना करने के लिए हमने 2022 में से 78 घटाया और विक्रम संवत की गणना करने के लिए 2022 में 57 जोड़ दिया .
स्पष्ट है कि शक संवत शक राजाओं द्वारा 78 ईसवी में प्रारंभ किया गया था यानी जब 78 ईसवी था तब शक संवत 1 था, सो वह हमेशा 2022 से 78 वर्ष पीछे चलेगा.
उसी तरह पहले ईसवी वर्ष (सन 1) में विक्रम संवत को 57 वर्ष हो चुके थे इसलिए, क्योंकि विक्रम संवत ईसा से 57 वर्ष पूर्व प्रारंभ किया गया, सो वह 2022 से 57 वर्ष आगे चलेगा. इसी तरीक़े से आप वीर निर्वाण और बंगला संवत की गणना कर सकते हैं.
चंद्रमा के कैलेंडर के अनुसार हर तीन साल में एक महीना बढ़ जाता है, क्योंकि चंद्रमा का साल 354 दिन का और सूरज का साल 365 दिन का होता है तो हर 3 साल में एक महीना अधिक मास या खरमास जोड़कर इसे ऐड्जस्ट कर लेते हैं.
लेकिन ऐसा हिजरी संवत में नहीं किया जाता इसलिए हर 33 साल में वहां एक साल बढ़ जाता है, जैसे इस समय हिजरी संवत 1444 चल रहा है. यह ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 580 साल पीछे है.
अच्छा ध्यान रखिएगा कि मार्च-अप्रैल में चैत्र मास की प्रतिपदा से शक और विक्रम संवत का अगला साल आ जाएगा इसलिए कि चंद्रमा का नववर्ष वहीं से शुरू किया जाता है और सूरज का 1 जनवरी से. धर्म कोई भी हो चांद और सूरज तो सबके हैं, जो सबको बराबर रौशनी देते हैं.
बेहतर हो कि अंग्रेज़ी साल, हिंदू साल, हिंदी साल , गुजराती, तेलुगु, तमिल, बांग्ला साल, हिजरी साल इन सब के आधार पर लड़ना छोड़िए. समय सबके लिए बराबर है और मुबारक बाद तो हर शुभ अवसर पर ली और दी जानी ही चाहिए.