रमज़ान रहमत का महीना है. यह शिफा का भी महीना है. आध्यात्मिक यात्रा की चोटी पर ले जाने का एक अहम ज़रिया है. आपको कोई नहीं देख रहा, कोई पाबंदी नहीं लगा रहा, कोई सज़ा नहीं दे रहा फिर भी आप भोजन और पानी को छू भी नहीं रहे, क्यों? क्योंकि आपको यक़ीन है कि ख़ुदा या ईश्वर आपको देख रहा है. हां, बस यही आध्यात्म का शिखर है कि साधक को लगे कि ईश्वर उसे देख रहा है. शिफा का यह महीना आपको सेहत की बेहतरीन सौगात भी दे जाए, इसलिए डॉ अबरार मुल्तानी की इन सलाहों पर ज़रूर अमल करें.
लगभग सभी धर्मों ने उपवास या रोज़े को महत्व दिया है. हिंदू धर्म, यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए उपवास या रोज़ा एक प्रमुख धार्मिक कर्म है. एक माह के रोज़े मुस्लिमों पर फ़र्ज़ हैं. इसका मतलब कि हर बालिग़ मुस्लिम स्त्री-पुरुष पर यह अनिवार्य है. कुछ विशेष परिस्थितियों और अवस्थाओं में यह माफ़ भी हैं जैसे बहुत ज़्यादा रोगी या कमज़ोर व्यक्ति के लिए. 12 माह में से एक माह के लिए यदि आप रोज़ा रखें तो आपके असंख्य रोग नष्ट हो सकते हैं. आप एक नए स्वस्थ और सुंदर शरीर के स्वामी बन सकते हैं, लेकिन कुछ ग़लत तरीक़े से भोजन लेने से आपके साथ इसका उल्टा भी हो सकता है. मैं चाहता हूं कि आप निम्न नियमों को मान लें तो आप भी ईद पर एक नए और स्वस्थ शरीर के मालिक बन सकते हैं.
खानपान की इन चीज़ों से दूर ही रहें
-अत्यधिक तेल से बने पकवानों से दूर रहें. यह आपके कोलेस्ट्रॉल और वज़न को बढ़ाएंगे. रिफ़ाइंड तेल तो और भी ज़्यादा घातक है इसलिए तेल कम और वह भी नॉन रिफ़ाइंड. भजिए, पापड़, नुक्ती, नमकीन से थोड़ा दूरी बनाएं.
-हर मीठी चीज ज़हर है, सिवाय शहद के. यह हज़रत अली रज़ि. का कथन है. इसके अनुसार हमें मीठी चीज़ें हमेशा कम खाना चाहिए और आर्टिफ़िशियल और रिफ़ाइंड तो बिल्कुल भी नहीं. सल्फ़र द्वारा रिफ़ाइंड शुगर पचने पर पायरुविक एसिड का निर्माण करती है, जो कि हमारी आरबीसी की सतह को ख़राब करता है और साथ ही नसों में ब्लॉक उत्पन्न करता है. यह हृदय और मस्तिष्क के लिए भी घातक है. इसलिए मीठी चीज़ों से दूरी बनाएं.
कोल्ड ड्रिंक में शुगर की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है इसलिए इफ़्तार में लेने से यह आपका शुगर लेवल बढ़ा देगी साथ ही यह हड्डियों, जोड़ों, किडनी और लिवर के लिए भी बहुत नुक़सानदायक है.
-इफ़्तार में ठंडे ड्रिंक्स या जूस न लें क्योंकि यह आपको सर्दी, खांसी जुकाम और बुखार दे सकते हैं. याद रखें जब आप दिन भर भूखे प्यासे रहते हैं तो पेट में पाचक रसों और गैस्ट्रिक एसिड की भट्टी जल रही होती है. वह चाहती है कि आप कुछ भोजन उन्हें दे ताकि वे उसे फटाफट पचा डालें और आपके शरीर के लिए ऊर्जा की आपूर्ति करें लेकिन आप उस भट्टी में डाल देते हैं यह ठंडी चीज़ें और फिर होती है सब गड़बड़ी और आपको मिलते हैं इनाम में सर्दी खांसी जुकाम और बुखार इस पवित्र महीने में.
कब खाएं, कब न खाएं
-सेहरी में ज़्यादा और इफ़्तार में कम खाना खाएं, इससे आपका वज़न नहीं बढ़ेगा और इसका उल्टा करने पर आप वज़न बढ़ा लेंगे जबकि दिनभर आप भूखे प्यासे रहेंगे फिर भी. क्योंकि सुबह और दिन में हमारा मेटाबॉलिज़्म तेज़ होता है इसलिए वह जो भी खाएंगे सब पचा लेगा और एक्स्ट्रा फ़ैट भी. लेकिन रात्रि में इसका ठीक उलट होगा और बची हुई एनर्जी फ़ैट के रूप में संचित होती जाएगी. सुबह नहीं खाने से आप कमज़ोर भी हो जाएंगे और आपका मस्तिष्क भी तनाव महसूस करेगा. नतीजा शाम को और अधिक भोजन और महीने के अंत में 4 से 5 किलो अतिरिक्त वज़न. सेहरी में पानी अधिक से अधिक पिएं, मीठी चीज़, तली हुई और मसालेदार चीज़ों से बचें, क्योंकि यह दिन में आपको प्यास अधिक लगवाएगी. सेहरी खाते ही सोना नहीं चाहिए, हो सके तो आधा एक किलोमीटर की वॉक कर लेना चाहिए जिससे आपको बदहज़मी नहीं होगी.
-इफ़्तार के वक़्त ख़ाली पेट कोई पेनकिलर लेने से आपकी किडनी डैमेज हो सकती है. दिनभर से प्यासी किडनी को यदि आप इफ़्तार में पेनकिलर देंगे तो उसके नेफ्रॉन डैमेज होंगे और आपकी अमूल्य किडनी क्षतिग्रस्त हो जाएगी.
यह हैं सबसे श्रेष्ठ इफ़्तारी
-नारियल पानी (यह पानी और मिनरल्स का शानदार स्त्रोत है).
-4 से 5 खजूर (यह तुरंत ऊर्जा प्रदान करेंगी और पैगम्बर मुहम्मद सल. की भी यही इफ़्तारी थी इसलिए यह आपको आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करेगी).
-मुठ्ठी भर ड्राई फ्रूट्स (यह प्रोटीन के शानदार स्त्रोत है जो मसल्स को शक्ति प्रदान करेंगे).
-मौसमी फल जैसे तरबूज़, आम, केला, ख़रबूज़ा आदि (ये पानी की कमी को पूरा करेंगे और इनमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों से शरीर को पोषण मिलेगा).
-1 गिलास नॉर्मल पानी.
-इफ़्तारी के एक घंटे के बाद आप सामान्य डिनर कर लें और रातभर जितना हो सके उतना पानी पीकर ख़ुद को हाइड्रेट करते रहें.
Photo: Thirdaman @pexels.com
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