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सारे सिकंदर: गीत चतुर्वेदी की कविता

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
April 25, 2021
in कविताएं, बुक क्लब
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सारे सिकंदर: गीत चतुर्वेदी की कविता
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गीत चतुर्वेदी की कविताएं आपके मन को उस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करती हैं, जिसके बारे में आपने कभी सोचा तक नहीं होता. उनकी यह प्रेम कविता ऐसे ही कई बिंब बनाती है.

सारे सिकंदर घर लौटने से पहले ही मर जाते हैं
दुनिया का एक हिस्सा हमेशा अनजीता छूट जाता है
आाहे कितने भी होश में हों, मन का एक हिस्सा अनचित्ता रहता है
कितना भी प्रेम कर लें, एक शंका उसके समांतर चलती रहती है
जाते हुए का रिटर्न टिकट देख लेने के बाद भी मन में हूक मचती है कम-से-कम
एक बार तो ज़रूर ही
कि जाने के बाद लौट के आने का पल आएगा भी या नहीं

मैंने ट्रेनों से कभी नहीं पूछा कि तुम अपने सारे मुसाफ़िरों को जानती हो क्या
पेड़ों से यह नहीं जाना कि वे सारी पत्तियों को उनके फ़र्स्ट-नेम से पुकारते हैं क्या
मैं जीवन में आए हर एक को जानना चाहता था
मैं हवा में पंछियों के परचिह्न खोजता
अपने पदचिह्नों को अपने से आगे चलता देखता

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तुममें डूबूंगा तो पानी से गीला होऊंगा न डूबूंगा तो बारिश से गीला होऊंगा
तुम एक गीले बहाने से अधिक कुछ नहीं
मैं आसमान जितना प्रेम करता था तुमसे तुम चुटकी-भर
तुम्हारी चुटकी में पूरा आसमान समा जाता

दुनिया दो थी तुम्हारे वक्षों जैसी
दुनिया तीन भी थी तुम्हारी आंखों जैसी
दुनिया अनगिनत थी तुम्हारे ख़यालों जैसी

मैं अकेला था तुम्हारे आंसू के स्वाद जैसा
मैं अकेला था तुम्हारे माथे पर तिल जैसा
मैं अकेला ही था
दुनिया भले अनगिनत थी जिसमें जिया मैं

हर वह चीज़ नदी थी मेरे लिए
जिसमें तुम्हारे होने का नाद था
फिर भी स्वप्न की घोड़ी मुझसे कभी सधी नहीं

तुम जो सुख देती हो, उनसे ज़िंदा रहता हूं
तुम जो दुख देती हो, उनसे कविता करता हूं
इतना जिया जीवन, कविता कितनी कम कर पाया


कवि: गीत चतुर्वेदी
कविता संग्रह: न्यूनतम मैं
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
Illustration: Pinterest

Tags: Aaj ki KavitaGeet ChaturvediGeet Chaturvedi PoetryHindi KavitaHindi PoemKavitaNyoontam Main by Geet ChaturvediPoem Collection Nyoontam MainRajkamal PrakashanSaare Sikandar by Geet Chaturvediआज की कविताकविताकविता संग्रह न्यूनतम मैंगीत चतुर्वेदीगीत चतुर्वेदी की कविताराजकमल प्रकाशनसंग्रह न्यूनतम मैं गीत चतुर्वेदीसारे सिकंदरहिंदी कविता
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