जानी-मानी अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने कल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित योग संस्थान, मुंबई की निदेशक डॉ हंसाजी जे. योगेंद्र की नई पुस्तक ‘द सात्विक किचन’ का विमोचन किया. यह पुस्तक पारंपरिक भारतीय भोजन और पोषण संबंधी ज्ञान, आयुर्वेद के सिद्धांतों और सात्विक जीवन की अवधारणाओं के बारे में लिखी गई है.
पारंपरिक भारतीय भोजन से जुड़ी किताब ‘द सात्विक किचन’ के विमोचन के अवसर पर शिल्पा शेट्टी ने कहा, ‘‘द योगा इंस्टीट्यूट में आना और डॉ हंसाजी योगेन्द्र के साथ मंच साझा करना हमेशा एक सम्मान की बात रही है. वे हमेशा से हमारे परिवार में प्रेरणा, मार्गदर्शन और आध्यात्मिक गुरुत्व का स्रोत हैं और इसलिए उनकी नवीनतम पुस्तक ‘द सात्विक किचन’ को लॉन्च करने का यह अवसर मेरे लिए वाक़ई बेहद ख़ास है.’’
इस पुस्तक में भोजन संबंधी आसान नुस्ख़े शामिल किए गए हैं. साथ ही इसमें शरीर के इम्यून सिस्टम को बढ़ाने वाले प्राकृतिक उपचार, नॉन-डेयरी दूध फॉर्मूलेशन, दुर्लभ हाइड्रेटिंग आयुर्वेदिक पेय, पारंपरिक, भारतीय शाकाहारी व्यंजनों में नवाचार और आसानी से बनने वाले पोषक तत्वों से भरपूर सलाद और पौष्टिक सूप बनाने की आसान विधियां भी दी गई हैं.
शिल्पा ने आगे कहा, ‘‘यह किताब हमारी भोजन संबंधी संस्कृति की समृद्ध विरासत को उजागर करती है और भारतीय होने के बारे में गहरे गर्व की भावना जगाती है. आज इस बात की ज़रूरत है कि हम अपनी विरासत और संस्कृति को पूरा महत्व दें और ‘द सात्विक किचन’ जैसी किताब हमें ऐसा करने में मदद करती है. मैं इस बात पर यक़ीन करती हूं कि हम वही हैं जो हम खाते हैं और हमारा भोजन हमारे लिए दवा बन सकता है. यही वजह है कि आयुर्वेद और योग को अच्छे स्वास्थ्य के लिए विज्ञान का ही एक रूप माना जाता है.’’
डॉ हंसाजी जे. योगेंद्र ने शिल्पा शेट्टी के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा, ‘‘योग संस्थान ने 105 साल का सफ़र तय कर लिया है और इस दौरान संस्थान ने समय के बदलते दौर को देखा है. पिछले कुछ वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है, विशेषकर भोजन के साथ हमारा संबंध. भारत में भोजन हमेशा पवित्र रहा है, भक्ति की भावना के साथ दिव्यता को परोसा जाता है और हमारे घरों में बहुत प्यार से तैयार किया जाता है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भोजन प्यार और पोषण के बजाय कैलोरी का सवाल बन गया है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस किताब का उद्देश्य भोजन और खान-पान की भारतीय परंपराओं के साथ फिर से जुड़ने में हमारी मदद करना है. सात्विक रसोई में व्यंजन बनाना आसान और सरल है और इसका उद्देश्य हमारे दिमाग को बेहतर ढंग से काम करने में मदद करना है. इस तरह की किताबें आधुनिक भोजन और पोषण सिद्धांत की सर्वोत्तम अवधारणाओं पर भी प्रकाश डालती हैं.’’
डॉ हंसाजी योगेन्द्र ने सभी से ‘अन्नम ब्रह्मम’ की भारतीय अवधारणा को अपनाने और योग, योगिक जीवन और सात्विक रसोई में प्रस्तुत विचारों की मदद से भोजन और पोषण की पवित्रता के प्रति सचेत रहने का आग्रह किया.
ज्ञात हो कि डॉ हंसाजी योगेन्द्र, योग संस्थान, मुंबई की निदेशक और विश्व स्तर पर प्रशंसित आध्यात्मिक गुरु, सुप्रसिद्ध बौद्धिक और अंतस से जुड़े विषयों की अध्ययनकर्ता हैं. वर्ष 2019 में उन्हें योग में उनके असाधारण योगदान और उत्कृष्टता के लिए यूके हाउस ऑफ़ कॉमन्स, लंदन में भारत गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 1,00,000 से अधिक योग सत्र आयोजित किए हैं और योग के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.