सेक्स की इच्छा यानी सेक्शुअल डिज़ायर को बनाए रखने और बढ़ाने में हमारे शरीर के भीतर मौजूद हॉर्मोन्स की अहम् भूमिका होती है. वहीं एक्स्पर्ट्स का मानना ये भी है कि इसमें हमारे सामाजिक परिवेश, सोशल कंडिशनिंग और वैल्यू सिस्टम का भी बड़ा रोल है. लेकिन क्या पुरुषों के हॉर्मोन के नाम से जाने जानेवाले टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन के ज़रिए महिलाओं की सेक्शुअल डिज़ायर को बढ़ाया जा सकता है? यह बात यहां जानिए…
कुछ साल पहले, मैंने एक महिला का इंटरव्यू किया था, जो सेक्स चेंज सर्जरी करवाकर पुरुष बनने जा रही थी. उस महिला ने मुझे लगभग हंसते हुए बताया,‘‘जैसे ही टेस्टोस्टेरॉन थेरैपी की शुरुआत हुई मुझे यह बात अच्छी तरह समझ आ गई कि पुरुषों के भीतर सेक्स को लेकर क्या चल रहा होता है… क्योंकि मेरी सेक्शुअल डिज़ायर बहुत, बहुत ज़्यादा बढ़ गई.’’
सेक्शुल इच्छा को पैदा करने में हॉर्मोन्स और ख़ासतौर पर टेस्टोस्टेरॉन की भूमिका के बारे में वैज्ञानिकों को वर्ष 1920 से जानकारी थी. उन दवा कंपनियों को, जिन्हें हॉर्मोनल रिसर्च में प्रॉफ़िट दिखाई दिया, उन्होंने इस रिसर्च में अरबों डॉलर का पैसा लगा दिया.
जानिए टेस्टोस्टेरॉन को
मेडिकल टेक्स्टबुक्स में भी इस बात के बारे में काफ़ी कुछ लिखा गया कि कैसे टेस्टोस्टेरॉन महिलाओं और पुरुषों दोनों की ही सेक्शुअल इच्छाओं और उत्तेजना को बढ़ाता है. हालांकि टेस्टोस्टेरॉन को पुरुष सेक्स हॉर्मोन की तरह परिभाषित किया जाता है, लेकिन इसकी मात्रा महिलाओं और पुरुषों दोनों मे ही पाई जाती है. हां, पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा महिलाओं की तुलना में कहीं ज़्यादा होती है. महिलाओं में पुरुषों की तुलना में केवल 1/10 से 1/20 मात्रा में ही टेस्टोस्टेरॉन मौजूद होता है.
महिलाओं में एस्ट्रोजेन का स्तर ज़्यादा होता है, यह हॉर्मोन उनके प्रजनन और उनकी शारीरिक विशेषताओं, जैसे- उनके स्तन और वजाइना के आसपास बाल आदि के विकास और उनकी देखरेख का काम करता है. लेकिन हालिया अध्ययनों में इस बात पर संदेह भी व्यक्त किया गया है कि टेस्टोस्टेरॉन और सेक्शुअल डिज़ायर के बीच कोई सीधा संबंध है (यानी टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में बढ़ोतरी होने से सेक्शुअल डिज़ायर भी ख़ुद ब ख़ुद बढ़ जाएगी).
सेक्शुअल डिज़ायर के लिए महत्वपूर्ण हैं कई दूसरी बातें भी
पिछले अध्ययनों में सेक्शुअल इच्छा के बारे में सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारणों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया, जबकि ये बातें भी तो सेक्शुअल इच्छा को बढ़ाने या घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं! ख़ासतौर पर तब, जब बात महिलाओं की हो, क्योंकि ज़्यादातर महिलाएं तो सामाजिक दबाव और कलंक जैसी बातों के चलते अपनी सेक्शुअल इच्छाओं को सही तरह से व्यक्त ही नहीं कर पातीं.
हालांकि इसका ये अर्थ नहीं है कि सेक्शुअल डिज़ायर में टेस्टोस्टेरॉन की कोई भूमिका ही नहीं है. बिल्कुल है! इस बात के पुख़्ता वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि कैसे टेस्टोस्टेरॉन के कम स्तर के कारण लोगों के भीतर सेक्शुअल इच्छा कम हो जाती है. यही वजह है कि कई उम्रदराज़ पुरुष सेक्शुअल इच्छा के लगभग ख़त्म हो जाने की शिकायत करते हैं, क्योंकि उम्र के साथ उनके टेस्टोस्टेरॉन का स्तर भी कम हो जाता है./
तो अब इस सवाल पर वापस लौटते हैं कि क्या टेस्टोस्टेरॉन का प्रयोग कर महिलाओं की सेक्शुअल डिज़ायर को बढ़ाया जा सकता है? इस बारे में हमने बात की डॉक्टर डी नारायण रेड्डी से, जो दुनियाभर में जानेमाने सेक्शुअल हेल्थ स्पेशलिस्ट और वीवॉक्स के एक्स्पर्ट हैं.
एक्स्पर्ट की सलाह
डॉक्टर डी नारायण रेड्डी कहते हैं,‘‘हमारी सेक्शुअल डिज़ायर, सामाजिक वातावरण और बायोलॉजिकल फ़ैक्टर्स, जैसे कई कारकों से प्रभावित होती है. हमारे शरीर के भीतर मौजूद हॉर्मोन्स के साथ-साथ हमारा सांस्कृतिक परिवेश और वैल्यू सिस्टम दोनों ही महिलाओं और पुरुषों की सेक्शुअल इच्छा को आकार देने में अपनी भूमिका निभाते हैं.
‘‘टेस्टोस्टेरॉन वह हॉर्मोन है, जो महिलाओं और पुरुषों में सेक्शुअल डिज़ायर के लिए प्राथमिक रूप से ज़िम्मेदार है. यह बात भी सही है कि टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन महिलाओं की सेक्शुअल डिज़ायर को बढ़ा सकता है. जब मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं ने सेक्शुअल डिज़ायर में कमी की शिकायत की तो मल्टिनैशनल कंपनी प्रॉक्टर ऐंड गैम्बल ने टेस्टोस्टेरॉन पैच बनाया, जो इस मामले में कारगर रहा.’’
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट