बरसात के मौसम में पहाड़ों की ख़ूबसूरती देखते बनती है. वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश के अनुपम सौंदर्य का वर्णन...
सरकारी कामकाज की रफ़्तार किस हिसाब से बढ़ती है? सरकारी बाबुओं का रवैया कैसा होता है? कुल मिलाकर कहें तो...
कई बार हम अपने अधिकारों और दूसरों की अच्छाई का ग़लत फ़ायदा उठा जाते हैं. मीनाक्षी विजयवर्गीय की यह छोटी-सी...
चंद्रकांत देवताले की यह कविता सभ्यता के विकास की ख़तरनाक दिशा की ओर इशारा करती है. मां के समय जो...
किशोरावस्था में हमारे शरीर में अचानक से कई बदलाव आने लगते हैं. शरीर में आनेवाले इन बदलावों का असर दिमाग़...
महजबों के बीच नफ़रत की भावना ने किस क़दर घर कर लिया है कि एक मरे हुए आदमी की आख़िरी...
बचपन अपने रास्ते तलाश लेता है. हर हाल में ख़ुशियों के लम्हे जुगाड़ लेता है. आलोक धन्वा की यह छोटी-सी...
गुलकी को उसके पति ने छोड़ दिया है. उसके माता-पिता का देहांत हो गया है. वह मायके के घर आ...
प्रेम के प्रतीक ताजमहल की ख़ूबसूरती पर जितनी कविताएं लिखी गई हैं, शायरों की कलम उतनी ही प्रेम के महंगे...
यूं तो हमारी ज़िंदगी हमसे अलग नहीं है. पर कभी ख़ुद को ज़िंदगी से कुछ क़दम दूर रखकर उससे बातचीत...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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