पढ़ने को तो यह बहुत छोटी-सी कविता है. पर इसे दो बार पढ़िए, और तब इसमें आप महसूस कर सकेंगे...
बिना लाग लपेट के कविताएं करनेवाले बाबा नागार्जुन की यह कविता गांधी जी के तीनों बंदरों की उपमा के साथ...
क्यों सुबह की नींद एक स्त्री जैसी होती है? बता रही है दिवंगत कवि मंगलेश डबराल की यह ख़ूबसूरती-सी कविता....
समाज की विसंगतियों को अपनी कहानियों में स्थान देनेवाले कहानीकार भगवतीचरण वर्मा की यह कहानी आपने स्कूली दिनों में पाठ्यपुस्तक...
हर बीतते दिन के साथ, बहुत कुछ पीछे छूट जाता है. कैलेंडर के पन्नों के बदलते ही काफ़ी कुछ बदल...
यदि सतर्क रहा जाए, सजग रहा जाए तो आप किसी भी परिस्थिति में अपनी ज़िंदगी को सही दिशा दे सकते...
कवियों-लेखकों ने मां को परिभाषित करने का हर युग में प्रयास किया है. सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म इंस्टाग्राम पर हिंदी लिखनेवालों...
मां कहने को तो एक शब्द है, पर जब इसे परिभाषित करने जाएं तो दुनिया के सारे शब्द कम पड़...
बुआ-फूफा का 65 साल का साथ था. विवाहित जोड़े का साथ कितना भी लंबा हो, किसी एक तो पहले जाना...
यूं तो कहने के लिए कवि हूबनाथ पांडे की यह कविता है, पर इसका एक-एक शब्द देश की दशा बयां...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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