छायावादी कवि सूर्यकांत निराला की प्रसिद्ध कविता ‘वह तोड़ती पत्थर’ केवल एक मज़दूर स्त्री की दशा ही नहीं प्रस्तुत करती,...
जेएनयू कैम्पस के कवि रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ लीक से हटकर कविताएं करते थे. उनकी कविताओं का इतिहास बोध कमाल होता...
विद्रोही स्वभाव के शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने शेरों के ज़रिए समाज के दिखावे, धर्म के झूठ, आडंबर और दोहरे...
मानव भावना की सबसे ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति को कविता कहते हैं. कई बड़े लेखकों को इस बात का मलाल जीवन भर...
पढ़ने को तो यह बहुत छोटी-सी कविता है. पर इसे दो बार पढ़िए, और तब इसमें आप महसूस कर सकेंगे...
बिना लाग लपेट के कविताएं करनेवाले बाबा नागार्जुन की यह कविता गांधी जी के तीनों बंदरों की उपमा के साथ...
क्यों सुबह की नींद एक स्त्री जैसी होती है? बता रही है दिवंगत कवि मंगलेश डबराल की यह ख़ूबसूरती-सी कविता....
हर बीतते दिन के साथ, बहुत कुछ पीछे छूट जाता है. कैलेंडर के पन्नों के बदलते ही काफ़ी कुछ बदल...
कवियों-लेखकों ने मां को परिभाषित करने का हर युग में प्रयास किया है. सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म इंस्टाग्राम पर हिंदी लिखनेवालों...
मां कहने को तो एक शब्द है, पर जब इसे परिभाषित करने जाएं तो दुनिया के सारे शब्द कम पड़...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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