विवादित फ़िल्म क्यों विवादित है, इसे जानने के लिए उस देखना तो बनता ही था. लेकिन देखकर समझ में नहीं...
इन दिनों सोशल मीडिया के ज़रिए किस तरह लोगों का ध्यान अपने जीवन की बुनियादी ज़रूरतों से इतर धर्म और...
‘फ़िक्शन अफ़लातून’ हिंदी की इस नई वेबसाइट की पहली प्रतियोगिता थी. हम इसे लेकर बेहद उत्साहित थे और आपकी प्रतिक्रियाओं...
देश के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए क्या आपको लगता है कि क़ानून के सामने सभी लोग बराबर हैं? संविधान...
मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी ईदगाह, करोड़ों भारतीयों के स्कूली दिनों की सुनहरी यादों में समाई हैं. ग़रीब लड़के हामिद...
सुमित्रानंदन पंत की सबसे ज़्यादा पढ़ी गई कविताओं में एक ‘आ: धरती कितना देती है’ मनुष्य के स्वार्थी और भाग्यवादी...
सवाल सीधा है कि क्या ईद पर आपको भी हामिद की याद आ जाती है? यदि आपका जवाब ‘हां’ है...
क्या प्रेम का अन्त कहानियों की तरह विवाह में ही होना आवश्यक है? इस सवाल के इर्दगिर्द बुनी गई एक...
लोकतंत्र में जन सरोकारों को सत्ता तक पहुंचाने में व्यंग्य का बड़ी अहम् भूमिका होती है. व्यंग्य के ज़रिए सत्ता...
आप जब कभी पर्यटन के लिए कहीं जाते हैं और आपको वहां की लोक सभ्यता और लोक कथाओं के बारे...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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